बिहाइंड द कर्टन/नाथ ने दी शिव सरकार को चेतावनी

  • प्रणव बजाज
कमलनाथ

नाथ ने दी शिव सरकार को चेतावनी
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ भले ही मप्र में कम रहते हो , लेकिन उनकी आंख नाक और कान हमेशा यहीं लगे रहते हैं। यही वजह है कि उनकी हर छोटी बड़ी घटना पर प्रतिक्रिया आती रहती है। वे ट्विटर पर भी अन्य कांग्रेसी नेताओं की ही तरह सक्रिय रहते हैं। प्रदेश इस समय बिजली के कठिन संकट के दौर से गुजर रहा है , ऐसे में कमलनाथ ने शिव सरकार को चेतावनी भरे अंदाज में कहा है कि आम उपभोक्ताओं और किसानों पर महंगी बिजली का बोझ डाला गया तो कांग्रेस शांत नहीं बैठेगी। सदन से लेकर सड़क का इसका विरोध होगा। उनका कहना है कि हमारी 15 माह की सरकार में हमने आम उपभोक्ताओं और किसानों को भरपूर बिजली प्रदान की और वह भी सस्ती दरों पर। अब शिवराज सरकार प्रदेश को अंधकार की ओर ले गई है, कई-कई घंटों की अघोषित कटौती जारी है। मनमाने बिजली बिलों की मार जनता पर थोपी जा रही है और वहीं अब दूसरी और गुपचुप तरीके से बिजली महंगी करने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए किसानों की सब्सिडी घटाने की भी तैयारी है।

अजीत बौरासी को मिली बड़ी जिम्मेदारी
पूर्व सांसद और कांग्रेस के बड़े अनुसूचित जाति चेहरा माने जाने वाले प्रेमचंद गुड्डू के पुत्र अजित बौरासी को कांग्रेस द्वारा बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है। यह जिम्मेदारी उन्हें उप्र में अगले साल की शुरूआत में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सौंपी गई है। इसके तहत उन्हें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की ओर से उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति विभाग के समन्वय का काम दिया गया है। यह बात अलग है कि वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव के समय गुड्डू और बौरासी भाजपा में चले गए थे। वर्ष 2018 का विधानसभा चुनाव बौरासी ने भाजपा के टिकट पर उज्जैन जिले की घट्टिया सीट से लड़ा था, हालांकि वे इस चुनाव में हार गए थे। इसके बाद पिता-पुत्र की इस जोड़ी ने कांग्रेस में गृह वापसी कर ली थी। मप्र की राजनीति में गुड्डू को राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह का समर्थक माना जाता है।

शाह की बलिदानी गाथा बताएंगे शाह
आदिवासी समाज को संदेश देने के लिए भाजपा अभी से अगले विधानसभा चुनाव के लिए सक्रिय हो गई है। यही वजह है कि अब आदिवासी बाहुल्य और पूर्व गोडवाना साम्राज्य में अपनी पकड़ मजबूत करने की शुरूआत करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को जबलपुर बुलाया गया है। जबलपुर में इस दिन  आजादी के अमृत महोत्सव के तहत आयोजित कार्यक्रम में शामिल होकर उनके द्वारा गोंडवाना साम्राज्य के राजा शंकर शाह और उनके पुत्र कुंवर रघुनाथ शाह की बलिदान गाथा बतायी जाएगी। इस दौरान उनके द्वारा देश की आजादी के लिए किए गए संघर्ष के लिए दोनों बलिदानियों को श्रद्धासुमन अर्पित की जाएगी। 1857 की क्रांति के चलते शंकर शाह और रघुनाथ शाह ने अंग्रेजों से संघर्ष किया। अंग्रेजों ने दोनों को 18 सितंबर 1858 को तोप के मुंह से बांधकर उड़ा दिया था। खास बात यह है कि इस दौरान अमित शाह इसी दौरान आजादी-75 और आधुनिक भारत कार्यक्रमों की भी शुरुआत करेंगे। दरअसल यह क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य है। प्रदेश की सरकार बनवाने में इसकी प्रमुख भूमिका रहती है।

गोविंद सिंह के निशाने पर आए शिवराज
पूर्व मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक डॉ. गोविंद सिंह के निशाने पर अब प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान आ गए हैं। यही वजह है कि सिंह द्वारा अब सीधे -सीधे उन पर लगातार निशाना साधा जा रहा है। इस बार उनके द्वारा मुख्यमंत्री की मानसिकता सवर्ण विरोधी बताते हुए निशाना साधा गया है। उनका आरोप है कि परेशान करने की मंशा की वजह से ही  80 फीसदी सवर्ण अधिकारी-कर्मचारियों के तबादले नियमों के विपरीत किए जा रहे हैं। दरअसल ग्वालियर चंबल अंचल प्रदेश का वह अंचल हैं जहां पर पूर्व की भाजपा सरकार के समय मुख्यमंत्री द्वारा आरक्षण के पक्ष में दिए गए बयान माई के लाल को लेकर तीखी प्रतिक्रया हुई थी। इसके बाद उपचुनाव में इस अंचल के सर्वण कांग्रेस के पक्ष में चले गए थे। इसी वजह से  इस अंचल में भाजपा के कई दिग्गज नेताओं को हार का मुंह तक देखना पड़ा, जिसकी वजह से ही भाजपा को प्रदेश में सरकार बनाने में भी नाकामी हाथ लगी थी। खास बात यह है कि इस मुद्दे को ऐसे समय उठाया जा रहा है जब शिव सरकार द्वारा ओबीसी को 27 फीसद आरक्षण देने के आदेश जारी किए जा चुके हैं। अगर इस मामले में सिहं हवा देने में सफल रहते हैं तो इलाके में एक बार फिर भाजपा के लिए मुश्किल खड़ी हो सकती है।

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