- प्रणव बजाज
बोले नाथ, पेंशन भोगियों को तत्काल सरकार दे महंगाई राहत
पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ ने कहा कि प्रदेश सरकार लगातार सेवानिवृत्त कर्मचारी और सेवारत कर्मचारियों के विरोध की नीतियों पर काम कर रही है। प्रदेश के साढ़े चार लाख पेंशनभोगी महंगाई राहत की लंबे समय से मांग कर रहे हैं लेकिन, उन्हें 17 प्रतिशत महंगाई राहत अब तक नहीं दी गई है। हालत यह है कि सेवानिवृत्त लोगों को वृद्धावस्था में जल सत्याग्रह जैसा कठोर कदम उठाना पड़ रहा है। आए दिन खुद को श्रवण कुमार बताने वाले मुख्यमंत्री को तत्काल सेवानिवृत्त कर्मचारियों से उनको हुए कष्ट के लिए माफी मांगनी चाहिए और उन्हें महंगाई राहत देनी चाहिए। नाथ ने कहा कि भारत सरकार में कर्मचारियों और पेंशनर्स को महंगाई भत्ता और राहत साथ-साथ देने की नीति का पालन होता आ रहा है परन्तु मध्यप्रदेश में इस नीति का पालन वर्षों से नहीं हो रहा है।
सत्तन के निशाने पर श्रीमंत और भाजपा संगठन
देश के ख्याति नाम कवि और भाजपा के वरिष्ठ नेता सत्यनारायण सत्तन ने बीते रोज भले ही श्रीमंत का नाम नहीं लिया है , लेकिन अप्रत्यक्ष रुप से उनके द्वारा सिंधिया परिवार पर जमकर निशाना साधा गया। सत्तन ने सार्वजनिक रुप से मंच से रानी लक्ष्मीबाई के बलिदान दिवस पर हुए कार्यक्रम में भाषण देते हुए कहा कि सिंधिया परिवार ने जिस तरह उस समय अंग्रेजों के प्रति खानदानी भक्ति को प्रदर्शित किया और झांसी की रानी के साथ गद्दारी की, ठीक उसी तरह अब यह खानदान भाजपा में आकर राजनीति को दूषित और कलंकित कर रहा है। जो लोग मुखौटा लगाकर बात करते हैं, उनकी असलियत समझनी होगी। आज भाजपा में हर किसी को प्रवेश मिल रहा है। यह देखते ही नहीं कि वह दल-बदलू है, गद्दार है या क्या है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में जितने नेता बचे हैं, वे न दल-बदलू हैं, न गद्दार हैं। वे समाज, देश और पार्टी के प्रति समर्पित हैं। सत्तन ने कहा, इंदिराजी के समय में जो हालत हमारी (भाजपा की) थी, अब वही कांग्रेस की हो गई है।
और किराए पर लेना पड़ रहा है मजबूरी में मकान
महानगरों के अलावा कई अन्य बड़े शहरों में अब भाजपा व कांग्रेस के कई प्रत्याशियों को अपना निजी आवास छोड़कर किराए के मकानों में अपना ठिकाना बनाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। इसकी वजह बनी है उनकी अपने वार्ड की जगह दूसरे वार्ड से चुनाव लड़ने की मंशा। पार्टीयां भी ऐसीं की उनके द्वारा स्थानीय दावेदारों की उपेक्षा कर अपने प्रभावशाली नेताओं की इच्छा पूरी करने के लिए दूसरे वार्डों में रहने वाले नेताओं को टिकट थमा दिए गए हैं। इसकी वजह से उनके सामने पहचान के साथ ही मतदाताओं में असंतोष की स्थिति बन चुकी है। इसकी वजह से ही ऐसे प्रत्याशी अब अपना निजी मकान छोड़कर किराए का मकान तलाशने में जुट गए हैं। अब नेताओं और ऐसे प्रत्याशियों को कौन बताए की यह जनता है सब जानती है। इस तरह की स्थिति प्रदेश के चारों महानगरों में अधिक बनी हुई है।
और खुश नजर आ रहे हैं मंत्री जी
सूबे के एक बड़े विभाग के एक मंत्री इन दिनों बेहद खुश बने हुए हैं। यह वे मंत्री हैं जिन्हें सरकार में बेहद धीर गंभीर मंत्री के रुप में जाना जाता है। पार्टी के बीते कार्यकाल में यह मंत्री न केवल सरकार के संकटमोचक की भूमिका में रहे , बल्कि उनका जलवा हुआ करता था , लेकिन इस बार सरकार बनने के बाद पता नहीं किसकी नजर लगी की धीरे-धीरे सरकार में उनका महत्व कम होता गया है और वे आम मंत्रियों की श्रेणी में आ गए थे। अब एक बार फिर से उनका समय बदला हुआ नजर आ रहा है। इसकी वजह से ही वे बेहद खुश नजर आ रहे हैं। यही नहीं अब तो उनके द्वारा अपने नजदीकी लोगों के बीच यह भी दावा किया जाने लगा है कि सरकार से उनके रिश्ते पुरानी पटरी पर लौट आए हैं। अब कोई काम हो तो बताओ, वे करवा देंगे। दरअसल, मंत्री जी ने इस बार खुद को मुखिया के पद पर देखने के जो संपने देखे थे , उसकी भनक सरकार को लग गई थी , जिसकी वजह से मंत्री जी के रिश्ते उनसे बिगड़ गए थे।