बिहाइंड द कर्टन/दो बाहरी तो दो प्रदेश के नेताओं के नामों की चर्चा

  • प्रणव बजाज
उपचुनाव

दो बाहरी तो दो प्रदेश के नेताओं के नामों की चर्चा
मप्र में राज्यसभा की एक सीट के लिए होने वाले उपचुनाव की अधिसूचना जारी होने के साथ भाजपा में बतौर प्रत्याशी के नामों को लेकर अटकलें लगाई जाने लगी हैं। फिलहाल जिन नामों की चर्चा हैं उसमें दो नेता प्रदेश के हैं तो दो नेता दूसरे प्रदेशों के शामिल हैं। मप्र से कैलाश विजयवर्गीय और लाल सिंह के जबकि बाहरी प्रत्याशी के तौर पर केन्द्रीय मंत्री और असम के पूर्व सीएम सर्बानंद सोनोवाल और एल मुरूगन के नामों की चर्चा बनी हुई है। यह दोनों ही मंत्री अभी किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं। पार्टी में प्रदेश स्तर पर टिकट के लिए मंथन चल रहा है। अब इस मामले में दिल्ली से संकेत मिलने का इंतजार किया जा रहा है। कर्नाटक का राज्यपाल बनाए जाने के बाद थावरचंद गहलोत के इस्तीफे से रिक्त हुई इस सीट पर 4 अक्टूबर को निर्वाचन होना है। यह सीट भाजपा के कोटे में जाना तय है। माना जा रहा है कि विजयवर्गीय को को पश्चिम बंगाल में की गई मेहनत के इनाम के तौर पर राज्यसभा भेजा जा सकता है।

नाजायज को जायज बताना पड़ रहा मंत्री मीना सिंह को भारी
प्रदेश की आदिम जाति कल्याण मंत्री मीना सिंह की इन दिनों जमकर किरकिरी हो रही है। इसकी वजह है वें खुद हैं। इसकी वजह है उनके द्वारा सतना जिले के मझगवां रेंज के वन भूमि पर हुए अवैध कब्जे को जायज बताना। इस मामले में जब जांच कराई गई तो वह पूरी तरह से नाजायज निकला। खास बात यह है कि जांच दल ने वन अफसर द्वारा की गई कब्जा हटाने की कार्रवाई को भी सही बताया गया है। इस मामले में खुद को सही ठहराने के लिए मंत्री मीना सिंह ने यह मामला राज्यपाल मंगू भाई पटेल तक पहुंचा दिया। हालांकि राज्यपाल के समक्ष वन मंत्री विजय शाह और प्रमुख सचिव वन अशोक वर्णवाल ने उन्हें जांच कराने का आश्वासन देकर शांत करा दिया। यह बात अलग है कि मीना सिंह द्वारा वन भूमि से कब्जा हटाने की कार्रवाई को प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया। इसकी वजतह से फॉरेस्ट गार्ड यादवेंद्र द्विवेदी को निलंबित तक करना पड़ा। इसके बाद भी वे संतुष्ट नही हैं।

औचक निरीक्षण पर निकलेंगे राजपूत
आम जनता को होने वाली परेशानियों की हकीकत जानने और जिम्मेदार अफसरों पर शिकंजा कसने के लिए अब परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत खुद औचक मैदानी निरीक्षण करने की तैयारी कर रहे हैं। इस दौरान वे जिलों के दफ्तरों से लेकर बसों तक का निरीक्षण करेंगे और जनता का हाल जानेंगे। इस निरीक्षण में बिना मास्क यात्री बसों पर सफर करने वालों पर कार्रवाई की जाएगी। खास बात यह है कि इसके लिए बस ऑपरेटर को जिम्मेदार माना जाएगा। विभागीय सूत्रों की माने तो परिवहन मंत्री के औचक निरीक्षण कार्यक्रम को पूरी तरह से गोपनीय रखा जाएगा। मंत्री को जिस स्थान पर जाना होगा, उसकी जानकारी ऊपर के एक-दो अफसरों को होगी, जो उनके साथ जाएंगे। दरअसल उन्हें लगातार शिकायतें मिल रही है कि ऑपरेटर उनके निर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं और गांव-देहात की ज्यादातर यात्री बसों में लोग बिना मास्क सफर कर रहे हैं। अब उनके लिए मास्क लगाना अनिवार्य किया जाएगा।

बैठक करने पर लगेगा विभागों पर 500 रुपए का शुल्क
नियम तो कई हैं और सालों से लागू भी हैं , लेकिन उनका पालन करना प्रशासन भूला रहता है। अब ऐसे ही एक नियम को  पालन करने के निर्देश छतरपुर कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह ने दिए तो उसकी चर्चा होनी शुरू हो गई। दरअसल यह नियम है कलेक्टर कार्यालय के सभा कक्ष में होने वाली विभागवार बैठकों के शुल्क को लेकर। इसके तहत विभागों की वहां पर होने वाली बैठकों का अब तक कोई शुल्क ही नहीं लिया जाता था , लेकिन अब कलेक्टर के आदेश के बाद हर बैठक के लिए विभागों को 500 रुपए का शुल्क जमा कराना होगा। इस मामले में हो हल्ला मचने पर कलेक्टर का कहना है कि इसमें नया कुछ नहीं है। शासन की योजना अपना घर अपना दफ्तर पहले से लागू है। इसके अन्तर्गत ही शुल्क जमा करने संबंधी आदेश दिए हैं। यह योजना वर्ष 2018 से चल रही है। कलेक्टर के आदेश में कहा गया है कि वे अपने विभाग से संबंधित बैठक कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में करने के एक दिन पहले नजारत शाखा में शुल्क की राशि जमा करें।

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