बिहाइंड द कर्टन/आखिर शमीमउद्दीन को करना पड़ा तबादला निरस्त

  • प्रणव बजाज
शमीमउद्दीन

आखिर शमीमउद्दीन को करना पड़ा तबादला निरस्त
दुृग्ध संघ के एमडी को आखिरकार सीईओ आरपीएस तिवारी का ताबदला निरस्त करना ही पड़ा। बीते दिनों उनका तबादला अपने एक चहेते दागी अफसर को उपकृत करने के लिए ग्वालियर कर दिया गया था। दरअसल तिवारी कमाई को लेकर कुछ अफसरों के आड़े आ रहे थे। तिवारी ने अल्पकाल में ही भोपाल दुग्ध संघ की न केवल एफडी में बड़ी वृद्वि कर दी थी, बल्कि कई ऐसे कदम उठाए थे , जिसकी वजह से दुग्ध उत्पादकों का लाभ बड़ गया था। यह मामला जब मुख्यमंत्री के पास पहुंचा तो शमीमउद्दीन को तिवारी का ताबदला निरस्त कर उन्हें वापस भोपाल पदस्थ करना पड़ गया है। दरअसल जिन उप महाप्रबंधक डीव्हीके राव को सीईओ बना दिया गया था, उन पर पहले से ही 60 लाख रुपए के गबन का एक मामला चल रहा है। इसके अलावा उनके खिलाफ विभागीय जांच भी की जा रही है। इसके बाद भी उनकी पदस्थापना एक ईमानदार अफसर को हटाकर बेहद महत्वपूर्ण पद पर कर दी गई थी।

मालपानी को प्रशिक्षण पर बुलाने से विवाद
भोपाल में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होने के बाद पहला विवाद पूर्व आईएएस अफसर जेएन मालपानी को प्रशिक्षण के लिए बुलाने पर खड़ा हो गया है। वे पुलिस अफसरों को एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट की कार्यप्रणाली समझाने के लिए बुलाए गए थे। पुलिस अफसरों के लिए चार दिनी प्रशिक्षण का बीते रोज पहला दिन था। दरअसल मालपानी जब एक विभाग में आयुक्त के पद पर पदस्थ थे, तब उनका एक आडियो वायरल हुआ था, जिसमें वे अधीनस्थ एक अफसर से रिश्वत को लेकर बातचीत कर रहे थे। हालांकि इस मामले में दावा है कि उन पर लगा आरोप जांच में असत्य निकला था, जिसके बाद वे बहाल कर दिए गए थे। उधर, पुलिस अफसरों का कहना है कि उनके द्वारा कार्यप्रणाली को लेकर कई किताबें लिखी गई हैं , जिसकी वजह से ही उन्हें बुलाया गया था।

मप्र के कांग्रेसी नेता सम्हालेंगे उप्र में चुनावी कमान
उप्र में अगले दो माह बाद होने वाले विधानसभा के चुनावों में अब मप्र के कांग्रेस नेताओं की भी बड़ी भूमिका रहने वाली है। इसकी वजह है प्रियंका गांधी का वह निर्देश , जिसमें उनके द्वारा मप्र कांग्रेस कमेटी से उन नेताओं के नाम मांगे गए हैं, जिनका उपयोग उप्र के विधानसभा चुनावों में किया जा सकता है। इसमें विधायकों से लेकर पार्टी पदाधिकारियों तक के नाम मांगे गए हैं। दरअसल मप्र का अधिकांश हिस्सा उप्र की सीमा से लगा हुआ है और सीमाई इलाकों वाली विधानसभा सीटों पर यह नेता असरकारक हो सकते हैं। विधानसभा चुनाव के मद्देनजर पहले ही कांग्रेस प्रदेश के पूर्व विधायक सत्यनारायण पटेल को राष्ट्रीय सचिव बनाकर उप्र भेज चुकी है। इस तरह का प्रयोग भाजपा द्वारा बीते विधानसभा चुनाव में पहले ही किया जा चुका है। उधर, अब इस निर्देश के बाद पीसीसी में उप्र में कारगर हो सकने वाले नेताओं की सूची तैयार करने का काम शुरू कर दिया गया है, जिससे उनके नाम केन्द्रीय संगठन को भेजे जा सकें।

पूर्व एडीजी बोले:पुलिस के लिए कठिन समय
पूर्व अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक डां शैलेन्द्र श्रीवास्तव का कहना है कि यह समय पुलिस के बेहद कठिन है, क्योंकि अब हमारी जिम्मेदारी बढ़ गई है और ऐसे में सभी की निगाहें हम पर हैं। हाल ही में लागू की गई पुलिस आयुक्त प्रणाली के मामले में हमें खुद को साबित करना होगा। उनका कहना है कि इसके लिए पुलिस को अपने व्यवहार, कार्यविधि और प्रक्रिया में सुधार करना होगा। उनका कहना है कि 40 साल पुरानी यह मांग अब जाकर पूरी हुई है। इस मामले में उनका साफ कहना है कि यह तो प्रचारित किया जाता है कि आईएएस और आईपीएस के बीच झगड़ा है, लेकिन क्या पुलिस आयुक्त प्रणाली को लागू कर पाना मुख्य सचिव और अपर मुख्य सचिव के समर्थन के बिना संभव था। उनका कहना है कि पहले पुलिस और प्रशासन के नाम पर कुछ चीजों को टाल दिया जाता था। इसकी वजह है एक -दूसरे पर थोपने की प्रवृत्ति, लेकिन अब ऐसा नहीं हो पाएगा। वे भोपाल में लंबे समय तक आईजी रह चुके हैं।

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