- प्रणव बजाज
डेढ़ दर्जन अफसर बनेगें इसी साल आईएएस
मप्र ऐसा राज्य है जहां सिर्फ अखिल भारतीय सेवाओं के अफसरों को ही हर मामले में वरीयता मिलती है। इस मामले में राज्य सेवा के अफसरों को भी अन्य कर्मचारियों व अफसरों की ही तरह दोयाम दर्जे का शिकार होना पड़ता है, फिर मामला कोई भी हो। अच्छी बात यह है कि अब इस साल राज्य सेवा के विभिन्न अफसरों की किस्मत खुलने का इंतजार किया जा रहा है। यह किस्मत उनकी पदोन्नति के रुप में खुलने वाली है। इनमें सबसे अधिक पदोन्नति वन विभाग में होने जा रही है। राज्य वन सेवा के 25, राज्य प्रशासनिक सेवा के 18 तो राज्य पुलिस सेवा के 11 अफसरों को इस बार पदोन्नति मिलने की संभावना है। इनमें वन सेवा के अफसरों को दो साल से पदोन्नति का इंतजार बना हुआ है। इस तरह से राज्य की तीनों सेवाओं के 54 अफसरों के पदोन्नत होने की संभावना बन चुकी है। राज्य सरकार द्वारा इसके लिए यूपीएससी को प्रस्ताव बनाकर भेजा जा चुका है। इन पदों के लिए तीन गुना नाम भेजे गए हैं।
अब टोल नाकों से रोका जाएगा अवैध रेत परिवहन
तमाम प्रयासों के बाद भी कई विभागों का अमला प्रदेश में अवैध रेत परिवहन को रोकने में नाकामयाब बना हुआ है। यही नहीं जिम्मेदारों की मिलीभगत की वजह से ओव्हरलोडिंग कर रेत का खुलेआम परिवहन हो रहा है। इससे सरकार को दोहरा नुकसान उठाना पड़ रहा है। पहला तो रेत से मिलने वाले राजस्व का नुकसान और दूसरा सड़कों की असमय होने वाली दुर्दशा। इस वजह से खराब होने वाली सड़कों की मरम्मत पर हर साल करोड़ों रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं। यही वजह है कि अब सरकार ने ऐसी सड़कों पर नए टोल लगाने का फैसला कर लिया है, जहां से रेत का परिवहन किया जाता है। अब तय किया गया है कि इन रेत परिवहन में लगे वाहनों से लोक निर्माण विभाग टोल की वसूली करेगा। इसी टोल से सड़कों की मरम्मत का काम किया जाएगा। इससे सरकार की आय तो बढ़ जाएगी , लेकिन इससे भवन निर्माण की लागत भी बढ़ जाएगी। टोल की राशि को रेत माफिया द्वारा आम आदमी से ही वसूला जाएगा।
5 पत्र लिखने के बाद भी आयकर विभाग नहीं दे रहा दस्तावेज
बीते लोकसभा चुनाव में काले धन के उपयोग के मामले में फंसे तीन आईपीएस और एक राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी के खिलाफ जांच जस की तस बनी हुई है। इसकी वजह है आयकर विभाग द्वारा इस मामले में जांच एजेंसी आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो को दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराना। हालत यह है कि ईओडब्ल्यू द्वारा इस मामले में अब तक पांच पत्र लिखे जा चुके हैं। इसके बाद भी आयकर विभाग से दस्तावेज नहीं मिल पा रहे हैं। जिससे इस मामले में फंसे चारों अफसरों की मौज बनी हुई है। अब हाल ही में दस्तावेज देने के लिए एक और रिमाइंडर आयकर विभाग को भेजा गया है। दरअसल इस मामले में ईओडब्ल्यू ने प्राथमिकी दर्ज की थी।
इस मामले में आईपीएस संजय माने, सुशोभन बनर्जी और वी. मधुकुमार के अलावा राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी अरुण मिश्रा का नाम आया था। इस चुनाव में काला धन इस्तेमाल के आरोपों के बाद आयकर विभाग ने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के सहयोगियों के यहां छापे मारे थे। इस दौरान करोड़ों रुपयों के लेनदेन के हिसाब वाली बड़े पैमाने पर डायरियां और कम्प्यूटर फाइलें जब्त की गई थीं। खास बात यह है कि यह सभी अफसर पूर्व में भाजपा सरकार के भी बेहद करीबी रह चुके थे, जिसकी वजह से उन्हें मनचाही पदस्थापना मिलती रही थी।
अब सबला बन रही महिलाओं से रुबरु होंगे शिवराज
मप्र की शिव सरकार का हमेशा से ही महिलाओं को आर्थिक मजबूती देने पर फोकस रहा है। उन्हें सरकारी योजनाओं का कितना लाभ मिल रहा है और वर्तमान में वे क्या सरकार से चाहती हैं। यह पता करने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 14 सितम्बर को महिला स्व-सहायता समूह उन्मुखीकरण एवं संवाद कार्यक्रम में समूह की महिलाओं से वर्चुअल रुप से सीधे रुबरु होकर संवाद करेंगे। कार्यक्रम में सभी जिला मुख्यालयों से स्व-सहायता समूह शामिल होंगे। ग्रामीण क्षेत्रों के समूहों की महिलाएं विभिन्न संचार माध्यमों से कार्यक्रम से जुड़ेंगी। प्रदेश में 3.37 लाख से अधिक महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा विभिन्न गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी निभा रही हैं। समूह द्वारा उत्पादित सामग्री को बाजार उपलब्ध कराने का काम भी सरकार कर रही है। सीएम ने कहा कि मां, बहन और बेटियों के सामाजिक एवं आर्थिक सशक्तिकरण के लिए प्रदेश में कई योजनाएं संचालित की जा रही हैं।