- प्रणव बजाज
अफसर भी सजग हैं कोरोना पीड़ितों की मदद के लिए
म हामारी के इस संकट में कोरोना पीड़ितों की मदद के लिए सोशल मीडिया पर आईएएस और अन्य अधिकारी भी सजग हैं। संचालक, खाद्य आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण तरुण पिथोड़े (आईएएस) ने हाल ही में सोशल मीडिया के माध्यम से मिली जानकारी पर बंसल अस्पताल में भर्ती 81 साल के बुजुर्ग के परिजनों को प्लाज्मा पहुंचाने में मदद की है। ज्ञात हो पिछले साल भोपाल कलेक्टर रहते हुए पिथोड़े ने कोरोना के लिए प्रशासनिक और स्वास्थ्य सिस्टम को कंट्रोल किया था। जिसकी वजह से राजधानी में कोरोना से मौत के मामले में कमी आई थी। इसी तरह भोपाल में पदस्थ एडीएम दिलीप सिंह यादव भी सक्रिय है। वे विभिन्न इलाकों में ऑफिस में जाकर औचक निरीक्षण कर कोरोना की रोकथाम में जुटे हुए हैं। खास बात यह है कि यादव लोगों को प्लाज्मा डोनेट करने की सलाह दे रहे हैं। सोशल मीडिया पर जानकारी मिलते ही सामाजिक संगठनों को सूचना देकर कोरोना पीड़ितों को प्लाज्मा की व्यवस्था भी करा रहे हैं।
कोरोना संकट में मैगनीज कंपनी भी करेगी मदद, खोलेगी कोविड सेंटर
कोरोना संकट काल में पीड़ितों की मदद के लिए बालाघाट की सौ साल पुरानी सबसे बड़ी मैंगनीज कंपनी भी प्रदेश के पिछड़े जिलों में 350 बिस्तर के कोविड सेंटर खोलेगी। इन जिलों में बालाघाट, डिंडोरी, मंडला, सिवनी और नरसिंहपुर शामिल हैं। हाल ही में केंद्रीय इस्पात मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ अफसरों की बैठक में यह सर्वसुविधायुक्त कोविड सेंटर बनाने की घोषणा हुई है। जिन जिलों में मायल कोविड सेंटर बना रहा है दरअसल वे राज्यसभा सदस्य होने के नाते धर्मेंद्र प्रधान की प्राथमिकता में है। मायल द्वारा बालाघाट, मंडला जिले में सौ-सौ बिस्तर, डिंडोरी में 50, सिवनी में 60 बिस्तर और नरसिंहपुर में 40 स्तर का कोविड सेंटर बनाया जाएगा। यह सभी सेंटर जून तक काम शुरू कर देंगे। बालाघाट जिले में मैंगनीज की जो यह खदान है वह मंत्रालय धर्मेंद्र प्रधान के नियंत्रण में ही आता है।
प्रदेश में कोरोना के कारण लाखों बच्चों की पढ़ाई होगी प्रभावित
प्रदेश में इस साल एमपी बोर्ड से संबंधित चालीस हजार निजी स्कूलों में नर्सरी व केजी की कक्षाओं में एडमिशन नहीं हो पाएंगे। इसी वजह से प्रदेश के करीब आठ लाख बच्चे प्राथमिक शिक्षा से वंचित रह जाएंगे। पिछले साल भी कोरोना के कारण प्रदेश के पहली से आठवीं तक के स्कूल नहीं खुल पाए थे। ऐसे में निजी स्कूलों में एडमिशन प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई थी। इस साल भी स्कूल खुलने की संभावना कम है। एमपी बोर्ड के निजी स्कूलों में प्राइमरी कक्षाओं में ऑफलाइन प्रक्रिया के तहत एडमिशन लिए जाते हैं। इस कारण इस बार भी स्कूल नहीं खुलने के कारण एडमिशन प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाएगी। वहीं सीबीएसई स्कूलों में जनवरी से नए सत्र के एडमिशन शुरू हो जाते हैं। इन सभी स्कूलों में जनवरी और फरवरी में 20% तक ही एडमिशन हुए हैं। वही स्कूल बंद होने से एडमिशन प्रक्रिया रोक दी गई है। कोरोना के कारण फिलहाल स्कूल बंद है।
अब गांवों में संक्रमण की निगरानी ग्राम पंचायत स्तर पर होगी
प्रदेश में कोरोना का संक्रमण शहरों से गांव की तरफ भी फैलता जा रहा है। यही वजह है कि अब गांवों में भी संक्रमण के आधार पर इसकी मॉनिटरिंग करने की व्यवस्था सरकार कर रही है। जिन गांवों में पांच से ज्यादा संक्रमित होंगे, वहां की मॉनिटरिंग जिला स्तर पर होगी। यहां क्वॉरेंटाइन सेंटरों की निगरानी जियो टैगिंग के जरिए की जाएगी। प्रदेश सरकार ने गांव में सर्दी, खांसी, बुखार सहित अन्य लक्षण वाले लोगों की संख्या बढ़ने पर प्रमुख सचिवों की ड्यूटी लगाई थी। इसमें उन्हें प्रत्येक जिले की ग्राम पंचायतों का भ्रमण करना था। इसी क्रम में अब कलेक्टरों को संक्रमण पर नियंत्रण करने की हिदायत दी गई है। गांव में संक्रमण के आधार पर कैटेगरी बनाने के लिए कहा गया है। इसके बाद अब ग्राम पंचायतों में जोन बनाए जा रहे हैं। इनमें पांच से अधिक संक्रमित मिलने पर रेड जोन, पांच से कम संक्रमित मिलने पर यलो जोन और कोई संक्रमित नहीं मिलने पर ग्रीन जोन बनाया जाएगा।