प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम।
पूर्व विधायकों को चाहिए दोगुनी सुविधाएं
भले ही माननीय पूर्व हो चुके हों, लेकिन वे अभी मिल रही सुविधाओं में दोगुनी वृद्धि चाहते हैं। यह वे पूर्व विधायक हैं, जो कहने को तो समाज सेवा के लिए राजनीति में आते हैं, लेकिन ओहदे पर आते ही खुद की सेवा की चिंता उन्हें होने लगती है। हालांकि उनकी यह मांगे बहुत पुरानी हैं, जो लंबित चल रही हैं। यह पूर्व विधायक लंबे समय से कई तरह की सुविधाओं की मांग कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि उनकी परिवार पेंशन 18 हजार रुपए से बढ़ाकर 35 हजार और चिकित्सा भत्ता 15 हजार रुपए से बढ़ाकर 30 हजार रुपए किया जाए। इसके अलावा वे प्रोटोकॉल सूची में उचित स्थान, हवाई यात्रा, रेल में प्रथम श्रेणी यात्रा, एमपी भवन दिल्ली में 13 दिन की सुविधा में वृद्धि के अलावा राष्ट्रीय राजमार्ग पर फास्ट टैग की नि:शुल्क सुविधा पाने की भी इच्छा रखते हैं। कहा तो यह भी जा रहा है कि उन्हें यह सुविधाएं मिलने लगती , लेकिन अभी उनमें खजाने की खराब माली हालत और कुछ मांगों में नियमों का पेंच आड़े आ रहा है।
जयस के 5 हजार युवा देंगे भाजपा व कांग्रेस को चुनौती
भले ही विधानसभा चुनाव की वैतरणी जयस के प्रमुख हीरा लाल अलावा को कांग्रेस की नाव पर सवार हो कर पार करनी पड़ी हो, लेकिन अब इस आदिवासी युवा संगठन ने मैदानी इलाके में पकड़ बनाने के लिए पंचायत चुनाव का रास्ता चुना है। जनप्रतिनिधियों के लिए सबसे निचली इकाई माने जाने वाले पंच के चुनाव में अब संगठन अपने पांच हजार युवाओं को उतारने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए संगठन द्वारा 89 विकासखंड की साढ़े 5 हजार पंचायतों का चयन किया है। यह सभी विकासखंड़ आदिवासी बाहुल्य हैं। जयस के सूत्रधार डॉ. आनंद राय का मानना है जयस समर्थित युवाओं के अधिक सरपंच चुने जाने से अगले विधानसभा चुनाव में पार्टी को बड़ा फायदा मिल सकता है। इसके लिए जयस द्वारा फिलहाल धार, झाबुआ, आलीराजपुर, बड़वानी, खरगोन, रतलाम, देवास, हरदा, खंडवा, बुरहानपुर, गुना, छिंदवाड़ा, बैतूल, डिंडोरी और मंडला जिलों के लिए यह पंचायत चुनाव लड़ने की योजना बनाई गई है।
कैलाश व नरोत्तम का जलवा
प्रदेश की व्यापारिक राजधानी इंदौर में भाजपा की एक बेहद ही गोपनीय और उच्च स्तरीय बैठक हुई। यह बैठक कितनी महत्वपूर्ण होगी कि इसमें गिने-चुने पार्टी नेताओं को ही बुलाया गया था। खास बात यह है कि इंदौर में हुई इस बैठक में जहां भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष व प्रदेश सरकार के मुखिया के रूप में शिवराज सिंह चौहान मौजूद थे, तो वहीं इसमें इंदौर से सिर्फ एक नेता राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय को ही बुलाया गया था, तो वहीं दूसरी ओर मंत्रिमंडल में से सिर्फ नरोत्तम मिश्रा को। इसकी वजह से अब इस बैठक को लेकर तरह-तरह के कयासों का दौर शुरू हो गया है। बैठक में विजयवर्गीय और मिश्रा को बुलाए जाने से इन दोनों नेताओं की अहमियत का अंदाजा उनके विरोधियों को एक बार फिर से हो गया है। उम्मीद की जा रही है कि बैठक में हुए निर्णय जल्द ही सामने आ सकते हैं।
सूदखोरों पर अब कसेगा कानून का शिकंजा
प्रदेश में पुलिस महकमा तमाम कानून होने के बाद भी असामाजिक तत्वों को लेकर वैसी सक्रियता नहीं दिखता है, जैसा की जनता देखना चाहती है। यही वजह है कि जब तक सरकार किसी मामले में सख्ती न दिखाए इस विभाग में हलचल ही नहीं होती है। हालात यह हैं कि सभी जानते हैं कि सतपुड़ा से लेकर बल्लभ भवन और उसके आसपास दिनभर सूदखोरों का जमावड़ा लगा रहता है, जो सरकारी कर्मचारियों की वेतन छीनने से लेकर उनके बैंक सबंधी दस्तावेज बतौर जप्त करने का काम करते हैं, लेकिन मजाल है कि पुलिस उन पर कोई शिकंजा कसने की हिम्मत दिखाती हो। अब इस मामले में गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा का दावा हैै कि सूदखोरी के खिलाफ पूरे प्रदेश में अभियान चलाया जाएगा। किसी भी साहूकार को नियम विरुद्ध काम करने की छूट नहीं दी जाएगी। उनका कहना है कि सरकार अधिनियम को संशोधित करके लागू भी कर चुकी है। कोई भी गैर पंजीकृत साहूकार न तो ब्याज की मांग कर सकता है और न ही सुरक्षा के लिए चल या अचल संपत्ति बंधक रख सकता है।
कहा नाथ ने कोरोना को लेकर सरकार दिखाए सख्त रुख
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कोरोना की तीसरी लहर की संभावना को देखते हुए सरकार पर निशाना साधा है। उनका कहना है कि सरकार को कोरोना के लिए लगाए गए प्रतिबंध एक साथ हटाने की जगह उनमें धीर-धीरे छूट देनी थी, लेकिन सरकार ने यकायक ही 17 नवंबर को तमाम लागू प्रतिबंधों को हटाने का निर्णय ले लिया। इसका मैने तभी यह कहते हुए विरोध किया था कि अभी खतरा टला नहीं है। तीसरी लहर और नए वैरिएंट की आशंका और खतरा अभी भी सिर पर है। कोरोना के नए केस वापस सामने आना शुरू हो गए हैं, सरकार को तत्काल सभी आवश्यक कड़े कदम उठाते हुए स्वास्थ्य सेवाओं की समीक्षा करनी चाहिए और सभी आवश्यक इंतजाम भी अभी से किए जाना चाहिए।