- प्रणव बजाज

माननीयों के मतगणना एजेंट बनने पर पाबंदी
पंचायत चुनाव में निष्पक्ष मतगणना कराने के लिए मप्र राज्य निर्वाचन आयोग ने मतगणना एजेंट बनने की गाइड लाइन जारी कर दी है। इसमें मंत्री, मंत्री दर्जा प्राप्त, सांसद, विधायकों के मतगणना एजेंट बनने पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी गई है। सिर्फ उन मंत्रियों को ही मतगणना केन्द्र में जाने की अनुमति होगी जो स्वयं अभ्यर्थी होंगे। इसके साथ ही मतगणना स्थलों की भी घोषणा कर दी गई है। इस बार सरपंच से लेकर जिला पंचायत सदस्यों की मतगणना ब्लॉक स्तर पर करने की व्यवस्था की जा रही है। इसके साथ ही हर राउंड की मतगणना के लिए एजेंटों को अलग-अलग कलर के पास जारी किए जाएंगे। खास बात यह है कि एक राउंड की गिनती के बाद उन्हें स्थल से बाहर जाना होगा। इसके साथ ही एजेंट मतगणना टेबल से इधर- उधर भ्रमण भी नहीं कर सकेंगे। इसी तरह से निर्वाचन प्रमाण पत्र के रंग भी तय कर दिए गए हैं।
निष्पक्षता व भ्रष्टाचार में मप्र पुलिस की बदनामी
मप्र में भले ही कानून के राज के कितने ही दावे किए जाएं, लेकिन कानून व्यवस्था का जिम्मा संभालने वाली पुलिस की ही भ्रष्टाचार व निष्पक्षता के मामले में बेहद दयनीय बनी हुई है। यह हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि यह कहना है इंडियन पुलिस फाउंडेशन (आइपीएफ) का। उसने हाल ही में एक सर्वे रिपोर्ट जारी की है, जिसमें स्मार्ट पुलिसिंग में मध्यप्रदेश को स्थान 29 राज्यों की सूची में 23 वां स्थान दिया है। इसके दस अंक के पैमाने में राज्य को औसत 6.15 अंक मिले हैं। इस मामले में 8.11 अंक के साथ आंध्रप्रदेश पहले तो 8.10 अंक के साथ तेलंगाना दूसरे नंबर पर है। इसी तरह से भ्रष्टाचार मुक्त सेवा में मप्र का स्कोर 5.19 है और स्थान 27वां है। निष्पक्ष कार्रवाई में भी मप्र पुलिस की स्थिति बेहद खराब खराब बताई गई है। निष्पक्षता में 5.91 अंक मिले हैं और देश में स्थान 24वां है। फाउंडेशन द्वार 29 राज्यों में पिछले पांच महीने के दौरान किए गए सर्वे में 1.61 लाख लोगों से दस मानकों पर पुलिस को कसौटी पर कसा था। मप्र में 1331 लोगों से राय जानी गई थी।
अब रामेश्वर ने अपने बयान पर दिया स्पष्टीकरण
भाजपा के हुजूर विस क्षेत्र से विधायक रामेश्वर शर्मा ने अपने कांग्रेसियों के घुटने तोड़ने के बयान के मामले फिर से स्पष्टीकरण दिया है। उनका कहना है कि कलखेड़ा निवासी इसरार अपराधी है। वह खुद को कलखेड़ा का शहंशाह समझता है। उसने 20 करोड़ की शासकीय जमीन बेच दी। इसके मामले में उस पर पुलिस द्वारा प्रकरण दर्ज कर जेल भी भेजा जा चुका है और उसे बचाने के लिए ही दिग्विजय सिंह कलखेड़ा जा रहे हैं। उनका कहना है कि इसरार लगातार गरीब हिन्दू परिवारों पर केस वापस लेने का दवाब बनाने के लिए उनके घर तुड़वाने की धमकी दे रहा था। उसकी कांग्रेस नेताओ में पकड़ इतनी मजबूत है कि दिग्विजय सिंह खुद उसके बुलावे पर कलखेड़ा उसके घर बिरयानी खाने गए थे। उनका कहना है कि इसरार ने गांव में बने महाराणा प्रताप की फोटो जड़ित गेट को अपमानित करके तुड़वा दिया है। उनका कहना है कि वे इन बातों की जानकारी मिलने पर कलखेड़ा नागरिकों को आश्वस्त करने गए थे कि किसी को भी किसी कांग्रेस नेता से डरने की जरूरत नहीं है।
पुलिस कमिश्नर प्रणाली पर नरोत्तम ने जताया आभार
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा प्रदेश के दो बड़े महानगर भोपाल व इंदौर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने की घोषणा का स्वागत करते हुए गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने उनके प्रति आभार जताते हुए धन्यवाद दिया है। नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि शहरों के भौगोलिक विस्तारीकरण, जनसंख्या में वृद्धि और नवीन संदर्भों में कानून व्यवस्था के समक्ष उभर रही चुनौतियों से प्रभावी तरीके से निपटने के साथ ही कानून व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण के लिए समय की मांग थी। इससे प्रदेश में पहले से बेहतर चल रही कानून व्यवस्था को और ताकत मिलेगी। यह बात अलग है कि इस तरह की घोषणा पहले भी कई बार की जा चुकी है। फिलहाल अचानक की गई घोषणा से सभी भौंचक हैं। इस मामले में इतनी गोपनीयता बरती गई की मंत्रियों तक को इसकी भनक तब लगी जब मुख्यमंत्री द्वारा इसकी घोषणा की गई।