बिहाइंड द कर्टन/अवैध रेत खनन मामले में दिग्विजय सिंह ने फिर साधा निशाना

  • प्रणव बजाज
 दिग्विजय सिंह

अवैध रेत खनन मामले में दिग्विजय सिंह ने फिर साधा निशाना
पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह ने एक बार फिर पन्ना में अवैध रेत खनन मामले में भाजपा नेताओं पर हमला किया है। उनका हमला इस बार पहले से तीखा है। उन्होंने यह हमला सीएम शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर बोला है। पत्र में सिंह ने लिखा है कि पन्ना जिले में अवैध रेत खनन के मामले में खनिज मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह को बर्खास्त किया जाए। उन्होंने इस पत्र में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा की भूमिका की जांच कराने की भी मांग की है। खास बात यह है कि इस पत्र में अब पन्ना कलेक्टर, एसपी व खनिज अधिकारी सहित अन्य अमले का तबादला कर जांच कराने की मांग की है। दिग्विजय सिंह ने लिखा कि पन्ना की अजयगढ़ तहसील में डेढ़ साल से अवैध रेत खनन हो रहा है। होशंगाबाद निवासी रसमीत सिंह मल्होत्रा को तीन साल के लिए पन्ना की रेत का ठेका 31 करोड़ रुपए में दिया गया है। यहां ठेकेदार ने रेत माफिया के साथ मिलकर डेढ़ साल में तीन हजार करोड़ रुपए की रेत बेची है। उन्होंने इस पत्र में उस शिकायत का भी उल्लेख किया है, जो लिखित में लोकायुक्त से की गई है।

संस्कारी पार्टी की महिला पदाधिकारियों ने लगाए ठुमके
भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में शुमार रहे भगवतशरण माथुर के निधन की खबर आते ही पूरी पार्टी शोकाकुल हो गई थी, उनका अंतिम संस्कार होते ही भाजपा महिला मोर्चा की कार्यकर्ता शोक से बाहर आने के लिए देर शाम इंदौर रोड पर स्थित एक रिसोर्ट में जा पहुंची और फिर ढोलक की थाप पर उनके द्वारा जमकर नाच गान किया गया।  खास बात यह है कि इनमें मोर्चा की भोपाल अध्यक्ष सहित अन्य नेत्रियां भी शामिल थीं। इन सभी को गम से बाहर आने की बेताबी इतनी थी के वे स्व. माथुर की चिता की आग ठंडी होने तक का इंतजार नहीं कर सकीं। रिसोर्ट में यह नेत्रियां पल्लो लटके रे…म्हारो पल्लो लटके…जैसे गानों पर ठुमके लगाती दिखीं। खास बात यह है कि इस दौरान पार्टी के भी दो वे नेता भी मौजूद बताए जा रहे हैं जो इन दिनों प्रदेश संगठन की आंखों के तारे बने हुए हैं। रिसोर्ट में भाजपा जैसी संस्कारी पार्टी का तमगा लगाकर घूमने वाली इन महिला नेत्रियों के ठुमके लगाने वाला यह वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है।

और नेता जी की कुर्सी लगा दी पीछे …
राजनीति में कुर्सी का अहम रोल होता है। कुर्सी से ही नेताओं की महिमा गयी जाती है और कुर्सी की वजह से ही लोग उनके आगे पीछे घूमते नजर आते हैं। यह कुर्सी ही तो है जिसकी वजह से नेताओं को यश, अपयश, धन , वैभव सब कुछ मिलता है और लोकतंत्र में राजसी सुख भोगने को मिलता है। अब एक मामला ऐसा ही कुर्सी का है, जिसको लेकर लोग चटकारे ले रहे हैं। दरअसल मामला भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति बैठक का है। इस बैठक में मंच पर जो कुर्सियां नेताओं के लिए लगाई गई थीं उनमें एक कुर्सी उन नेता जी के लिए थी, जिनकी वजह से प्रदेश में भाजपा को फिर से सरकार नसीब हुई है। यह कुर्सी पीछे की लाइन में किसी दिलजले द्वारा लगा दी गई थी।  सत्ता व संगठन के आला नेताओं को जब इसका पता चला तो उन्होंने फौरन ही कुर्सी को खींच कर पहली कतार में लगवा दी। यह तो अच्छा हुआ तब तक वे नेता जी बैठक में नहीं पहुंचे थे। फिलहाल मामला तूल पकड़ने से बच गया। भाई लोग अब इसी बात के फंसाने बनाने में लगे हैं।

जब मंत्री जी को टीवी पर दिखने की चाहत पड़ी भारी  
शिव सरकार के एक मंत्री बेहद बड़बोले हैं। उन्हें प्रचार पाने की भूख भी खूब रहती है। यह भूख उन्हें भारी पड़ गई। दरअसल मामला प्रधानमंत्री के तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के तत्काल बाद का है। इन कानूनों को वापस लेने का ऐलान होते ही कांग्रेस नेताओं की प्रतिक्रियाएं आना शुरू हो गई थीं, लेकिन भाजपा में पार्टी लाइन नहीं आ पाने की वजह से उसके नेता कुछ भी बोलने को तैयार नहीं थे, लिहाजा मंत्री जी ने इस मौके का फायदा उठाने के लिए अपने बयान का वीडियो बनाकर जारी कर दिया, लिहाजा सभी टीवी चैनलों पर उनकी प्रतिक्रिया दिखाई जानी लगी। फिर क्या था मंत्री जी संगठन के निशाने पर आ गए। उन्हें न केवल तलब कर लिया गया, बल्कि उन्हें नसीहत तक की घुट्टी पिला दी गई। इसके बाद से नेता जी का प्रचार प्रेम सोया पड़ा हुआ है।

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