- प्रणव बजाज
कांग्रेस के लिए देश, संविधान, कानून सब गांधी परिवार
कांग्रेस नेता व पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने ट्वीट पर पलटवार करते हुए गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा है कि कांग्रेस के लिए देश, संविधान, कानून सब गांधी परिवार ही है, इसलिए उन्ही की रक्षा के लिए कांग्रेस हर समय जुटी रहती है। उनका कहना है कि इस गांधी परिवार की महिमा भी अपरंपार है, फिरोज जी के यह वंशज कभी कश्मीरी पंडित हो जाते है तो कभी खुद को गांधी का वंशज बताते है। दरअसल पूरी लड़ाई ही असली और नकली गांधी को लेकर है। देश, संविधान सब कुछ कांग्रेसियों के लिए यही इच्छाधारी गांधी परिवार है। यह बात देश की जनता भी समझ चुकी है इसलिए कांग्रेस अब देश की राजनीति में अप्रसांगिक होती जा रही है। दरअसल दिग्विजय सिंह ने राहुल गांधी से पूछताछ पर कहा है कि कांग्रेस ने पहले देश की आजादी के लिए आंदोलन किया और अब संविधान, कानून की रक्षा के लिए आंदोलन कर रही है।
बजा रहे चैन की वंशी
राजधानी में सिपाही से लेकर थाना प्रभारी तक की नौकरी करने वाले पुलिस वाले साहब पर आला अफसरों की मेहरबानी ऐसी है कि वे शायद कभी ही मैदानी पदस्थापना से बाहर रहे हों। भले ही आला अफसर कोई भी रहा हो। यह थाना प्रभारी जिस थाने में रहे हैं किसी न किसी कारण से बेहद चर्चा में आ ही जाते हैं। साहब की कार्यप्रणाली ही है ऐसी। हाल ही में इन थाना प्रभारी के इलाके में बैखोफ बदमाशों से एक महिला पर पति के सामने भीड़भाड़ वाले इलाके में चेहरे पर ऐसा हमला किया कि महिला को एक सैकड़ा से अधिक टांके लगवाने पड़ गए, लेकिन पुलिस महिला की जगह आरोपियों के पक्ष में खड़ी नजर आयी। पुलिस ने मामूली धाराओं में प्रकरण दर्ज कर लिया, जबकि हमलावर बेहद शातिर और आदतन इलाके का बड़ा बदमाश है। हो हल्ला मचा तो मामला सीएम हाउस तक पहुंच गया, जिसके बाद आला अफसरों को तलब किया गया जिसके बाद धाराएं बढ़ सकीं। इसके बाद भी थाना प्रभारी का कुछ नहीं बिगड़ा बल्कि वे चैन की वंशी बजा रहे हैं। लंबे समय से लाइन में थाने का इंतजार कर रहे निरीक्षक यह नहीं समझ पा रहे हैं कि आखिर इन थाना प्रभारी में ऐसा क्या है जो उनमें नहीं हैं।
और मांगते घूम रहे चंदा
सूबे में अब तक के सबसे विवादास्पद आईएएस अफसरों की सूची में शामिल रहे एक पूर्व अफसर इन दिनों बेहद परेशान घूम रहे हैं। इन अफसर को उनकी ही बिरादरी वाले अफसर कई तरह के नामों से संबोधित करते हैं। नौकरी में रहते वे हमेशा सरकार के लिए भारी सिरदर्द बने रहे, लेकिन फिर भी सरकार ने उन पर कभी सख्ती नहीं दिखाई। अब सेवानिवृत्त होने के बाद साहब को फिल्म बनाने का शौक ऐसा लगा कि खुद का ही प्रोडक्शन हाउस बना डाला। फिल्म की भी घोषणा कर डाली। साहब ने अपनी पूरी पूंजी उसमें लगा दी , लेकिन फिल्म है कि पूरी ही नहीं हो पा रही है। अब साहब इस फिल्म को पूरा करने के लिए अपने सजातीय अफसरों के दर पर दस्तक देकर आर्थिक मदद के नाम पर चंदा मांगते घूम रहे हैं, लेकिन अब तक उन्हें कहीं से कोई चंदा नहीं मिल पाया है। साहब की मुसीबत यह है कि यह अफसर भी उनकी मदद को तैयार नहीं हो रहे हैं। हालत यह है कि अब तो उनके आने की खबर मिलते ही साहब लोग परेशान हो उठते हैं।
और बेदखली पड़ गई भारी
राजधानी के एक नामचीन स्कूल में कार्रवाई होने से पालकों से लेकर शहर के लोग भी खुश है, वजह है स्कूल प्रबंधन की मनमानी। यह बात अलग है कि यह कार्रवाई भी मजबूरी में की गई है। दरअसल स्कूल प्रबंधन ने अपने एक कर्मचारी को नौकरी से बेदखल कर दिया था। यह कर्मचारी एक बेहद रसूखदार परिवार से वास्ता रखता है , सो उसने स्कूल का पूरा काला चिट्ठा खोल दिया। मजबूरी में विभाग को कार्रवाई करनी पड़ गई। कार्रवाई हुई तो कई चौकाने वाले तथ्य सामने आ गए । अब विभाग ने अन्य तरह के मामलों की जांच के लिए उनसे संबधित विभागों को दस्तावेज सौंप दिए हैं। अब दूसरे विभाग भी इस मामले में अपने स्तर पर तैयारियां करने में जुट गए हैं। दरअसल इस स्कूल का संचालन एक कारपोरेट घराने द्वारा किया जाता है, जिसका रसूख राज्य की सरकार के अलावा दोनों प्रमुख दलों के नेताओं में रहता है। इसकी वजह तो नेता और अफसर ही जाने , लेकिन यह पहला मौका है जब स्कूल प्रबंधन को बेदखली भारी पड़ गई है।