बिहाइंड द कर्टन/केन्द्र सीधे कर सकेगा आईएएस-आईपीएस की प्रतिनियुक्ति

  • प्रणव बजाज
केन्द्र

केन्द्र सीधे कर सकेगा आईएएस-आईपीएस की प्रतिनियुक्ति
अब तक केन्द्र में पदस्थ अफसरों की प्रतिनियुक्ति के पहले संबंधित राज्य सरकारों से अनुमति लेने का नियम है, लेकिन अब इसमें बदलाव करने की तैयारी की जा रही है। इस बदलाव के बाद केंद्र सरकार अखिल भारतीय सेवा के इन अफसरों की सीधे प्रतिनियुक्ति कर सकेगा। फिलहाल इस बदलाव के पहले राज्यों से सुझाव मांगे गए हैं। सुझाव मांगने वाले राज्यों में मप्र भी शामिल है, लेकिन अब तक इस मामले में राज्य सरकार असमंजस बनी हुई है। यही वजह है कि अब तक इस मामले में राज्य की तरफ से केंद्र को सुझाव या जवाब नहीं भेजा गया है। दरअसल केंद्रीय कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने सभी राज्यों को 12 जनवरी को पत्र लिखकर भारतीय प्रशासनिक सेवा (कैडर) नियम 1954 के नियम 6 (कैडर अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति) में संशोधन के प्रस्ताव की जानकारी भेजी है। इसमें राज्यों से सुझाव मांगा गया है, ताकि बदलाव में जरूरी संशोधन शामिल किए जाए।

और दिग्विजय को सुनानी पड़ी रामधुन
हिन्दु और हिन्दुत्व को लेकर दिए गए बयानों की वजह से अक्सर चर्चा में रहने वाले सूबे के पूर्व मुखिया दिग्विजय सिंह अक्सर चर्चा में रहते हैं , लेकिन इस बार उनकी चर्चा हो रही है रामधुन की वजह से। दरअसल वे बीते दिन सीहोर में पार्टी के सदस्यता अभियान में शामिल होने गए थे। अभियान की शुरुआत में ही उनके वहां मौजूद कार्यकर्ताओं से रामधुन सुनाने का आग्रह कर दिया। जब कोई भी कार्यकर्ता रामधुन नहीं गा सका तो फिर स्वयं सिंह ने ही माइक थाम लिया और रामधुन गाना शुरू कर दिया। फिर क्या था कांग्रेस कार्यालय राम धुन से गूंज उठा। इसके बाद जो भी कांग्रेस कार्यालय के पास से गुजरता राम धुन सुनकर चौंक जाता। इस दौरान उनके द्वारा राम धुन के रूप में भजन रघुपति राघव राजाराम… पतित पावन सीताराम… गाकर सुनाया। यह बात अलग है कि वे समय -समय पर यह दावा करते रहते हैं कि एक सनातनी हिंदू हैं और  पूजा-पाठ से ही अपने दिन की शुरुआत करते हैं।

नरोत्तम का दिग्विजय पर पलटवार  
प्रदेश की नई शराब नीति के बाद से ही पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह सरकार के साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती को लेकर सवाल खड़े कर रहे हैं। इस पर गृहमंत्री  डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने पलटवार करते हुए उन पर बड़ा हमला बोला है। उनका कहना है कि उन्हें अपने ही पार्टी के तत्कालीन मंत्री उमंग सिंघार का वह बयान याद करना चाहिए जिसमें उनके द्वारा खुद ही यह पहले ही बताया जा चुका है कि दिग्विजय सबसे बड़े शराब माफिया हैं। गृहमंत्री ने मीडिया से चर्चा में कहा कि नई आबकारी नीति से परेशानी भी उन्हें है, जो अवैध शराब का व्यापार कर रहे हैं अथवा इस तरह के लोगों को संरक्षण देते हैं। इसलिए सबसे ज्यादा तकलीफ उन्हें हो रही है, जो स्वाभाविक भी है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और दिग्विजय सिंह नई आबकारी नीति को लेकर उमा भारती से सवाल कर रहे हैं, जबकि उन्हें उमंग सिंगार से करना चाहिए। वही बता देंगे कि असलियत क्या है। दरअसल जबसे नई नीति लागू हुई है, दिग्विजय सबसे ज्यादा बेचैन हैं। उनकी बेचैनी की वजह है उनके भाई लक्ष्मण सिंह द्वारा नई आबकारी नीति की तारीफ करना।

पंचायतों में ओबीसी मतदाताओं की औसत संख्या 45  फीसदी
मप्र पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग के पास अब तक जो आंकड़े आए हैं उनसे पता चल रहा है कि प्रदेश की पंचायतों में औसत रुप से ओबीसी वर्ग के मतदाताओं का आंकड़ा 45 फीसदी के आस पास है। खास बात यह है कि इसके अलावा प्रदेश के दस जिलों की पंचायतों में 70 से 80 फीसदी या इसके आसपास वोटर अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के बताए जा रहे हैं। इस समय पंचायतों में वोटरों की कुल संख्या 3 करोड़ 92 लाख 51 हजार 811 है। यानी इनमें से करीब 1.76 करोड़ वोटर ओबीसी वर्ग का है। पिछड़ा वर्ग कल्याण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रामखेलावन पटेल का कहना है कि फरवरी के पहले पखवाड़े में आंकड़ों को अंतिम रूप दे दिया जाएगा। जिन 10 जिलो की पंचायतों में ओबीसी वोटरों की संख्या ज्यादा निकली है, वे दमोह, टीकमगढ़, छतरपुर, बालाघाट, अशोक नगर, विदिशा, श्योपुर, शिवपुरी, दतिया और शाजापुर हैं।

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