- प्रणव बजाज
प्रदेश को सहयोग से मिले छह हजार सिंगल यूज वेंटिलेटर
कोरोना काल में गम्भीर मरीजों के लिए वेंटिलेटर नहीं मिलने से कई मरीजों की मौत हो गई। इस कमी को पूरा करने के लिए अमेरिकन इंडिया फाउंडेशन के सहयोग से ऐसे छह हजार वेंटिलेटर और तीन हजार मॉनीटर मिले हैं। यह वेंटिलेटर प्रदेश के अस्पतालों में उपयोग किए जाएंगे। इन वेंटिलेटर में खास बात यह है कि इन्हें मरीज के डिस्चार्ज होते ही निष्पादित कर दिया जाएगा। यह सिंगल यूज वेंटिलेटर बिना बिजली के भी बैटरी से काम करेगा। साथ ही इससे मरीजों में वेंटिलेटर के जरिए संक्रमण की संभावना भी नहीं रहेगी। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी ने बताया कि इन वेंटिलेटरों को जिलों को भेजा जाएगा। दरअसल इस तरह के सिंगल यूज वेंटिलेटर पर अब तक अमेरिका सहित दूसरे देशों में मरीजों का इलाज किया जाता रहा है। लेकिन अब सहयोग से यह वेंटिलेटर प्रदेश में यूज किए जाएंगे।
अरे ये क्या नाइंसाफी
प्रदेश में आयुष डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ के साथ नाइंसाफी साफ देखी जा रही है। दरअसल कोरोना काल में संकट से निपटने और डॉक्टर्स की कमी के चलते आयुष डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ से सरकार काम तो ले रही है लेकिन ना तो उन्हें समय पर मानदेय मिल रहा है और ना ही रोज मिलने वाले भत्ते की राशि उनके खाते में जा रही है। भोपाल में ही करीब 45 डॉक्टर ड्यूटी पर हैं, जबकि प्रदेशभर में इनकी संख्या सात सौ के करीब है। इसी तरह पैरामेडिकल स्टाफ को भी काम पर लगाया गया है। शासन के कोविड सेंटर, फीवर क्लीनिक और मेडिकल कॉलेजों में ड्यूटी करने वाले इन आयुष डॉक्टरों को केवल 25 हजार रुपए महीना मानदेय मिल रहा है। वहीं पैरामेडिकल स्टाफ को मात्र 15 हजार रुपए मासिक दिया जा रहा है। वहीं दूसरे राज्यों की बात की जाए तो महाराष्ट्र, बिहार और दिल्ली में इन डॉक्टरों को चालीस हजार से एक लाख रुपए तक मानदेय दिया जाता है। लगातार मानदेय बढ़ाने की मांग के बावजूद एनएचएम ने अब तक कोई फैसला नहीं लिया है। यही वजह है कि जिलों में कार्यरत आयुष डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ में नाराजगी है।
विधायक राहुल लोधी ने लगाया सीएमएचओ पर धांधली का आरोप
टीकमगढ़ जिले के खरगापुर विधानसभा क्षेत्र के विधायक एवं पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के भतीजे राहुल सिंह लोधी ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर जिला अस्पताल में हो रही धांधली से अवगत कराया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि जिला अस्पताल में सीएमएचओ द्वारा खरीद में धाँधली की जा रही है। अस्पताल में दलाल सक्रिय हैं, इन दलालों से अस्पताल को मुक्त करना है। दलालों के प्रभाव में आकर डॉक्टर महंगी दवाइयां लिख देते हैं। ऐसे में क्षेत्र की गरीब जनता को दुगने दामों पर दवाइयां लेने को मजबूर किया जाता है। आम जनता को राहत दिलाना है, साथ ही जो डॉक्टर इन दलालों के प्रभाव में आकर महंगी-महंगी दवाइयां लिख देते है उन्हें जिला अस्पताल टीकमगढ़ से मुक्त करवाना है। यही नहीं विधायक राहुल ने छह बिंदुओं पर जाँच की माँग भी की है। राजनीतिक गलियारों में इस पत्र की चर्चा तो है ही साथ ही इसे उमा भारती से जोड़कर भी देखा जा रहा है।
पूर्व महापौर आलोक का छलका दर्द, नहीं सुनते ब्यूरोक्रेट्स
कोरोना के खिलाफ जारी युद्ध में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पंचायत प्रतिनिधियों, पूर्व महापौर सहित नगरीय निकायों के पूर्व पदाधिकारियों से मोर्चा संभालने की अपील की है। उन्होंने कहा कि उन्होंने कहा कि पंच-सरपंच, जनपद जिला-पंचायत प्रतिनिधियों और नगरीय निकायों के पूर्व पदाधिकारियों की मदद के बिना यह युद्ध नहीं जीता जा सकता। उन्होंने जनप्रतिनिधियों को अपने-अपने क्षेत्र का सेनापति बताते हुए 31 मई तक शहर,गांवों को कोरोना मुक्त करने का टारगेट सौंपा है। हालांकि जनप्रतिनिधियों की अपनी समस्या है। इस समस्या से भोपाल के पूर्व महापौर सहित कई निर्वाचित रहे पार्षद और अध्यक्ष भी इत्तेफाक रखते हैं दरअसल आलोक शर्मा का कहना है कि अफसर अपनी अलग शैली में ही काम करते हैं। बिना पॉवर के सुनते नहीं हैं, न ही काम में कोई सहयोग करते हैं। जबकि जनता के नुमाइंदों का समाज की नब्ज पर हाथ रहता है। यदि निकायों का कार्यकाल बढ़ जाता तो हम लोग कोरोना को परास्त करने में ज्यादा उपयोगी साबित होते।