- हरीश फतेहचंदानी
दलाली पर लगी रोक
प्रदेश में औद्योगिक विकास करने वाले विभाग की छवि दलाली की बन गई थी। लेकिन जबसे इस विभाग में 2009 बैच के आईएएस अधिकारी मनीष सिंह पदस्थ हुए हैं, उन्होंने विभाग की छवि पर लगे दाग को हटाना शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में उन्होंने विभाग के इंसेंटिव कक्ष में सीए, सीएस के साथ ही इंडस्ट्रियल कंसल्टेंट और एजेंट के प्रवेश पर रोक लगा दी है। साथ ही कंपनी, इंडस्ट्री को ईमेल से सूचित कर दिया गया है कि वह इनकी तकनीकी सहायता लेना चाहती है तो लें, लेकिन यहां इंसेंटिव कक्ष में अपने नियमित, कर्मचारी को ही भेजें। यहां केवल उन्हीं को प्रवेश दिया जाएगा। साथ ही अधिकृत कर्मचारी जो यहां आएगा उसकी सूचना भी भेजें। हालांकि यह आदेश कुछ दिन पहले का है, लेकिन कंपनियों के पास पहुंचने पर अब यह सामने आया है। दरअसल इंडस्ट्री लगने पर कंपनी को शासन के विविध नियमों के तहत इंसेंटिव दिया जाता है, जो करोड़ों में होता है। इसे रिलीज करने के नाम पर चार फीसदी कमीशन कंपनी से लेने की शिकायतें एमडी स्तर पर पहुंच रही थी। इससे विभाग की छवि खराब हो रही थी, क्योंकि यह कमीशन इसी बात पर मांगा जा रहा था कि भोपाल में देना पड़ता है।
खुली तौल की पोल
महाकौशल के खनिज संपदा से भरे एक जिले में समर्थन मूल्य में गेहूं खरीदी में हो रही धांधली की पोल उस समय खुल गई जब अचानक कटनी कलेक्टर अवि प्रसाद एक खरीदी केंद्र पर आ धमके। 2014 बैच के ये आईएएस अधिकारी जबसे जिले में कलेक्टर बनकर आए हैं, उनके नवाचार लोगों को खूब भा रहे हैं। उन्होंने कई ऐसे काम किए हैं, जिसको सरकार से भी सराहना मिली है। साहब के पास लगातार शिकायत पहुंच रही थी कि जिले के खरीदी केंद्रों पर किसानों के साथ तरह-तरह की धांधली की जा रही है। फिर क्या था, एक दिन साहब समर्थन मूल्य पर की जा रही खरीदी का जायजा लेने के लिए एक उपार्जन केंद्र पहुंच गए। निरीक्षण के दौरान कलेक्टर ने वेयर हाउस और उपार्जन केंद्र में तौल कांटे और मोस्चर की जांच कराई। जिसमें तौल कांटे की पोल खुल गई। तौल कांटे में गड़बड़ी करके किसानों से ज्यादा गेहूं लिया जा रहा था। साहब ने तत्काल समिति और अफसरों के खिलाफ नोटिस जारी कर दिया।
मैडम की चुप्पी का खौफ
निमाड़ क्षेत्र के जिले बुरहानपुर की कलेक्टर भव्या मित्तल इन दिनों काफी चर्चा में हैं। एक तो जंगल में अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कार्रवाई के कारण वे चर्चा में हैं ही साथ ही विगत दिनों जनसुनवाई में अकेले आधा सैकड़ा से अधिक लोगों की समस्याओं को सुनकर और उनका समाधान कर मैडम चर्चा में आ गई हैं। दरअसल, जिले की अफसरशाही भर्राशाही के लिए जानी जाती है। खासकर जनसुनवाई विभागीय अफसरों के लिए औपचारिकता बनती जा रही है। 2014 बैच की उक्त महिला आईएएस अधिकारी अचानक गत दिनों जनसुनवाई में पहुंची तो अफसरों की कई कुर्सी खाली पड़ी रहीं। यह स्थिति देख कलेक्टर मैडम ने सभी विभागों से संबंधित समस्या सुनी और अफसरों को इसके निराकरण के निर्देश दिए। फिर मैडम चुपचाप चली गईं। मैडम का बिना कुछ कहे चला जाना अफसरों को तूफान से पहले की खामोशी महसूस हुई और उन्होंने अगले दिन मैडम से जाकर क्षमा मांगी।
जिद करो दुनिया बदलो
जिद करो दुनिया बदलो वाली पंक्ति आपने कई संदर्भों में सुनी होगी, लेकिन वर्तमान समय में ये पंक्तियाँ राजधानी के पड़ोसी जिले रायसेन के कलेक्टर अरविंद दुबे पर सटीक बैठती हैं। 2012 बैच के प्रमोटी आईएएस अधिकारी ने जब जिले की कमान संभाली तो उन्हें बताया गया कि जिले में टीबी एक गंभीर समस्या है। फिर क्या था, साहब ने जिले के टीबी मुक्त बनाने का संकल्प लिया। अपने संकल्प को साकार करने के लिए उन्होंने लगातार काम किया। इसके लिए रायसेन जिले में 123 निक्षय मित्र बनाए गए हैं, जिनमें जनप्रतिनिधि, चिकित्सक, अधिकारी, कर्मचारी तथा आम नागरिक भी शामिल हैं। इन निक्षय मित्रों ने टीबी रोगियों को पोषण सहायता के लिए 894 फूड बास्केट का वितरण किया है। इसका असर यह हुआ कि प्रधानमंत्री टीबी मुक्त अभियान में जिले का उत्कृष्ट प्रदर्शन रहा। इसके लिए गत दिनों राजभवन में आयोजित सम्मान समारोह में कलेक्टर को महामहिम ने अवॉर्ड देकर सम्मानित किया।
एक कुर्सी, तीन दावेदार
प्रदेश में राज्य निर्वाचन आयोग के अध्यक्ष की कुर्सी जल्द ही खाली होने वाली है। दरअसल, वर्तमान समय में जो अफसर इस कुर्सी पर बैठे हैं, उनका कार्यकाल समाप्त होने वाला है। इसकी खबर लगते ही कुछ पूर्व आईएएस अधिकारियों ने इस कुर्सी को पाने के लिए जोर आजमाइश शुरू कर दी है। सूत्रों का कहना है कि इस रौबदार कुर्सी को पाने के लिए वर्तमान समय में 3 आईएएस अफसरों की दौड़ चल रही है। प्रदेश के दो अफसर इस कुर्सी की चाहत में पूरा दम लगा रहे हैं। एक अफसर ने संघ के अपने संबंधों का इस्तेमाल कर लिया है। दूसरे अफसर ने दिल्ली के कांटेक्ट को सक्रिय कर दिया है। तीसरे एक अहम किरदार हैं, जो इस कुर्सी पर बैठने वाले हैं। यदि यह अफसर ईमानदारी से सक्रिय हो गए तो अन्य सारे दावे ध्वस्त हो सकते हैं। दरअसल, नए दावेदार फिलहाल सरकारी नौकरी में पदस्थ हैं, लेकिन अगले महीने यदि उन्हें एक्सटेंशन नहीं मिला तो सीएम के चहेते अफसरों में शुमार इन साहब का दावा बाकी सारे दावों पर पानी फेर सकते हैं। उनको एक्सटेंशन नहीं मिला तभी इन सभी के दावे मजबूत हो सकते हैं।