बा खबर असरदार/भैंस चोरी से दुखी मंत्री जी

  • हरीश फतेह चंदानी
 मंत्री जी

भैंस चोरी से दुखी मंत्री जी
प्रदेश में इन दिनों शासन-प्रशासन चुनावी मोड में है। ऐसे में सरकार उन कामों पर अधिक फोकस कर रही है, जिनका लाभ चुनाव में मिल सकता है। इसी के मद्देनजर इन दिनों मुख्यमंत्री सुबह-सुबह अफसरों से चर्चा कर रहे हैं। इसी कड़ी में विगत दिनों जब सीएम ने मॉर्निंग एक्शन बैठक में शाजापुर जिले के प्रशासनिक अधिकारियों की क्लास लगाई थी, उसी दौरान कार्यक्रम से जुड़े एक मंत्रीजी ने क्षेत्र में चोरी की घटनाओं का मुद्दा उठाया। लेकिन सबसे अहम यह रहा कि मंत्रीजी सबसे अधिक भैंस की चोरी पर दुखित हैं। जब क्षेत्र में विकास की योजनाओं पर चर्चा हो रही थी, ऐसे में मंत्रीजी द्वारा भैंस चोरी की घटनाओं का जिक्र करने से अफसर भी असमंजस में पड़ गए। हालांकि मौके की नजाकत को देखते हुए मुख्यमंत्री ने चोरी की वारदातों पर रोक को लेकर नाराजगी जाहिर की। लेकिन बैठक के बाद अब प्रदेश की राजनीतिक और प्रशासनिक वीथिका में यह चर्चा जोरों पर है कि आखिरकार मंत्रीजी को भैंस चोरी का इतना दुख क्यों हो रहा है।

क्या फिर बबूल के नीचे आम मिलेगा?
मप्र की राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री एक बार फिर पदयात्रा की तैयारी कर रहे हैं। गौरतलब है कि 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले इन माननीय ने अपनी पार्टी को सत्ता में वापसी कराने के लिए नर्मदा  जी की पैदल परिक्रमा की थी। इसका फल भी मिला था और उनकी पार्टी सत्ता में वापस लौटी थी। अब 2023 में विधानसभा चुनाव होने हैं। सूत्रों का कहना है कि 2018 में पैदल परिक्रमा से 110 विधानसभा सीटों को साधने से उत्साहित माननीय अब एक बार फिर से पदयात्रा करने की ठान चुके हैं। इस बार ये किसी धार्मिक स्थल या नदी की बजाय जनता के दर पर पैदल पहुंचेंगे। माननीय की प्लानिंग के अनुसार वे अक्टूबर में अपनी पदयात्रा शुरू करेंगे। इस पदयात्रा के माध्यम से उन्होंने अबकी बार 200 पार का लक्ष्य भी तय किया है। हालांकि माननीय की पदयात्रा पर उन्हीं की पार्टी के कुछ लोग कटाक्ष भी कर रहे हैं कि हर बार बबूल के नीचे आम नहीं मिलता है। उधर, अपनी धुन के पक्के माननीय ने अपने शागिर्दों को यात्रा की तैयारी करने का निर्देश दे दिया है। अब देखना यह है कि यह यात्रा माननीय और उनकी पार्टी के लिए कितनी फायदेमंद होती है।

रेप के आरोपी को अहम जिम्मेदारी
मप्र वाकई अजब है, गजब है। इसको इस बार बिजली विभाग ने सिद्ध किया है। अभी तक विभागीय मंत्री अपनी अजीबोगरीब हरकतों के कारण चर्चा में थे, अब विभाग में रेप के आरोपी को अहम जिम्मेदारी देकर विभाग चर्चा में आ गया है। दरअसल, गत दिनों बिजली वितरण कंपनी ने प्रशासनिक सर्जरी हुई। बिजली विभाग ने सालों से एक ही जगह पर जमे 25 अधिकारियों का तबादला किया गया है। कंपनी के चीफ जनरल मैनेजर के इसमें आदेश जारी किए गए हैं।  वहीं बिजली विभाग पर सवाल भी उठने लगे हैं। कई अधिकारियों को साइडलाइन किया गया, तो कईयों को बड़ी जिम्मेदारी दी गई। इनमें से एक वह अधिकारी भी हैं, जिन पर हाल ही में रेप के आरोप लगे हैं। इन साहब को मंडीदीप इंडस्ट्रियल एरिया का डीजीएम बनाया गया  है, जबकि 7 मई को एक महिला ने साहब पर शादी का झांसा देकर दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था। साहब पर अशोका गार्डन थाना क्षेत्र में मामला दर्ज है। अब तक उसकी गिरफ्तारी नहीं हुई है, उल्टा बिजली कंपनी ने सजा की जगह उन्हें बड़ी जिम्मेदारी देकर उपकृत जरुर कर दिया है।

बड़े बेआबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले
बड़े बेआबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले। बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले। शायर की यह पंक्तियां 1997 बैच के एक आईपीएस अफसर पर सटीक बैठती हैं। आज से करीब 5 माह पहले तक साहब की प्रशासनिक वीथिका में अच्छी छवि थी। लेकिन साहब को न जाने ऐसी क्या धुन समाई कि एक जोन के आईजी बनाए गए 2002 बैच के आईपीएस की जगह स्वयं पदस्थ होने की ठान ली। 2002 बैच वाले साहब अपना पदभार संभालते उससे पहले ही 1997 बैच वाले साहब ने एक केंद्रीय मंत्री से सिफारिश लगाकर अपनी पदस्थापना करा ली। साहब ने पद तो संभाल लिया, लेकिन वे अपना कर्तव्य  भूल गए। इस कारण वे सरकार के निशाने पर आ गए। पदस्थापना के बाद से ही साहब अपनी सुस्ती के कारण चर्चा में बने रहे। इनकी यह सुस्ती ही अंतत: उन पर भारी पड़ी और एक बड़े कांड के बाद उन्हें चलता कर दिया गया। वह भी निष्क्रियता का ऐसा दाग लगाकर कि अब वे चाहकर भी सरकार की गुड बुक में नहीं आ सकते हैं।  

ससुराल में बनेगी चुनावी रणनीति
अगर यह कहा जाए कि प्रदेश की संस्कारधानी भाजपा की ससुराल है तो इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। इसकी वजह यह है कि पार्टी के राष्ट्रीय और प्रदेश अध्यक्ष की ससुराल संस्कारधानी में ही है। लेकिन विडंबना यह है कि विधानसभा चुनाव 2018 में सत्ता की चौखट से कुछ सीटें दूर रह गई भाजपा को महाकौशल से झटका लगा था। इसी महाकौशल में अब दो जून को यूथ सम्मेलन में दम दिखाने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पहुंच रहे हैं।  विधानसभा चुनाव 2023 से पहले पार्टी सभी कील-कांटे दुरुस्त कर लेना चाहती है। इसलिए पार्टी अध्यक्ष ने अपनी ससुराल से ही अभियान शुरू करने का मन बनाया है। बताया जाता है कि माननीयों के दिशा-निर्देश पर पार्टी ने महाकौशल अंचल में पैर मजबूत करने की रणनीति बनानी शुरू कर दी है। पहले जनजातीय समुदाय, दलित, पिछड़ा वर्ग के बाद अब युवाओं को साधने पर फोकस हो रहा है। युवा मोर्चा का युवा कनेक्ट अभियान इसी का हिस्सा है। सूत्रों का कहना है कि अध्यक्ष की पहल पर संस्कारधानी में ही इस बार 200 पार की रणनीति बनेगी, जिसे प्रदेशभर में लागू किया जाएगा।

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