बा खबर असरदार/साख नहीं बचा पाईं

  • हरीश फतेह चंदानी
महिला आईएएस अधिकारी

साख नहीं बचा पाईं
अभी हाल ही में हजारों की संख्या में आए अक्रिमणकारियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करके चर्चा में आईं 2014 बैच की महिला आईएएस अधिकारी अपनी और अपने जिले की साख नहीं बचा पाईं। गौरतलब है की मैडम ने अभी पिछले ही महीने ही निमाड़ क्षेत्र के आदिवासी बहुल जिले की कलेक्टरी संभाली है। मैडम ने पदभार संभालने के साथ ही जिले को बेहतर बनाने का प्रयास शुरू कर दिया था।  लेकिन अभी हाल ही में आई सीएम हेल्प लाइन की रेटिंग ने मैडम की मेहनत पर पानी फेर  दिया है।  हालांकि सीएम हेल्पलाइन की नवंबर माह की रेटिंग जारी हुई है।  जारी हुई रिपोर्ट में जिला चौथे नंबर पर आया है। जबकि पिछले साल आठ बार जिला नंबर वन पर रहा, जो इस बार क्रम से नीचे खसक गया। अब मैडम के सामने चुनौती है कि वे पुरानी साख को कायम करें।

चूड़ी टाइट करने में जुटे साहब
2011 बैच के आईएएस अधिकारी जबसे महाकौशल क्षेत्र के सबसे बड़े जिले के कलेक्टर बने हैं, उनका पूरा समय व्यवस्था की चूड़ी टाइट करने में ही गुजर रहा है। गौरतलब है कि नए साहब को कमान संभाले सवा महीना बीत चुका है। वे सभी तहसील मुख्यालयों का निरीक्षण कर वहां व्यवस्था की चूड़ी टाइट कर चुके हैं।  लेकिन, अपनी नाक के नीचे पसरी व्यवस्था को देख व समझ पाने में उनको वक्त लग गया। खैर…साहब ने देर सवेर ही सही लेकिन इस मामले में भी गंभीरता दिखाई। कर्मचारियों को कड़ा संदेश देने उन्होंने हाल ही में सभी विभागों के जिला-प्रमुखों से समस्त स्टाफ सहित सुबह पौने दस बजे और फिर दोपहर बाद तीन बजे परेड करवा ली। इस दौरान ने उन्होंने दो-टूक संदेश दे दिया कि उनको काम के समय अधिकारी-कर्मचारी सीट पर चाहिए। वो कभी भी किसी भी दफ्तर का औचक निरीक्षण कर सकते हैं। साहब का यह कदम ठीक माना जा सकता है। लेकिन, वो पूरे जिले के मुखिया हैं, इसलिए उनको जिला शिक्षा कार्यालय, पीडब्ल्यूडी, आरईएस, पीएचई और दूरस्थ एसडीएम दफ्तरों का भी औचक निरीक्षण करते रहना चाहिए। क्योंकि उल्लू तो हर शाख पर बैठा है।

कलेक्टर का दिल पिघला
मालवा-निमाड़ के रतलाम  जिले के कलेक्टर नरेन्द्र कुमार सूर्यवंशी इन दिनों अपने एक निर्णय के कारण चर्चा में हैं। 2012 बैच के प्रमोटी आईएएस अधिकारी के सामने एक अजीब वाक्या आया। बात स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे के मौज मस्ती से जुड़ी है, लेकिन मसला गंभीर है। इस मामले में एक छात्र ने जो किया वो भी काबिलेतारीफ है। जी हां बात हो रही स्कूल में मस्ती करने पर पिटाई, उठक-बैठक और मुर्गा बनाने आदि सजा की। ये बातें आपने पहले भी सुनी होगी, लेकिन इस बार मसला थोड़ा अलग है। अलग इसलिए कि मस्ती करने पर कासिम नामक छात्र को स्कूल से निकाल दिया गया। कासिम अपनी शिकायत लेकर कलेक्टर साहब के पास पहुंच गया। वहां उसने अपनी आपबीती सुनाई। फिर क्या था, कलेक्टर साहब का दिल पिघल गया और उन्होंने छात्र के साथ डिप्टी कलेक्टर और जिला शिक्षा अधिकारी को स्कूल भिजवाया। और स्कूल में उसे फिर से प्रवेश दिलाया गया।

कुर्क होने से बच गए एसी कूलर
विंध्य क्षेत्र के एक जिले में गत दिनों एक अजीबोगरीब मामला सामने आया, जब कलेक्टोरेट के एसी-कूलर कुर्क होने की नौबत आ गई। दरअसल, जिले के कोटर तहसीलदार की सरकारी गाड़ी से एक व्यक्ति का पांव फ्रैक्चर हो गया था। मामला दुर्घटना क्लेम के लिए न्यायालय पहुंचा। जहां 2017 में न्यायालय ने पीड़ित पक्ष को 1.40 लाख रुपये देने का आदेश प्रदेश सरकार को अदा करने के आदेश दिए। लेकिन लालफीताशाही और अफसरशाही ऐसी रही कि 5 साल बाद भी पीड़ित को यह राशि नहीं मिल सकी। जिस पर नवम अतिरिक्त मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण ने इस राशि की वसूली के लिये कलेक्ट्रेट की चल संपत्तियों की कुर्की कर वसूली करने का आदेश जारी किया। जिसे लेकर न्यायालय के कर्मचारी कलेक्ट्रेट पहुंचे तो यहां हड़कम्प मच गया। बाद में अधिकारियों ने आनन फानन में बीच का रास्ता निकाला और कोर्ट से जरिये शासकीय अभिभाषक कुछ समय मांग लिया है।

प्रशासन गांव की ओर अभियान
महाकौशल क्षेत्र के कटनी  जिले के कलेक्टर अवि प्रसाद ने  अभी हाल ही में एक छात्र को स्वच्छता का ब्रांड एम्बेसडर बनाकर खूब चर्चा बटोरी। अब भारतीय प्रशासनिक सेवा के 2014 बैच के यह अधिकारी अपने नए नवाचार के कारण चर्चा में हैं। दरअसल, साहब सुशासन सप्ताह के तहत इन दिनों प्रशासन गांव की ओर व्यवस्था के अंतर्गत गांवों में रात्रि चौपाल लगा रहे हैं। चौपाल के दौरान कलेक्टर ग्रामीणों की समस्याएं सुन रहे हैं और समस्याओं के निराकरण के लिए अधिकारियों को निर्देश दे रहे हैं। एक रात्रि चौपाल में साहब ने कहा कि जिला मुख्यालय में बैठकर गांव की समस्याओं को नजदीक से नहीं जाना और समझा जा सकता। इसलिए मैं यहां रात्रि चौपाल में आपकी समस्या और ग्राम विकास के लिए आप सब के सुझाव जानने आया हूं। बताया जाता है कि साहब शाम ढलते ही किसी न किसी गांव की ओर रुख कर देते हैं।

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