बा खबर असरदार/माने महाराज… अब बनेगी बात

  • हरीश फतेह चंदानी
महाराज

माने महाराज… अब बनेगी बात
चाल, चेहरा और चरित्र वाली पार्टी में जबसे महाराज की एंट्री हुई है, तबसे उनकी साख और मजबूत हुई है। आलम यह है कि सत्ता और संगठन में महाराज की धाक दिन पर दिन मजबूत होती जा रही है। कमल दल में महाराज की साख का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उनको खुश रखने के लिए पार्टी अपने कायदे-कानून में भी बदलाव कर लेती है। ताजा मामला इंदौर नगर संगठन का है। प्रदेश के 57 जिलों में से इंदौर नगर की कार्यकारिणी इसलिए अटकी हुई थी, कि महाराज के समर्थकों को पर्याप्त जगह नहीं मिल पा रही थी। दरअसल, महाराज अपने एक समर्थक को महामंत्री बनाना चाहते थे। महाराज की मंशा को देखते हुए भाजपा ने मूल संगठन में 8 उपाध्यक्ष व 8 मंत्री की जगह अब 3-3 की संख्या और बढ़ा दी है। माना जा रहा है कि अब जल्द ही जिला कार्यकारिणी की घोषणा कर दी जाएगी।

रिटायरमेंट से पहले घेराबंदी
आईएएस अवार्ड मिलने के बाद से ही मालदार पदों पर रहने वाले एक साहब इस माह के अंतिम दिन रिटायर हो जाएंगे। लेकिन रिटायरमेंट से पहले ही साहब की घेराबंदी शुरू कर दी गई है। दरअसल, 2002 बैच के ये आईएएस अधिकारी कई नेताओं के चहेते रहे हैं। इस कारण इन्हें कलेक्टरी से लेकर अन्य पदस्थापनाएं मनमाफिक मिलती रही हैं। लेकिन अब जब साहब रिटायर होने वाले हैं तो उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर उनके खिलाफ जांच कराने की मांग की गई है। इसके लिए प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री से लेकर अधिकारियों तक से शिकायत की गई है। शिकायत में साहब जिस विभाग में आयुक्त हैं उसमें लाखों रुपए के भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया है। अब देखना यह है कि रिटायरमेंट के अंतिम दिनों में लगने वाले भ्रष्टाचार के आरोप साहब का बाल बांका कर पाते हैं या नहीं।

कोई तो मुझे कलेक्टरी दिला दे…
2011 बैच के  एक आईएएस अधिकारी अपनी वर्तमान पदस्थापना से ऊब चुके हैं और कलेक्टर बनने की जुगाड़ में जुट गए हैं। ऐसा नहीं है कि ये साहब पहले कलेक्टर नहीं रहे हैं। अभी साहब राजधानी में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभाल रहे हैं, लेकिन जिस काम के लिए उनको यह जिम्मेदारी दी गई थी, उसमें वे पूरी तरह विफल रहे हैं। इसलिए वे अब कलेक्टर बनने की जुगत में हैं। सूत्रों का कहना है कि पिछली बार साहब का खंडवा कलेक्टर बनना लगभग तय हो गया था, लेकिन अंत में उनका नाम काट दिया गया। वैसे साहब अपनी वर्तमान पदस्थापना से मुक्ति चाहते हैं इसलिए वे कहीं का भी कलेक्टर बनने को तैयार हैं। लेकिन उनकी पसंद राजधानी के आसपास के जिले हैं। साहब रायसेन, सीहोर, होशंगाबाद का कलेक्टर बनना चाहते हैं। इसकी वजह क्या है यह तो साहब ही बता सकते हैं।

मंत्री को ओएसडी का ग्रहण
अक्सर यह बात सुनने में आती है कि ग्रहों के फेर में मंत्री के दिन बुरे चल रहे हैं। लेकिन मप्र में एक मंत्री ऐसे हैं जिन पर हमेशा ओएसडी का ग्रहण लगा रहता है। मिलनसार, खुशमिजाज तबीयत के मालिक इन माननीय की किस्मत भी कुछ ऐसी है कि उन्हें हर बार विभाग मिलते हैं। लेकिन बदकिस्मती ऐसी है कि उन्हें ओएसडी ऐसा अधिकारी मिलता है, जिसकी करतूतों के कारण मंत्रीजी की साख पर दाग लगता है। इस बार मंत्रीजी के पास कई प्रदेश के खजाने के साथ ही मालदार विभाग की जिम्मेदारी है। इसी विभाग के अधिकारी इनके ओएसडी बने हुए हैं। इन्होंने चोरी की बिजली जलाकर मंत्रीजी की नाक तो कटवाई ही है, साथ ही अपने केयर टेकर पर केस लदवाकर कानून की धज्जियां भी उड़ाई हैं। गौरतलब है कि पूर्ववर्ती शासनकाल में भी मंत्रीजी अपने तत्कालीन ओएसडी के कारण बदनाम हुए थे और उन्हें मंत्री पद से हाथ धोना पड़ा था।

पानी में धुल गए अरमान
राजनीति में लंबी उड़ान भरने के लिए क्या-क्या जतन करने पड़ते हैं, यह पिछले दिनों महाकाल की नगरी में देखने को मिला। अपनी एक धमकी से प्रदेश महिला कांग्रेस में उपाध्यक्ष का पद पाने वाली मोहतरमा की राजनीतिक आकांक्षा इन दिनों सातवें आसमान पर है। दरअसल, मोहतरमा आगामी विधानसभा चुनाव में टिकट का सपना पाले हुए हैं। ऐसे में उन्हें किसी ने सलाह दे दी कि इसके लिए धरना-प्रदर्शन और आंदोलन का सहारा लो तभी आलाकमान की नजर में आओगी। फिर क्या था, मोहतरमा ने आव देखा न ताव और क्षिप्रा नदी को पावन, पवित्र बनाने की मांग करते हुए जल समाधि शुरू कर दी। सूत्र बताते हैं कि क्षिप्रा के ठहरे हुए पानी में जैसे-जैसे गलन बढ़ती गई, मोहतरमा की ठिठुरन भी बढ़ती गई। स्थिति यह हो गई कि ठिठुरन के कारण उनका पैर फिसल गया और वे डूबने लगीं। उनके समर्थकों ने उन्हें डूबने से तो बचा लिया, लेकिन अब उनका राजनीतिक कैरियर डूबता है या उठता है, यह तो आने वाला समय बताएगा।  

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