बा खबर असरदार/छोटा साहब सबसे मालदार

  • हरीश फतेह चंदानी
छोटा साहब

छोटा साहब सबसे मालदार
प्रदेश की जांच एजेंसियां इन दिनों अधिकारियों और कर्मचारियों की कमाई का आंकलन करने में जुटी हुई हैं। इसी कड़ी में राजधानी में पदस्थ एक छोटे साहब की संपत्ति का ब्यौरा जैसे ही एजेंसियों के हाथ लगा उनके होश फाख्ता हो गए। सूत्रों का कहना है कि राजधानी में अभी कुछ साल पहले ही पदस्थ हुए छोटे साहब की संपत्ति के आगे बड़े-बड़ों की आर्थिक स्थिति कमजोर है। बताया जाता है कि 2004 बैच के एक आईपीएस अधिकारी के चहेते इन छोटे साहब ने अपना पूरा फोकस कमाई पर ही केंद्रित कर रखा है। आलम यह है कि राजधानी के पुराने शहर के एक थाने में पदस्थ छोटे साहब की कमाई के आंकड़े से उनके संगी-साथी भी जलने-भुनने लगे हैं। यहां बता दें कि साहब के दो बड़े भाई भी राजधानी के विभिन्न थानों में पदस्थ हैं। साहब भाईयों में भले ही सबसे छोटे हैं, लेकिन इनकी कमाई सबसे बड़ी है।

80 करोड़ का भार
अपने सेवाकाल के दौरान सबके पसंदीदा अफसर रहे एक आईपीएस अधिकारी इन दिनों परेशानियों से घिरे हुए हैं। आलम यह है कि बैठे-बिठाए साहब पर 80 करोड़ रुपए का भार आ गया है। दरअसल, साहब पर यह भार उन्हीं की बिरादरी के एक अधिकारी के सुपुत्र ने डाला है। गौरतलब है कि 1987 बैच के ये साहब रिटायरमेंट से पहले जिस विभाग में पदस्थ रहे, उस विभाग को कुबेर का खजाना कहा जाता है। सूत्रों का कहना है कि साहब ने रिटायरमेंट के बाद अपनी कमाई एक बिल्डर के प्रोजेक्ट में इन्वेस्ट कर दी। रातोंरात बिल्डर का साम्राज्य फर्श से अर्श पर पहुंचा तो उक्त बिल्डर जांच एजेंसियों की रडार पर आ गए। अचानक एक दिन आयकर विभाग ने उक्त बिल्डर के ठिकानों पर छापा मारा तो कईयों की काली कमाई की परतें खुलकर सामने आ गईं। इसमें साहब का भी हिसाब-किताब पकड़ में आ गया। सूत्रों का कहना है कि प्रदेश के एक ईमानदार आईपीएस अधिकारी के सुपुत्र जो आयकर विभाग में पदस्थ हैं, उन्हें साहब की कमाई का आंकलन करने की जिम्मेदारी दी गई। उक्त आयकर अधिकारी ने हिसाब लगाया तो साहब पर 80 करोड़ रुपए का भार डाल दिया। अब साहब पसोपेश में हैं।

साहब की लालफीताशाही
1993 बैच के एक आईएएस अधिकारी ने जबसे एक बोर्ड की कमान संभाली है, तब से वहां उनकी मनमानी के कारण अधिकारी-कर्मचारी परेशान हैं। दरअसल, साहब ने विभाग में ऐसा तांडव मचाकर रखा है कि उनकी करतूतों से हर कोई हतोत्साहित है। साहब ने विभाग की कमान संभालते ही यहां अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया। पहले तो उन्होंने 80 कर्मचारियों को 20-50 के फॉर्मूले पर नौकरी से बाहर कर दिया। हालांकि कर्मचारी कोर्ट चले गए और वहां से स्टे लेकर आ गए हैं और नौकरी कर रहे हैं। साहब यहीं नहीं रुके और उन्होंने विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों को मिलने वाले पेंशन नियम को निरस्त करा दिया। साहब की इन मनमानियों से विभाग में अफरा-तफरी का माहौल है। सबसे हैरानी की बात तो यह है कि साहब अपने मातहतों को नीचा दिखाने और उन्हें परेशान करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ते हैं।  फाइलें लेकर पहुंचने वाले अफसरों को फटकार के साथ ही फाइलें भी फाड़  देते हैं।

चर्चा में साहब का बंगला
प्रदेश की प्रशासनिक वीथिका में इन दिनों एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी का निमार्णाधीन बंगला बेहद  चर्चा में है। इसकी वजह यह है कि साहब का यह बंगला पूरी तरह चंदे पर तैयार हो रहा है। बताया जाता है कि जो अन्य दो लोग के सहयोग से यह बंगला बन रहा है, वे भी ऐसा ही बंगला अपने लिए बना रहे हैं। 1989 बैच के इन साहब ने अपने समाज के कई अफसरों को जमकर उपकृत किया है।  इन्हीं में से दो अफसर साहब का बंगला बनवा रहे हैं।  सूत्रों का कहना है कि किसी के ईंट, किसी के सीमेंट और किसी के सरिये से बन रहे इन तीनों मकानों में एसेसरीज भी एक जैसी लग रही है। जब इसकी पड़ताल की गई तो यह तथ्य सामने आया कि इन मकानों में से एक के स्वामी लोक निर्माण विभाग में बड़े साहब हैं।  इन साहब ने तीनों मकानों में एक जैसी एसेसरीज लगाने का प्लान बनाकर  बाकायदा अपने विभाग में सामान सप्लाई करने वाले सप्लायरों पर दबाव बनाकर सामान मंगवाया है।

साहब से अधिक मैडम का जलवा
विंध्य क्षेत्र के एक जिले में कलेक्टरी कर रहे 2012 बैच के एक आईएएस अधिकारी से अधिक उनकी पत्नी का जिले में जलवा है। मैडम का यह जलवा उनके रसूख के कारण नहीं, बल्कि उनकी दयाशीलता के कारण है। दरअसल, जब भी मौका मिलता है मैडम जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में निकल जाती हैं और बच्चों को उपहार देकर उनके साथ समय बिताती हैं। इसलिए जिले में साहब से अधिक लोग मैडम को पसंद कर रहे हैं। मैडम कोई भी ऐसा मौका नहीं चूकना चाहतीं जब बच्चों को उनका इंतजार रहता है। गत दिनों जिले के पहाड़ी अंचल के आदिवासी बाहुल्य गांवों में मैडम साहब के साथ पहुंची तो बच्चों का उत्साह देखने लायक था। वजह थी मैडम तीन वाहनों में कार्टूनों में बच्चों के लिए गर्म और ऊनी वस्त्र लेकर उनके गांव पहुंची थी। मैडम ने साहब के साथ मिलकर गांवों के खुले परिसर में बच्चों और ग्रामीणों के साथ समय बिताया और अपने साथ ले गए बच्चों के लिए नए कपड़े और बिस्किट, टॉफी, मिठाइयां बांटकर उनके बीच खुशियां भी बांटी।

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