- हरीश फतेह चंदानी
आखिरकार रंग लाई मेहनत
2013 बैच के एक आईएएस अधिकारी संदीप जीआर ने जब पिछड़ेपन और बदहाली के दौर से गुजर रहे बुंदेलखंड के छतरपुर जिले का कायाकल्प करने की ओर कदम बढ़ाया तो किसी को उम्मीद नहीं थी कि उनकी मेहनत इतनी जल्द रंग लाएगी। लेकिन साहब की मेहनत का परिणाम है कि आज जिला स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, जल संसाधन और कौशल विकास के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है। तभी तो देशभर के 112 आकांक्षी जिलों की रैंकिंग में जिले को दूसरा स्थान मिला है। बताया जाता है कि जिले की कलेक्टरी मिलने के अगले दिन से ही साहब ने विकास के पथ पर आगे बढ़ाने के लिए कार्ययोजना तैयार की और उसका क्रियान्वयन करवाना शुरू कर दिया। इसके लिए साहब कभी साइकिल से निगरानी के लिए निकलते तो कभी रात के अंधेरे में अमले के साथ। साहब ने नीति आयोग के मापदंडों के साथ ही अन्य क्षेत्रों के विकास पर जोर दिया। जिसका परिणाम है कि आज जिले का नाम प्रदेश सरकार भी गर्व से ले रही है।
किरकिरी बन गए साहब
ग्वालियर-चंबल अंचल के मुरैना जिले में पदस्थ पुलिस अधीक्षक आशुतोष बागरी इन दिनों कांग्रेसियों की आंख की किरकिरी बन गए हैं। आलम यह है कि जो कांग्रेसी 5-6 महीने से साहब की बहादुरी के कसीदे गढ़ने में लगे हुए थे, उनके लिए भी साहब अब विलेन बन गए हैं। दरअसल, पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव में साहब ने शराब माफिया और नेताओं की साठगांठ को चलने नहीं दिया। यही नहीं जिले के एक कांग्रेसी के यहां छापा मारकर बड़ी मात्रा में शराब जब्त भी की। इससे नेताजी और उनकी पार्टी की जमकर किरकिरी हुई। फिर क्या था, पार्टी के ओहदेदारों ने साहब के खिलाफ हल्ला बोल दिया। आलम यह है कि एक बड़े नेताजी ने तो उन्हें सत्तारूढ़ पार्टी का गुलाम तक बता दिया। लेकिन साहब पर इसका तनिक भी असर नहीं पड़ता दिख रहा है। 2015 बैच के ये आईपीएस अधिकारी अब और सख्ती से काम करने में जुट गए हैं और लगातार शराब माफिया की कमर तोड़ रहे हैं। यह बात अलग है की साहब अब भी रेत माफिया के खिलाफ सख्ती नहीं दिखा पा रहे हैं।
मिल गया मनपसंद हमसफर
बंदूक और कलम की यारी कम देखने को मिलती हैं। प्रदेश ही नहीं देशभर में इन दिनों कलम और बंदूक की एक ऐसी यारी चर्चा में है, जो अब हमसफर में बदल गई है। दरअसल, राज्य पुलिस सेवा के 2016 बैच की एक महिला पुलिस अधिकारी अनीता शर्मा ने देश के एक चर्चित लेखक नीलोत्पल मृणाल के साथ शादी कर ली है। मैडम प्रदेश के पुलिस महकमे में दबंग लेडी के रूप में जानी जाती हैं। इनका अब तक का जीवन संघर्षों से भरा रहा है। लेकिन उन्होंने अपने ऊपर कभी भी संघर्ष को हावी नहीं होने दिया। मैडम को उनका हमसफर उनके पढ़ने के शौक के कारण ही मिला है। मैडम सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं और लोगों से बतियाना उन्हें पसंद है। वे अपनी बेबाकी के लिए भी जानी जाती हैं। इसी यात्रा में उनका संपर्क युवा लेखक से हुआ, जो यूपीएससी के लिए भी संघर्ष कर चुके हैं। फिर क्या था दोनों की मेल-मुलाकात का सिलसिला सोशल मीडिया से निकलकर फेस-टू-फेस पर आ गया और एक दिन बात शादी तक पहुंच गई। अब दोनों की शादी हो गई है और मैडम ने अपने फेसबुक पेज पर तस्वीरें शेयर करते हुए लिखा- पिस्तौल और कलम….मेरे हमदम….हरदम…हम संग!
प्रयोगशाला बनकर रह गया जिला
मालवांचल का रतलाम जिला हमेशा से ही अपने कलेक्टरों की कार्यप्रणाली के कारण चर्चा में रहता है। प्रदेश की प्रशासनिक वीथिका में उक्त जिले को कलेक्टरों की प्रयोगशाला कहा जाता है। बताया जाता है कि इस जिले में जिसको भी कलेक्टर बनाया जाता है, उसकी कोशिश होती है कि वह कुछ ऐसा करें ताकि जिले का कायाकल्प हो सके। लेकिन उक्त अफसर का असमय तबादला हो जाता है और वह अपने प्रयोग को आधा-अधूरा छोड़कर चला जाता है। वर्तमान समय में जिले की कमान 2012 बैच के आईएएस अधिकारी नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी के पास है। पद संभालने के साथ ही साहब ने जिले को भ्रष्टाचारमुक्त बनाने की घोषणा की है। इसके लिए बकायदा हेल्पलाइन नंबर भी जारी करने को कहा गया है। सूत्र बताते हैं कि साहब की काम करने की हड़बड़ाहट को देखते हुए उनके शुभचिंतक अफसरों ने पूर्व के कलेक्टरों रुचिका चौहान, गोपालचंद्र डांड, कुमार पुरुषोत्तम, राजेंद्र शर्मा के कार्यकाल का ब्यौरा देते हुए कहा है कि ऐसा ही काम ठानें जिसे आसानी से किया जा सके।
एमडी की कुर्सी पर आया दिल
आपने पंचायत वेब सीरीज तो देखी होगी। इसमें दूल्हे का दिल पंचायत भवन में सचिव की लग्जरी कुर्सी पर आ जाता है। ऐसा ही दिलचस्प वाकया निकाय चुनाव के दौरान ग्वालियर-चंबल के एक जिले में सामने आया। यहां एक पीठासीन अधिकारी का दिल मतदान केंद्र बने स्कूल की मैनेजिंग डायरेक्टर की लग्जरी कुर्सी पर आ गया। इसके लिए उन्होंने अफसरों को तक फोन घनघना दिए। हालांकि इतनी जोरआजमाइश के बाद भी उन्हें सामान्य कुर्सी से ही काम चलाना पड़ा। कहानी शुरू तब होती है, जब मतदान दल केंद्रों पर पहुंचे। सभी ने अपनी-अपनी कुर्सी और टेबल संभाल लिए। स्कूल परिसर में स्कूल के एमडी का आॅफिस है। यहां उनकी लग्जरी कुर्सी भी रखी है। पीठासीन अधिकारी एमडी के ऑफिस में चले गए। यहां रखी उनकी लग्जरी कुर्सी पसंद आ गई। फिर क्या था, पीठासीन अधिकारी ने कुर्सी को उठाकर मतदान केंद्र पर रखवा लिया। उस पर ऐसे जम गए, जैसे ये उन्हीं की हो। एमडी के कानों तक ये बात गई, तो वे भड़क गईं। तुरंत आकर कुर्सी वापस ले गईं। ये बात पीठासीन अधिकारी को नागवार गुजरी। उन्होंने अफसरों को फोन भी लगाया लेकिन कुर्सी वापस नहीं मिली।