बा खबर असरदार/दिन भर चले अढ़ाई कोस

कांग्रेस

हरीश फतेह चंदानी/बिच्छू डॉट कॉम।

दिन भर चले अढ़ाई कोस
प्रदेश में एक तरफ भाजपा ने 17 दिनी बूथ विस्तारक योजना का सफल समापन करने का बाद समर्पण राशि अभियान का आगाज कर दिया है, लेकिन कांग्रेस की स्थिति दिन भर चले अढ़ाई कोस वाली बनी हुई है। गौरतलब है कि भाजपा से पहले कांग्रेस ने सदस्यता अभियान शुरू किया था, फिर घर-घर चलो अभियान शुरू किया है। लेकिन पार्टी के नेता किसी भी अभियान को गति नहीं दे पा रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस पदाधिकारियों की सुस्ती देख प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भी इन दिनों निराश हैं। इसकी एक वजह यह है कि केंद्र से लेकर प्रदेश तक कांग्रेस की राजनीति में सब तरफ उथल-पुथल चल रही है। प्रदेश में एक तरफ संगठन को मजबूत करने का प्रयास किया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ इंदौर में शहर कांग्रेस के इतिहास में पहली बार एक साथ दो-दो महिला शहर अध्यक्ष बना दी गईं। इस पर भाजपाइयों की सोशल मीडिया टीम चटखारे लेकर कह रहे हैं कि भाजपा की संगठन, बूथ और मतदान केंद्र स्तर की टीम को उसी की तर्ज पर टक्कर देने की कोशिश कांग्रेस नेता खूब करते हैं लेकिन दिन भर चले अढ़ाई कोस पर ही थम जाते हैं।

जाने कहां गए वो दिन
वरिष्ठ अफसरों की चौखट पर जी-हुजूरी करके आराम फरमाने वाले राजधानी पुलिस के कुछ अधिकारियों के लिए पुलिस आयुक्त प्रणाली मुसीबत बन गई है। दरअसल सूत्रों का कहना कि सीपी साहब ने फरमान जारी किया है कि अफसरों को 24 घंटे सतर्क और सजग रहना जरूरी है। उन्होंने अपनी ड्यूटी के दौरान क्या-क्या किया इसकी रिपोर्ट रोजाना तैयार करके रखनी है, ताकि मांगने पर तत्काल प्रेषित किया जा सके। साहब के इस फरमान के बाद कई अधिकारियों का वजन तेजी से कम हुआ है। इसकी वजह यह है कि सीपी साहब को दिखाने और अपनी रिपोर्ट बनाने के लिए अधिकारियों को दिन-रात दौरे और बैठकें करनी पड़ रहीं हैं। सुबह से ही मातहत अफसरों को इसके लिए शहर की गलियों और चौराहों पर घूमकर साहब के सवालों का जवाब देने की तैयारी करनी पड़ रही है। अधिकारियों को अब यह अहसास हो गया है कि अब समय कुर्सी में बैठने का नहीं बल्कि समस्या का समाधान करने में जुटने का है। कई तो साहब तो शहर से रवानगी का रास्ता तलाशने में जुट गए हैं।

लगी कतार…साहब नहीं तैयार
प्रदेश में दिल्ली जाने के लिए आईएएस अफसरों की कतार लगी हुई है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि बड़े साहब इसके लिए तैयार नहीं हो रहे हैं। दरअसल बड़े साहब प्रदेश की प्रशासनिक व्यवस्था मजबूत रखना चाहते हैं। इसलिए दिल्ली जाने वालों की मंशा पूरी नहीं हो पा रही है। गौरतलब है कि प्रदेश से 95 अफसर प्रतिनियुक्ति पर जा सकते हैं, लेकिन आज तक 35 से ज्यादा अफसरों को नहीं भेजा गया। इस समय प्रदेश के 30 से ज्यादा अफसर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं। सूत्रों के मुताबिक प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद कुछ अफसरों ने आगे होकर केंद्र सरकार में जाने की इच्छा जाहिर कर दी थी। इनमें 2009 बैच के कुछ अफसर हैं। दरअसल अफसरों के दिल्ली जाने के एक वजह यह भी है कि आईएएस अफसरों को अपनी 16 साल की सेवा में कम से कम दो बार प्रतिनियुक्ति पर जाना होता है। ऐसा करने से उनकी पदोन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है।

साहब को सिर्फ सोमवार को आता है गुस्सा
2012 बैच के एक प्रमोटी आईएएस अधिकारी इन दिनों प्रदेश की राजनीतिक और प्रशासनिक वीथिका के साथ ही अपने कलेक्टरी वाले जिले में अपने गुस्से के कारण चर्चा का विषय बने हुए हैं। चर्चा इसलिए हो रही है कि उक्त आईएएस अधिकारी मिलनसार और खुश मिजाज प्रवृति के हैं, लेकिन सोमवार को उनका मिजाज इस कदर गर्म हो जाता है कि वे गुस्सा करने लगते हैं। गुस्सा भी ऐसा की बैठक में अधिकारियों को खरी-खोटी साफ लहजे में सुना देते है। दरअसल कलेक्टर साहब सोमवार को साप्ताहिक बैठक में विभिन्न विभागों की समीक्षा करते हैं। इस दौरान विभागों के कामकाज में खामियां या देरी देख समय-सीमा दे दी जाती है। काम हुआ तो ठीक, नहीं तो अगली बार वेतन रोकने से लेकर वेतन वृद्धि तक पर रोक लगा दी जाती है। हालांकि साहब की सख्ती के बाद भी शहर की समस्याएं जस की तस है।

साहब की विदाई के लिए जतन
2009 बैच के आईएएस अधिकारी अपने कनिष्ठों और मातहतों की आंख की किरकिरी बने हुए हैं। दरअसल इन प्रमोटी आईएएस अधिकारी ने जब से दुग्ध महासंघ के प्रबंध संचालक का पद संभाला है वहां के अफसरों पर उन्होंने नकेल कस दी है। इससे अफसरों का सुख चैन छिन गया है। इतिहास में पहली बार उन अधिकारियों को दुग्ध महासंघ के विरह में जीना पड़ रहा है, जिनकी नौकरी का ज्यादा सफर एक ही कुर्सी तोड़ने में बीत गया था। ऐसे अधिकारी लंबे अरसे तक पूर्व के प्रबंध संचालकों को अपने में उतारते आए थे। लेकिन ये साहब ऐसे प्रबंध संचालक निकले, जिनके इरादों के सामने अपना लक्ष्य हासिल करने वालों की एक नहीं चली, बल्कि इनके लिए उल्टी गिनती शुरू हो गई। इन्हें दुग्ध महासंघ का मोह छोड़ना पड़ रहा है। ऐसे ही कुछ अधिकारी साहब की विदाई के लिए जतन में जुट गए हैं।

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