- हरीश फतेह चंदानी
सोशल मीडिया फ्रेंडली मंत्री ने
अभी तक सोशल मीडिया की एबीसीडी से दूर रहने वाले एक मंत्री जी का सोशल मीडिया प्रेम इन दिनों प्रदेश की राजनीतिक और प्रशासनिक वीथिका में चर्चा का विषय बना हुआ है। उम्र के चौथे पड़ाव पर पहुंच चुके मंत्रीजी इन दिनों अपना काफी समय सोशल मीडिया की बारीकियां सीखने में बिता रहे हैं। दरअसल, पार्टी ने अपने सभी मंत्रियों और नेताओं को सोशल मीडिया पर सक्रिय होने का निर्देश दिया। यही नहीं मंत्रियों के यहां तकनीकी जानकारी वाले युवक-युवतियों को पदस्थ किया गया है, ताकि वे उनके सोशल मीडिया प्लेटफार्म को संभाल सकें। किसी मंत्री के यहां युवक तो किसी के यहां युवती पदस्थ हुई है। इस पदस्थापना से प्रदेश के इन उम्रदराज मंत्री जी की लॉटरी लग गई। दरअसल, खाने वाले विभाग के मंत्री जी के यहां एक युवती पदस्थ हुई है। सूत्रों का कहना है कि जबसे वह युवती मंत्री जी के यहां पदस्थ हुई है, मंत्री जी के हाव-भाव ही बदल गए हैं। पहले रफ एंड टफ अंदाज में रहने वाले मंत्री जी इस दिनों टिप-टॉप नजर आने लगे हैं। बताया जाता है कि सोशल मीडिया की एबीसीडी सीखने के लिए माननीय उक्त युवती के साथ घंटों समय गुजारते हैं। हालांकि मंत्रीजी को जानने वाले ये भी कहने से नहीं कतराते हैं कि भैंस के आगे बीन बजाने से कुछ नहीं होने वाला है।
मंत्रीजी से परेशान साहब ने बदली व्यवस्था
प्रदेश के सबसे बड़े विभाग की जिम्मेदारी संभालने वाले बड़े साहब यानी प्रमुख सचिव अपने मंत्रीजी से इस कदर आहत हैं कि उन्होंने विभाग में कुछ ऐसे बदलाव किए हैं, जो प्रशासनिक वीथिका में चर्चा का विषय बने हुए हैं। बताया जाता है कि मंत्रीजी की आकांक्षाएं दिन पर दिन बढ़ती जा रही हैं। अपनी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए वे निरंतर फाइल-फाइल खेल रहे हैं। ऐसे में कई बार मंत्रीजी की फाइलों में ऐसा कुछ होता है जिसे करना अपने ऊपर आफत मोल लेना है। हालांकि मंत्री जी को कायदे-कानून में रहकर काम करने की सलाह कई बार दी जा चुकी है, लेकिन मंत्री जी हैं कि मानते नहीं हैं। ऐसे में 1996 बैच के उक्त अफसर ने मंत्री जी की फाइलों से बचने के लिए निर्देश निकाला है कि वहां से जो भी फाइलें आएंगी, उसके लिए सचिव जिम्मेदार होंगे। यानी मंत्रीजी के यहां से आने वाली फाइलों में क्या करना है और क्या नहीं, यह सचिव तय करेंगे। जबकि नियम कहता है कि प्रमुख सचिव ही फाइलों का निराकरण करेंगे। लेकिन मंत्रीजी से निजात पाने के लिए बड़े साहब को यह रास्ता चुनना पड़ा।
पूर्व मंत्री की जागी लालसा
कहा जाता है कि राजनीति में कभी कोई बूढ़ा नहीं होता है और न ही उम्र बढ़ने के साथ पद और प्रतिष्ठा की लालसा कम होती है। इस बात को ग्वालियर-चंबल अंचल के एक कद्दावर नेता ने सिद्ध कर दिया है। प्रदेश सरकार में मंत्री और सांसद रह चुके इन माननीय ने एक बार फिर घोषणा की है कि मैं 2023 का विधानसभा चुनाव लडूंगा यह बात में पहले भी कह चुका हूं, पलटुंगा नहीं। यह भी तय है कि चुनाव ग्वालियर से ही लड़ूगां। किस विधानसभा से लडूगां, यह संगठन तय करेगा, क्योंकि पूरा जिला ही मेरा अपना है। पूर्व मंत्रीजी की इस घोषणा से जिले के कई विधायक और नेता पसोपेश में हैं। इसकी वजह यह है कि पूर्व मंत्री की पार्टी और संघ में उच्च स्तर तक पैठ होना । यही नहीं जिले में उनके समर्थकों की संख्या भी किसी से कम नहीं है। यह बात अलग है कि पूर्व मंत्रीजी की सक्रियता पिछले कुछ सालों में कम रही है। न वे पार्टी और न ही संगठन की बैठकों में शामिल हो रहे थे। हालांकि चुनावी संभावनाओं को देखते हुए उन्होंने एक बार फिर से अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। अब देखना यह है कि पूर्व मंत्रीजी की इस बार दाल गलती है या नहीं।
आखिर ऐसा क्या दिखा साहब में
ग्वालियर-चंबल अंचल के एक जिले में विगत दिनों तीन पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद जोन के आईजी के साथ ही जिले के एसपी को बदल दिया गया। लेकिन इस बदलाव के बाद जिले में नए एसपी की पदस्थापना चर्चा का विषय बन गई है। इसकी वजह यह है कि जिले के पुलिस अधीक्षक को हटाने के बाद नए पुलिस कप्तान को लेकर काफी माथापच्ची का दौर चला और अंतत: उस आईपीएस को जिले की कमान सौंपी गई, जिन्हें सीएम की फटकार के बाद एक अन्य जिले से हटाया गया था। दरअसल, साहब वर्तमान जिले में पदस्थापना से पूर्व मालवांचल के एक जिले में पुलिस अधीक्षक के पद पर पदस्थ थे। जिले की समीक्षा के दौरान सीएम के सामने कई गड़बड़िय़ां आई थीं। खासकर चोरी की वारदातों का अंबार लग गया था। यही नहीं एक मंत्री ने भी जिले में भैंस चोरी की बढ़ती वारदातों की शिकायत मुख्यमंत्री से की। जिसके बाद मुख्यमंत्री ने 1992 बैच के इस आईपीएस अधिकारी को जमकर फटकार लगाई और शाम को ही इन्हें उस जिले से हटाकर ग्वालियर-चंबल अंचल के जिले में एसपी बना दिया गया। इस बदलाव के बाद प्रशासनिक वीथिका में चर्चा होने लगी है कि आखिर साहब में ऐसा क्या दिखा कि उन्हें सजा के तौर पर संवेदनशील जिले की कमान सौंप दी गई।
नए साहब का नया रोस्टर
1997 बैच के एक आईपीएस अफसर इन दिनों प्रदेश की राजनीतिक और प्रशासनिक वीथिका में सबकी निशानदेही पर हैं। इसकी वजह यह है कि तमाम राजनीतिक विरोध के बावजूद साहब पर मुख्यमंत्री ने भरोसा जताते हुए एक जोन का आईजी बनाया है। यहां बता दें कि साहब को पूर्व में भी यहां का आईजी बनाया गया था, लेकिन राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण करीब 4 महीने के ब्रेक के बाद इन्हें पदस्थापना का मौका मिला है। साहब ने भी यहां आते ही अपनी सक्रियता दिखा दी है। वे रोज कानून व्यवस्था की बैठकें कर रहे हैं। बैठकों में यह बात निकलकर सामने आई है कि यहां की यातायात व्यवस्था काफी लचर है। इसलिए साहब ने ट्रैफिक का ऐसा रोस्टर बनाया है, जिससे कोई भी नियम तोड़ने वाला बच नहीं सकता है। साहब के दिशा-निर्देश पर बने रोस्टर के अनुसार अब यहां की सड़कों पर ट्रैफिक रूल्स तोड़ने वालों की खैर नहीं, क्योंकि ट्रैफिक पुलिस का कार्रवाई का सालों पुराना तरीका बदल रहा है। अब ट्रैफिक पुलिस सिर्फ हेलमेट न पहनने वालों के ही चालान नहीं बनाएगी, बल्कि हर नियम तोड़ने वाले पर कार्रवाई होगी।