- हरीश फतेहचंदानी
कलेक्टोरेट में लगी नौकरी की दुकान
अपने नवाचारों के कारण हमेशा चर्चा में रहने वाले 2013 बैच के आईएएस अधिकारी छतरपुर कलेक्टर संदीप जीआर इस बार एक नौकरी की दुकान के कारण चर्चा में हैं। कभी साइकिल, तो कभी पैदल चलकर लोगों के बीच पहुंचकर प्रशासन की हकीकत की पड़ताल करने वाले साहब ने कलेक्टोरेट में एक ऐसा शिविर लगाया, जिसे स्थानीय लोगों ने नौकरी की दुकान का नाम दे दिया। दरअसल, जिले के लंबित अनुकंपा प्रकरणों का तत्काल निराकरण कराने के लिए साहब ने कलेक्टोरेट में चतुर्थ श्रेणी के रिक्त पदों के विरुद्ध अनुकम्पा नियुक्ति के लिए शिविर का आयोजन किया। जिसमें पात्र दावेदारों को नौकरियां दी गईं। साहब के इस नवाचार को पूरे जिले के लोग सराह रहे हैं।
साहब की सख्ती से हडक़ंप
खनिज संपदा से भरे कटनी जिले के कलेक्टर अवि प्रसाद इन दिनों अपने सख्त निर्देशों के कारण चर्चा का विषय बने हुए हैं। वैसे तो 2014 बैच के इन आईएएस अधिकारी ने जबसे जिले की कमान संभाली है, उन्होंने शासकीय व्यवस्था को तो दुरुस्त कर ही दिया है, साथ ही सामाजिक और व्यापारिक व्यवस्था को भी पटरी पर लाने की भरपूर कोशिश की है। इसी कड़ी में साहब ने जिले में चावल को लेकर की जा रही गड़बड़ी पर नकेल कसने के लिए सख्त कदम उठाते हुए अफसरों को वेयरहाउस में औचक निरीक्षण का निर्देश दिया है। साहब के निर्देश पर गत दिनों एक वेयर हाउस में भण्डारित चावल की गुणवत्ता की जांच कराने के बाद यहां अमानक मिले (बीआरएल) 18 हजार 560 क्विंटल चावल को रिजेक्ट कर दिया है। जिले के इतिहास में की गई यह अब तक की सबसे बड़ी कार्यवाही है। इस कार्यवाही के बाद अधिकारियों और व्यापारियों में हडक़ंप मच गया है और वे व्यवस्था को सुधारने में जुट गए हैं।
मैडम के ताबड़तोड़ निर्देश
मालवा के एक बड़े जिले से ट्रांसफर होकर विंध्य क्षेत्र के रीवा जिले में कलेक्टर बनाई गईं प्रतिभा पाल ने धीरे-धीरे जिले में अपना रुतबा इस कदर जमा लिया है कि, सुबह होते ही उन्हें पूरे जिले की रिपोर्ट मिल जाती है। उक्त रिपोर्ट मिलने के बाद मैडम दौरे पर निकल जाती हैं। इस दौरान मैडम स्थानीयजनों की समस्याएं सुनती हैं तथा उनके निराकरण के लिए अधिकारियों को निर्देशित करती हैं। यही नहीं, इस दौरान मैडम ताबड़तोड़ निर्देश भी देती हैं। बताया जाता है कि मैडम द्वारा दिए जा रहे निर्देशों से अफसर परेशान हैं। इसकी वजह यह है कि अफसर भले ही उन निर्देशों को भूल जाते हैं, लेकिन मैडम ठीक आठवें दिन उन आदेशों पर क्रियान्वयन की रिपोर्ट तलब कर लेती हैं। मैडम की इस कार्यप्रणाली से जिले के अफसर परेशान हैं और वे आपस में चर्चा कर रहे हैं कि मैडम प्रशासन चलाने की यह व्यवस्था कहां से सीख कर आई हैं।
झुककर नहीं तनकर लिखो
कभी-कभी एक छोटा अधिकारी भी अपने कार्यकलाप से बड़ी छाप छोड़ जाता है। ऐसे ही एक अधिकारी राजधानी के पड़ोसी जिले में पदस्थ रहे हैं, जिनकी चर्चा इस समय पूरे प्रदेश में हो रही है। ये हैं राजगढ़ जिले की जीरापुर तहसील के माचलपुर टप्पा में पदस्थ नायब तहसीलदार नवीनचंद कुम्भकार। साहब का गत दिनों ट्रांसफर हुआ तो उन्हें विदाई देने नगर के प्रबुद्धजन, व्यापारी संघ, शिक्षक संघ, ग्राम सरपंच, शासकीय कर्मचारी, पटवारी व समाजसेवी पहुंचे। नायब तहसीलदार लगभग 3 साल तक माचलपुर में पदस्थ रहे। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने टप्पा कार्यालय परिसर में कई विकास कार्य जनसहयोग से करवाए और पेड़-पौधे लगाकर टप्पा कार्यालय को रमणीय बना दिया। उन्होंने स्थानांतरण होने के बाद शासकीय स्कूल के बच्चों के लिए फर्नीचर की व्यवस्था करवाई, जिसकी सराहना की जा रही है। इसकी पीछे साहब का उद्देश्य था कि नवीन सत्र में बच्चे झुककर नहीं अब तनकर लिखना सीखेंगे।
कलेक्टर की कृपा से मिली कप्तानी
प्रदेश की प्रशासनिक वीथिका में इन दिनों 2011 बैच के एक प्रमोटी आईएएस अधिकारी अच्छी पदस्थापना चाहने वाले नौकरशाहों के लिए माध्यम बने हुए हैं। बताया जाता है कि साहब के दरबार में जो भी जाता है और उनके मनमाफिक चढ़ावा चढ़ाता है तो उसकी मंशा पूरी हो जाती है। इस बार साहब की कृपा अपने ही जिले में पदस्थ रहे एक एएसपी पर बरसी। साहब की कृपा से 1996 बैच के राज्य पुलिस सेवा के उक्त अधिकारी को ग्वालियर-चंबल अंचल के एक जिले की कप्तानी मिल गई है। सूत्रों का कहना है कि राज्य पुलिस सेवा के जिस अधिकारी को यह कप्तानी मिली है, उसको पाने के लिए बड़े-बड़े आईपीएस अधिकारी जोर लगा रहे थे। कोई संघ, कोई सरकार तो कोई संगठन में जुगाड़ लगा रहा था। लेकिन किसी की दाल नहीं गल पा रही थी। इस कारण जिले की कप्तानी काफी दिनों तक खाली रही। फिर साहब का मन डोला और उन्होंने अपने ही जिले में पदस्थ राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी को उक्त जिले की कप्तानी दिलवा दी।