- हरीश फतेह चंदानी
आसमान से गिरे…
आपने यह कहावत तो सुनी ही होगी कि आसमान से गिरे खजूर पर अटके। ऐसी ही कुछ स्थिति उन लोगों की हो रही है जिन्होंने दम लगाकर प्रदेश की एक जांच एजेंसी से 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी को चलता करवा दिया है। सूत्रों का कहना है कि 1988 बैच के साहब ने जब से जांच एजेंसी के प्रमुख का कार्यभार संभाला तभी से पुरानी शिकायतें, पुराने अपराध पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए। पुराने केस का बड़ी संख्या में निपटारा होने लगा। इससे कई लोगों के सामने खतरा मंडराने लगा। ऐसे में उन्होंने साहब को हटाने के लिए पूरा दम लगा दिया और हटवाकर माने। लेकिन सरकार ने उनकी मंशा को भांपते हुए उनकी जगह 1996 बैच के आईपीएस अधिकारी योगेश चौधरी को पदस्थ किया है, वे पहले वाले साहब से कम नहीं हैं। वे भी ईमानदार, सख्त और स्टेट फारवर्ड अफसर हैं। सूत्रों का कहना है कि जो लोग पहले वाले साहब के हटने से खुश थे , अब दूसरे साहब को देख उनकी परेशानी बढ़ गई है।
ऐसी जनसुनवाई पहली बार
शायद मालवा क्षेत्र के सबसे बड़े जिले का पानी ही ऐसा है की जो अफसर यहां पदस्थ होता है वह अपनी कार्यप्रणाली से सरकार का चहेता बन जाता है। वर्तमान में इस जिले की कलेक्टरी की कमान 2009 बैच के आईएएस अधिकारी संभाल रहे हैं। वैसे तो पदभार संभालने के बाद से ही साहब अपने नवाचारों से चर्चा में आ गए थे, लेकिन गतदिनों जनसुनवाई में उन्होंने जो किया उसे देख और सुनकर लोग बरबस कहने लगे हैं की ऐसी जनसुनवाई पहली बार हुई है। दरअसल जनसुनवाई में पीड़ितों को तुरंत न्याय मिलने के कई मामले सामने आने के बाद अब यहां पीड़ितों की संख्या बढ़ती जा रही है। विगत जनसुनवाई में यह पहला मौका था जब अंदर हॉल व बाहर कॉरिडोर में पैर रखने तक की जगह नहीं थी। भीड़ देखकर जहां अफसर हैरान-परेशान थे वहीं साहब के चेहरे पर रौनक। उन्होंने कोरोना से अनाथ हुई एक किशोरी को कॉलेज आने-जाने के लिए नई एक्टिवा दिलवाई। एक महिला को रोजगार के मद्देनजर सिलाई मशीन भेंट की तथा 7 दिव्यांगों को मौके पर ही लैपटॉप उपलब्ध कराए। यानी हर एक की समस्या का समाधान हुआ।
बिना रसूख के रिटायरमेंट
2023 में मप्र के 15 आईपीएस अफसर रिटायर होंगे। इन अफसरों की सूची में एक नाम ऐसा है ,जो बिना रसूख के रिटायर होंगे। ये अफसर 1996 बैच के आईपीएस अधिकारी बलवीर सिंह हैं। ये वह अफसर हैं, जो कभी एसपी, डीआईजी और आईजी नहीं बन सके। दरअसल देश की राजधानी के मूल निवासी मप्र कैडर के ये पहले आईपीएस अफसर हैं जिन्होंने लंबे समय तक सीक्रेट सर्विसेस में रहने का रिकॉर्ड बनाया है। रिटायरमेंट से पहले भी सीबीआई में ज्वाइंट डायरेक्टर के पद पर हैं। यह अफसर इसलिए अचानक चर्चा में आए, क्योंकि केंद्र सरकार ने उन्हें स्पेशल टास्क सौंपा है। जानकारों का कहना है कि भोपाल में साल 2001 में जब गदर कांड हुआ था। उस वक्त ये साहब एडिशनल एसपी शहर हुआ करते थे। इस कांड के मुख्य आरोपी को इन्हीं ने गिरफ्तार किया था। इसके बाद ये केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर चले गए। 20 साल से अधिक हो चुके हैं , लेकिन अब तक वे प्रदेश के किसी भी विभाग में पदस्थ नहीं हुए हैं।
कलेक्टर मैडम की क्लास…
करीब एक माह पहले महाराष्ट्र के बॉर्डर से लगते हुए छिंदवाड़ा कलेक्टर शीतल पटले 2014 बैच की महिला आईएएस अधिकारी हैं। उन्होंने कम समय में ही वहां के लोगों के बीच अपने को स्थापित कर लिया है। वैसे पदभार संभालने के दौरान ही मैडम ने जिले से अपनापन जोड़ते हुए कहा था कि मुझे पहले से ही यह बहुत पसंद है, यहां मैं पहले भी आई हूं, पर्यटन की दृष्टि से यहां अच्छे स्पाट है जहां घूम चुकी हूं। अब मैडम अपनी कार्य प्रणाली से सबका मन मोह रही हैं। इसका नजारा उस समय भी देखने को मिला जब मैडम जिले के एक तहसील के उत्कृष्ट विद्यालय पहुंची। मैडम यहां कक्षाओं में बच्चों से मिली और उन्हें पढ़ाया। मैडम का पढ़ाने का तरीका इतना मनभावन था कि जब वे क्लास से निकलने लगी तो बच्चे भावुक हो उठे। इस पर मैडम ने कहा क्या हो गया, तो बच्चों ने उनसे कहा आप फिर पढ़ाने कब आएंगी? बच्चों का सवाल सुन मैडम भावविभोर हो गईं।
कलेक्टर की सादगी
प्रदेश की प्रशासनिक वीथिका में इन दिनों 2013 बैच के एक आईएएस अफसर विकास मिश्रा की सादगी चर्चा का विषय बनी हुई है। साहब इन दिनों आदिवासी बहुल डिंडोरी जिले के कलेक्टर हैं। एक दिन साहब यहां के एक जनपद मुख्यालय स्थित उत्कृष्ट कन्या छात्रावास में निरीक्षण करने पहुंचे थे। यहां वे शिक्षकों की समस्याएं सुन रहे थे। इस बीच एक शिक्षक शराब के नशे में धुत होकर कलेक्टर से मिलने पहुंच गया। वहां उसने सातवें वेतनमान का एरियर नहीं मिलने की बात कही। इसी दौरान उसने ये तक कह दिया कि, मैं घर से प्रण करके आया था कि डीएम को मारकर ही लौटूंगा। शराब के नशे में धुत शिक्षक को कलेक्टर के सुरक्षाकर्मियों ने रोकने की कोशिश की, लेकिन वो यह कहते हुए कलेक्टर के नजदीक पहुंच गया कि मेरे को कोई नहीं रोक सकता। साहब शिक्षक के इस बर्ताव से तनिक भी विचलित नहीं हुए। उन्होंने उसे समझा-बुझाकर उसकी समस्या का समाधान करने का आश्वासन भी दिया। साहब की इस सादगी को देखकर हर कोई अचंभित रह गया।