- हरीश फतेह चंदानी
70 साल बाद लगी जन चौपाल
गरीबी, सूखा, पलायन के लिए बदनाम बुंदेलखंड के एक जिले में इन दिनों बदलाव की लहर नजर आ रही है। यह बदलाव जिले के कलेक्टर संदीप जी आर के प्रयासों से शुरू हुआ है। 2013 बैच के आईएएस अधिकारी ने जबसे जिले की कमान संभाली है, वे नए-नए प्रयोग कर रहे हैं। इसी कड़ी में उन्होंने जिला मुख्यालय से 100 किमी दूर स्थित एक आदिवासी बाहुल क्षेत्र के विकास का बीड़ा उठाया है। इस क्षेत्र में आदिवासियों का वर्षों से शोषण होता रहा और इन आदिवासियों को शासन से मिलने वाली सभी योजनाओं को दबंग लोगों ने अपने कब्जे में कर रखा था, जिसके चलते अधिकांश शासकीय योजनाओं का लाभ इस क्षेत्र की गरीब जनता को नहीं मिल पा रहा था। आजादी के 70 साल के बाद पहली बार किसी कलेक्टर ने आदिवासी क्षेत्र में रात्रि की जनचौपाल लगाई और जिले भर के अधिकारियों को इस क्षेत्र में अपने साथ घुमाया, ताकि वे शासकीय योजनाओं की जमीनी हकीकत से रूबरू हो सकें। कलेक्टर के इस प्रयास से क्षेत्र में विकास की बयार बहने लगी है।
अभी एक से मुक्ति मिली
1996 बैच के एक आईएएस अधिकारी इन दिनों अपने विभाग में पदस्थ महिला आईएएस अधिकारियों से आहत हैं। प्रदेश में एक भारी-भरकम विभाग की जिम्मेदारी संभालने वाले साहब की परेशानी यह है कि ये महिला आईएएस अधिकारी साहब की तनिक भी सुन रही हैं। साहब ने इन महिला आईएएस अधिकारियों को अपने यहां से हटाकर किसी दूसरे विभाग में पदस्थ करने के लिए प्रशासनिक मुखिया को पत्र लिखा था। साहब के पत्र को प्रशासनिक मुखिया ने गंभीरता से लेते हुए हाल ही में उनके विभाग से एक महिला आईएएस को दूसरी जगह भेज दिया। लेकिन अभी भी तीन महिला आईएएस जमी हुई हैं। सूत्रों का कहना है कि महिला आईएएस अधिकारियों को पता चल गया है कि उनके तबादले के लिए साहब ने जोर-आजमाइश तेज कर दी है। इसलिए अब साहब को डर सता रहा है कि अभी तक थोड़ा-बहुत सुनने वाली इन महिला अफसरों ने अगर उनका बायकॉट कर दिया तो विभाग का काम कैसे होगा।
इश्क और मुश्क छुपाए नहीं छुपते
प्रदेश की प्रशासनिक वीथिका में इन दिनों एक महिला आईएएस के प्रेम के किस्से चर्चा में हैं। ये वही मैडम हैं, जिन्होंने कुछ साल पहले एक अफसर पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगा चुकी हैं। मैडम वर्तमान में राजधानी में पदस्थ हैं। मैडम भलीभांति जानती हैं कि इश्क और मुश्क छुपाए नहीं छुपते, इसके बावजूद वे प्रेम के पेंच लड़ाती रही हैं और चर्चाओं में बनी रही हैं। अभी तक तीन लोगों से प्यार की पारी खेल चुकी मैडम ने अब किसी चौथे व्यक्ति से यारी गांठ ली है। यह चौथा व्यक्ति कौन है, इसकी पड़ताल में मैडम के करीबी के साथ ही खबर्ची भी जुट गए हैं। 2014 बैच की इस महिला आईएएस ने पहले अपने बैच के ही एक आईएएस अधिकारी से शादी की थी, लेकिन इनकी शादी अधिक दिन नहीं चल पाई और मैडम ने मुंह मोड़ लिया। उसके बाद वे एक आईएफएस अफसर के साथ कुछ दिन लिव-इन में रहीं। बात आगे बढ़ती, इससे पहले ही मैडम का उनसे भी मन भर गया। फिर मैडम का दिल एक होमगार्ड सैनिक पर आ गया। दोनों के रिश्ते अभी प्रगाढ़ हो ही रहे थे कि उक्त सैनिक की हत्या हो गई। बताया जाता है कि अब मैडम का दिल किसी चौथे व्यक्ति पर आ गया है।
साहब के बंगले पर नेताजी की नजर
प्रदेश की राजनीति में कद्दावर हैसियत वाले एक नेताजी का दिल 1997 बैच के आईपीएस अफसर के बंगले पर आ गया है। दरअसल, इन साहब का हाल ही में नेताजी के अंचल में तबादला हुआ है और बड़ा ओहदा मिला है। यही नहीं नेताजी को भी हाल ही में उनकी पार्टी में बड़ा ओहदा मिला है। इसलिए नेताजी की ख्वाहिश है कि उनको उनके ओहदे के अनुसार सरकारी बंगला मिलना चाहिए। इसलिए उन्होंने बंगले की तलाश शुरू कर दी है। पूर्ववर्ती सरकार में मंत्री बनने के बाद इन्होंने बड़े चाव से बंगले का चयन किया था। बंगले में ठीक-ठाक ढंग से काम शुरू होता इससे पहले ही सरकार चली गई। सरकार जाने के बाद साल भर में ही यह बंगला छोड़ना पड़ गया था। फिर वर्तमान सरकार में उनकी वरिष्ठता को देखते हुुए बंगला आवंटित कर दिया। अब नेताजी को बड़ा ओहदा मिल गया है, इसलिए उन्होंने एक बार फिर से बड़े बंगले की तलाश शुरू कर दी है और उनकी तलाश उनके अंचल में पदस्थ हुए आईपीएस अफसर के बंगले पर खत्म हो गई है। अब देखना यह है कि नेताजी को यह बंगला मिल पाता है या नहीं।
चहेतों पर मेहरबानी
पिछले कुछ सालों से प्रदेश में बिजली का खेल इस कदर बिगड़ा है कि सरकार के निशाने पर कई अफसर आ गए हैं। लेकिन अभी तक इन अफसरों का बाल बांका भी नहीं हुआ है। अब मप्र पावर जनरेशन कंपनी में मुख्य अभियंता स्तर के ऐसे ही कुछ अधिकारी आने वाले दिनों में सेवा से मुक्त होने की कगार पहुंच रहे हैं लेकिन, मुखिया को उनकी फिक्र सता रही है। इन्हें सेवाकाल खत्म होने के बाद अतिरिक्त जिम्मेदारी दिलाने की कवायद हो रही है। कहते हैं कि इन साहबों ने कार्यकाल में इकाइयों को खूब नुकसान हुआ। कहीं तो इकाइयों में टरबाइन टूटने की अनोखी घटनाएं तक हो गईं। किसी के कार्यकाल में बांध ही टूट गया। यानी अच्छा खासा नुकसान मप्र पावर जनरेशन कंपनी को उठाना पड़ा।