- हरीश फतेह चंदानी
दीया तले अंधेरा
महल के प्रभाव वाले एक जिले में सरकारी कर्मचारियों की मनमानी हमेशा से अफसरों पर भारी पड़ती रही है। खासकर जिला मुख्यालय पर पदस्थ अफसर कलेक्टर के दिशा-निदेर्शों को भी दरकिरार कर अपनी मनमानी करते रहते हैं। 2010 बैच के एक प्रमोटी आईएएस ने जब जिले के कलेक्टर की कमान संभाली तो उन्होंने पूरे जिले में सरकारी कर्मचारियों को पटरी पर लाने का प्रयास किया। ताबड़तोड़ कार्रवाई से डरकर कर्मचारी समय से दफ्तर आने-जाने लगे। जिले में इस बदलाव को देखकर साहब भी फूले नहीं समा रहे थे। लेकिन उन्हें इसकी तनिक भी भनक नहीं थी कि दीया तले ही अंधेरा है। यानी कलेक्टोरेट में ही कर्मचारी समय पर नहीं आते हैं। एक दिन कलेक्टर साहब कलेक्टोरेट पहुंचे तो उन्होंने कलेक्टर कार्यालय के परिसर में स्थित विभिन्न विभागों का आकस्मिक निरीक्षण किया तो हकीकत सामने आ गई। इस दौरान 4 कर्मचारी अनुपस्थित मिले। इसके बाद कलेक्टर ने उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।
हरिराम के जरिए जासूसी
जिस तरह शोले फिल्म में हरिराम नाई जेल के कैदियों के बीच की बात जेलर तक पहुंचाता था, उसी तर्ज पर बिजली विभाग के अफसर कर्मचारियों के बीच जासूसी करा रहे हैं। एक हरिराम की सलाह पर मप्र पावर जनरेटिंग कंपनी ने बिजली तापगृहों में मोबाइल लाने पर पाबंदी लगा दी है। इस आदेश को तत्काल प्रभाव से अमल में लाने के निर्देश मुख्यालय से हुए है। हवाला दिया गया है कि विद्युत गृहों में होने वाली दुर्घटनाओं के पीछे कार्य स्थल पर मोबाइल आदि का अनावश्यक उपयोग बड़ी वजह है। वहीं बिजली मामलों के जानकारों का कहना है कि दुर्घटना के लिए मोबाइल का उपयोग से जुड़ी बात भ्रामक है। असल में बिजली कंपनी तापगृह में चल ही गड़बड़ी को उजागर होने से रोकने की कोशिश कर रही है। कई ताप गृह में तकनीकी खराबी से जुड़ी जानकारी मीडिया के माध्यम से सार्वजनिक हो रही है। इसके बाद प्रशासन ने कार्य के दौरान मोबाइल के उपयोग को रोकने का निर्णय लिया।
क्या भ्रष्टों पर गिरेगी गाज?
माफिया और अपराधियों पर कहर बरपाने के साथ ही सरकार ने भ्रष्ट और लुटेरे अफसरों पर नकेल कसने की कवायद शुरू कर दी है। इसके लिए सरकार ने इंटेलीजेंस के अधिकारियों को भ्रष्ट एवं लुटेरे अफसरों की सूची बनाने का निर्देश दिया था। सूत्रों का कहना है कि इंटेलीजेंस ने वह सूची ईओडब्ल्यू को पहुंचा दी है। इस सूची में थाना स्तर के कई अफसरों की काली करतूतों का कच्छा चिट्ठा है। लेकिन प्रदेश की प्रशासनिक वीथिका में आशंका जताई जा रही है कि शायद ही इस सूची के आधार पर ईओडब्ल्यू कोई कार्रवाई करे। इसकी वजह यह है कि जिन अफसरों के नाम सूची में हैं, उनमें अधिकांश मंत्रियों के चहेते हैं। विभाग उन अफसरों पर कोई कार्रवाई नहीं कर पा रहा है। ताजा मामला प्रदेश की व्यवसायिक राजधानी में सामने आया है। यहां एक थाने के टीआई को शिकायतों के बाद हटा दिया गया था, लेकिन एक मंत्रीजी के चहेते इस अफसर को बचाने के लिए उनके चहेते दूसरे अफसर को जांच की जिम्मेदारी दी गई है। ऐसे में निष्पक्ष जांच की आशा कैसे की जा सकती है। यही नहीं लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू में पहले से ही भ्रष्ट अफसरों की शिकायतों का अंबार लगा हुआ है।
शाही शादी की चर्चा अभी से
अगले साल जनवरी में होने वाली एक शाही शादी की चर्चा इन दिनों प्रदेश की राजनीतिक और प्रशासनिक वीथिका में खूब हो रही है। इस शादी की अभी से तैयारियां की जा रही हैं। भदभदा क्षेत्र में खाली पड़ी एक जमीन पर 4 एकड़ क्षेत्र में शादी की तैयारी की जा रही है। चर्चा है कि इस शादी में प्रधानमंत्री से लेकर देश-प्रदेश के कई नेता और अभिनेता शिरकत करेंगे। इसको देखते हुए शादी की तैयारियों को भव्य रूप दिया जा रहा है। देशभर में कई उद्योगपतियों ने भव्य स्तर पर अपने बच्चे-बच्चियों की शादियां की हैं, लेकिन सूत्रों का कहना है कि मप्र की राजधानी भोपाल में होने वाली यह शादी कई मामलों में भव्य शाही शादी होगी। बताया जाता है कि शादी में आने वाले अतिथियों को अभी से निमंत्रण देकर उक्त दिनांक के दिन उन्हें खाली रहने की गुजारिश की जा रही है। यह शादी एक अखबार मालिक की बेटी की है।
लक्ष्मी संग्रह में व्यस्त साहब
इन दिनों प्रदेश के एक बड़े विभाग के बड़े साहब से उनके विभाग में पदस्थ अन्य आईएएस खार खाए बैठे हैं। 1996 बैच के ये साहब जबसे इस विभाग के मुखिया बने हैं, उनकी हरकतों से सब परेशान हैं। आलम यह है कि विभाग के मंत्री को तो वे तनिक भी भाव नहीं देते हैं। कई बार इनकी भर्राशाही और लालफीताशाही के कारण सरकार की छवि भी धूमिल हुई है। लेकिन उसके बाद भी साहब की हरकतें कम नहीं हो रही हैं। सूत्रों का कहना है कि कहने को तो विभाग को साहब चला रहे हैं, लेकिन सारा काम सचिव कर रहे हैं। साहब इन दिनों बस एक ही काम में जुटे हुए हैं, वह है लक्ष्मी संग्रह। बताया जाता है कि साहब ने इंजीनियरों से उगाही शुरू कर दी है। वे इंजीनियरों को खुद फोन लगाते हैं और उनसे चढ़ावे की मांग करते हैं। साहब की इन करतूतों से विभाग में उनके अधीनस्थ जो अन्य आईएएस अधिकारी हैं, वे काफी नाराज हैं। इसकी वजह यह है कि साहब अकेले ही सबकुछ डकार रहे हैं।