- हरीश फतेह चंदानी
साहब की साइकिल की सवारी
2015 बैच के एक तेज तर्रार आईएएस स्वप्निल वानखेड़े इन दिनों संस्कारधानी में चर्चा का विषय बने हुए हैं। दरअसल, साहब के पास शहर सरकार की कमान है। वे साइकिल पर सवार होकर शहर भ्रमण पर निकल जाते हैं। इससे साहब के मातहत के साथ ही ठेकेदार भी परेशान हैं। दरअसल, पदभार संभालने के साथ ही साहब ने शहर को नंबर-1 बनाने का संकल्प लिया है। इस संकल्प को पूरा करने के लिए साहब अपना भरसक प्रयास कर रहे हैं। जिसको लेकर वह सुबह से ही साइकिल से शहर की सफाई व्यवस्था देखने निकल रहे हैं। साहब के साइकिल से भ्रमण के दौरान आला अधिकारी दहशत में रहते हैं। उनको इस बात की चिंता रहती है कि ,कहीं साहब हमारे क्षेत्र में साइकिल से न पहुंच जाएं। वहीं साहब को जिस क्षेत्र में गंदगी दिखाई देती है, मौके पर अधिकारी को बुलाकर फटकार लगाते हैं। ऐसे में आजकल हर अफसर का ध्यान सफाई व्यवस्था पर लगा हुआ है।
कॉमन मैन की गुहार पर पारा हाई
विंध्य क्षेत्र के एक कलेक्टर इस समय प्रदेश की राजनीतिक और प्रशासनिक वीथिका में चर्चा का विषय बने हुए हैं। 2014 बैच के उक्त आईएएस अधिकारी जनसुनवाई में एक कॉमन मैन से इस कदर भिड़ गए कि वहां हडक़ंप मच गया। दरअसल, न्याय की आस लगाए फरियादी कई बार अपनी फरियाद लेकर आया था। इसके बावजूद उस पर कार्रवाई नहीं हो रही थी। कलेक्टर के सामने फरियादी ऊंची आवाज में बात करने लगा। इस पर कलेक्टर भडक़ गए। इस पर कलेक्टर ने कहा कि धीरे बोलो, जब वह अपनी बात पर कायम रहा तो कलेक्टर ने पुलिस को फोन लगाने के लिए कहा। फरियादी कलेक्टर के तेवर देखकर भी नहीं डरा। कलेक्टर उससे कह रहे थे कि तुम आक्षेप का सबूत दो। वह कह रहा था कि मेरे पास सारे सबूत हैं। शिकायत के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। हम सभी जगह चक्कर लगा रहे हैं। आम आदमी की कहीं सुनवाई नहीं हो रही है। आप मुझे जेल में डाल दीजिए।
कप्तान का सहज अंदाज
अपने सहज और सरल व्यवहार की वजह से लोकप्रिय हुए 2013 बैच के आईपीएस अधिकारी अभिषेक तिवारी का जब निमाड़ क्षेत्र के एक जिले से ट्रांसफर हुआ तो जिले के लोग मायूस हो गए, क्योंकि साहब अब बुंदेलखंड के सागर जिले में कप्तान बनकर जा रहे थे। दरअसल, साहब जब तक जिले में रहे उनके दरवाजे आमजन के लिए भी हमेशा खुले रहे। साहब की सरलता की झलक उस दिन उनके मातहत और लोगों ने भी महसूस की, जब ट्रांसफर के बाद उन्होंने सभी अधीनस्थ कर्मचारियों से उनके केबिन में जाकर मुलाकात की और कर्मचारियों को बेहतर सहयोग के लिए धन्यवाद भी दिया। गौरतलब है कि साहब जनसुनवाई में पहुंचने वाले सभी आवेदकों की समस्या को देर शाम तक स्वयं बैठ कर सुनते थे और सभी थाना प्रभारियों और अधिकारियों की भी जनसुनवाई में उपस्थिति सुनिश्चित करते थे। यही वजह है कि स्थानांतरण के बाद आम लोग भी उनसे मिलने पुलिस अधीक्षक कार्यालय बड़ी संख्या में पहुंचे।
विद्यार्थी की तरह जनसुनवाई
जैसा नाम वैसा काम वाली कहावत तो आपने सुनी ही होगी। इस कहावत को गत दिनों 2010 बैच के आईपीएस अधिकारी तुषारकांत विद्यार्थी साकार करते नजर आए। दरअसल, साहब अभी हाल ही में महाकौशल क्षेत्र के सबसे बड़े जिले जबलपुर के एसपी बने हैं। ऐसे में जब लोग साहब की पहली जनसुनवाई में पहुंचे तो उन्हें इस बात की उत्सुकता थी कि साहब का मिजाज कैसा होगा। लेकिन लोग यह देखकर चौंक गए कि साहब विद्यार्थी’ की तरह लोगों की समस्याएं सुन रहे थे। साहब की इस सादगी को कुछ लोग उनकी कमजोरी मान रहे थे। लेकिन इस दौरान एक शिकायत बिल्डर के खिलाफ आई। जिसमें बिल्डर के द्वारा अवैध प्लाटिंग की जा रही थी। यह शिकायत मिलते ही साहब का रौद्र रूप भी दिखा। उन्होंने तत्काल ही बिल्डर के रिकॉर्ड खंगालने के निर्देश एडिशनल एसपी को दे दिए। वहीं जनसुनवाई के दौरान करीब 38 शिकायतें आई। जिन्हें एसपी ने तत्काल ही समस्याओं को दूर करने के निर्देश संबंधित थाना प्रभारियों को दिए।
अंगद बने डीएफओ
प्रदेश का कूनो नेशनल पार्क इस समय चीतों और वहां के डीएफओ प्रकाश वर्मा के कारण चर्चा का विषय बना हुआ है। दरअसल, डीएफओ साहब अंगद की भूमिका में हैं और उन्हें वहां से उखाड़ने के जितने भी प्रयास हुए हैं, वे अभी तक सफल नहीं हो पाए हैं। डीएफओ का फरवरी में सिवनी जिले के लिए तबादला हो गया था। लेकिन वे जिला नहीं छोड़ना चाहते हैं। इसलिए वह तबादला रुकवाने में लगे हैं। जबकि जिले में डीएफओ के कार्यकाल को करीब 3 साल का समय भी हो चुका है। तबादला होने के 1 महीने बाद भी उन्हें यहां से नहीं हटाया गया। आरोप लगाया जा रहा है कि चीता प्रोजेक्ट के लिए कूनो नेशनल पार्क में भारी भरकम बजट लगातार दिया जा रहा है। इसके बंदरबांट का खेल ऊपर तक चल रहा है। चर्चा तो यहां तक है कि कूनो के आसपास की बेशकीमती जमीन है, उन्होंने किसी के नाम पर खरीद रखी है। इसलिए वह खुद कभी यहां से जाना नहीं चाहते।