- प्रणव बजाज
खाने के कुछ और दिखाने के कुछ
कहते हैं हाथी के दांत दिखाने के कुछ और खाने के कुछ और होते हैं, ऐसा ही कुछ नेतागिरी में भी कभी -कभी करना पड़ता है। ऐसे ही एक भाजपा के नेता जी का किस्सा इन दिनों चर्चा में बना हुआ है। यह नेता जी वैसे तो सार्वजनिक जीवन में बेहद सादगी से रहने का दिखावा करनले का कोई मौका नहीं छोड़तें हैं। बात फिर आंखों से किसी भी नेता या कार्यकर्ता का दिल व दिमाग पड़ लेने वाले भारतीय राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले राजनेता अमित शाह के सामने जाने की हो तो अत्याधिक सावधानी बरतना लाजमी है। शाह के दौरे के समय बेहद लग्जरी जिंदगीं जीने वाले कई नेताओं ने बेहद सादगी दिखाने की पूरी कोशिश की, लेकिन शाह ने उन्हें सत्ता सुख का बड़ा भोगी बताकर साफ कर दिया की उन्हें सब पता है। यह बात अलग है कि संगठन का सुख भोगने वाले एक बड़े ओहदेदार ने सच छिपाने का प्रयास तक नहीं किया। लंबे अंतराल के बाद भोपाल आए यह नेता जी जब कार से उतरे तो वहां मौजूद हर आमोखास की आंखें चौंधिया गई। वे ऐसी कार से आए थे , जिसमें अंदर पूरे महल जैसी सुविधाएं मौजूद थीं। बात दें इस कार की कीमत ही एक करोड़ से शुरू होती है। यह बात अलग है कि उनके अपने ही नेता यह चर्चा करने में पीछे नहीं रहे की भले ही राजनीतिक सफर कांटों भरा है, लेकिन सड़क के सफर को आरामदायक बना लेने में क्या हर्ज है।
अब बाबुओं की सीआर भी होगी ऑनलाइन
प्रदेश सरकार का पूरा जोर पेपरलेस वर्किंग पर बना हुआ है। अब इस दिशा में एक नया कदम और उठा लिया गया है। यह कदम है बाबुओं की सीआर ऑनलाइन लिखने की। इसके लिए अब बाबुओं को अपने कामकाज का पूरा ब्यौरा ऑनलाइन देना होगा। इसी के तहत ही उनके कामकाज का आंकलन किया जाएगा। इस नई व्यवस्था की शुरुआत मंत्रालय से कर दी गई है। इसके लिए बाबुओं को दो माह का समय दिया गया है। फिलहाल उनकी गोपनीय चरित्रावली ऑफ लाइन लिखी जाती है। इसके लिए कर्मचारियों को प्रशिक्षण देने का भी काम किया जा चुका है। फिलहाल इसमें सहायक अनुभाग अधिकारी, सहायक ग्रेड2 और तीन के अलावा निज सहायकों को भी शामिल किया गया है।
बोले कमलनाथ: सरकार झूठे आंकड़ों से छिपा रही नाकामी
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने आरोप लगाया है कि प्रदेश की शिवराज सरकार तमाम मामलों में झूठे आंकड़े पेश कर सरकार की नाकामी छिपाने का काम कर रही है। उनका कहना है कि फिर प्रदेश में बिजली , पानी और कोयला संकट का मामला ही क्यों न हो। उनका कहना है कि प्रदेश में बिजली संकट खासतौर पर ग्रामीण इलाकों में बढ़ता ही जा रहा है। इसकी वजह से इस भीषण गर्मी में लोग परेशान हैं। कोयला संकट की वजह से बिजली का उत्पादन प्रभावित हो रहा है और पानी संकट भी गहराता जा रहा है। इसके बाद भी सरकार द्वारा गलत आंकड़ों का सहारा लेकर सच्चाई को छिपाने का प्रयास किया जा रहा है। उनका कहना है कि सरकार को जल्द ही इन समस्याओं से जनता को राहत देने के लिए ठोस कदम उठा कर जनता को सच बताना चाहिए।
एक विभाग में सभी के साथ किया जा रहा न्याय
सूबे में एक मलाईदार विभाग ऐसा है जिसमें सभी अफसरों को भरपूर मलाई चाटने का बराबरी से मौका दिया जा रहा है, जिसकी वजह से किसी को कोई शिकायत नही है। इस मामले में जूनियर व सीनियर सभी को बल्लेबाजी करने के लिए बराबरी से पिच पर बतौर प्रभारी बनाकर भेजा जाता है। बता दें की यह महकमा निर्माण के कामों से जुड़ा हुआ है। इस विभाग में प्रभार का खेल जमकर चल रहा है। हाल ही में सरकार ने 61 साल के एक प्रोजेक्ट को बंद किया, लेकिन उसके अधीन आने वाली सड़कों का जिम्मा अब तक इंजीनियर देख रहे थे, लेकिन अब वह काम एक प्रभारी अधीक्षण यंत्री को दे दिया गया है। हालांकि ये महाशय कार्यपालन यंत्री के पद पर पदस्थ हैं। साथ ही उन्हें डिजाइन का भी काम दिया गया है, जबकि डिजाइन का काम भी दे दिया गया है, यह बात अलग है कि उन्हें इसका अनुभव तक नहीं है। इसकी वजह से यह चर्चा शुरू हो गई है कि अच्छा काम नहीं होने पर ही तो प्रोजेक्ट को बंद किया गया है, तब फिर विभाग में इस तरह की मेहरबानी क्यों।