- हरीश फतेह चंदानी
कबाड़ी के 5 संरक्षक
राजधानी में एक कबाड़ी इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। शहर के कई थानों में 420 के मामले में नामित होने के बाद भी कोई इस कबाड़ी का बाल बांका भी नहीं कर पा रहा है। कबाड़ी के इस रसूख की जब पड़ताल की गई तो यह तथ्य सामने आया कि शहर के 5 थाना इंचार्ज इस कबाड़ी के संरक्षक बने हुए हैं। दरअसल, यह कबाड़ी बंद फैक्ट्रियों से कबाड़ उठाता है। बताया जाता है कि यह कबाड़ी शहर के 5 टीआई की ब्लैक मनी को व्हाइट करता है। सूत्रों का कहना है कि ये थाना इंचार्ज दिनभर में जो भी कमाई करते हैं, उसे कबाड़ी के पास भिजवा देते हैं। कबाड़ी उस पैसे को कबाड़ खरीदने के साथ ही कई ऐसी जगह निवेश करता है, जिससे छोटे साहबों की इनकम भी बढ़ती है और उन पर कोई उंगली भी नहीं उठा पाता है। ये पांचों टीआई शहर के बड़े थानों में पदस्थ हैं। इनमें से एक साहब अभी हाल ही में थाने से हटाए गए हैं और लाइन हाजिरी दे रहे हैं।
साहब वीसी में व्यस्त
2011 बैच के आईएएस अधिकारी जबसे महाकौशल क्षेत्र के बड़े जिले के कलेक्टर बने हैं, तबसे वे इस कदर व्यस्त हैं कि जनता की उन्हें सुध ही नहीं रही है। दरअसल, साहब की वीसी यानि वीडियो कांफ्रेंसिंग व बैठकों का सिलसिला नहीं थम रहा है। यही वजह है कि अधीनस्थ अधिकारियों का भी अधिकांश समय वीसी व बैठकों में बर्बाद हो रहा है। इसका असर जनता से जुड़े कामकाज पर पड़ रहा है। तमाम फरियादी परेशान हो रहे हैं और लंबित प्रकरणों की संख्या भी बढ़ रही है…। कलेक्टर कार्यालय के एक कक्ष में बैठे कुछ कर्मचारी इस आशय की चर्चा कर रहे थे। एक कर्मचारी ने कहा कि लगातार बैठकें व वीसी से होना क्या है। मझोले अधिकारी बच्चे तो हैं नहीं जो एक-एक विषय के लिए वीसी या बैठक लेकर उन्हें समझाया जाए। दूसरे ने कहा कि यही वजह है कि अधिकारी अपनी कुर्सी पर बैठ ही नहीं पा रहे हैं। तीसरे कर्मचारी ने कहा कि अधिकारी कुर्सी पर बैठे मिले तब भी वीसी चलती रहती है। साहब को छोटे जिलों की मानसिकता से ऊपर उठकर काम करना चाहिए।
10 महीने बाद दिखी हकीकत
विंध्य क्षेत्र के एक बड़े जिले के कलेक्टर साहब को अपनी पदस्थापना के 10 महीने बाद कलेक्टोरेट की हकीकत दिखी तो वे दंग रह गए। फिर क्या था 2011 बैच के प्रमोटी आईएएस अधिकारी ने कलेक्टरी का फर्ज निभाते हुए एक साथ 200 अधिकारियों-कर्मचारियों को नोटिस थमा दिया। दरअसल, साहब जब भी समीक्षा बैठक करते, अधिकारी उन्हें कागजी रिपोर्ट सौंपकर वाहवाही लूट लेते। लेकिन जब उच्च न्यायालय के प्रकरणों में विलंब का मामला सामने आया तो साहब ने दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों को नोटिस जारी किया है। जवाब दावा प्रस्तुत करने पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी भी दी। जिन अधिकारियों को नोटिस जारी हुआ है, इसमें अनुविभागीय अधिकारी राजस्व, तहसीलदार, सीएमएचओ, बीएमओ, जनपद के सीईओ, सीडीपीओ एवं अन्य विभागों के अधिकारी शामिल हैं। अब इन सबको समझ में नहीं आ रहा है कि नोटिस का जवाब कैसे दिया जाए।
साहब का पथ संचलन
2009 बैच के आईएएस अधिकारी को जबसे प्रदेश के सबसे चर्चित जिले का कलेक्टर बनाया गया है, साहब जिले की नाक ऊंची रखने की कोशिश में जुट गए हैं। आलम यह है कि अफसरों से मिले फीडबैक और बैठकों में मिली जानकारी की सच्चाई जानने के लिए साहब कभी भी पैदल मार्च पर निकल पड़ते हैं। साहब का भी मानना है कि किसी नई जगह या नए शहर को समझने के लिए अधिक से अधिक पैदल या साइकिल की सवारी करना चाहिए। कुछ इसी अंदाज में नए कलेक्टर चुपचाप अपनी गाड़ी से निकलते हैं और उसे एक जगह खड़ी करवाकर पैदल सड़कों को नाप रहे हैं। पता चला है कि इसी पथ संचलन के दौरान उन्हें शहर की कई खामियां नजर आई हैं। जिसका निराकरण वे करवा रहे हैं। दरअसल, शहर में प्रशासन प्रवासी भारतीय सम्मेलन और ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन होना है। इसलिए साहब इस कोशिश में लगे हैं कि शहर प्रदेश के विकास के आईने के रूप में सबको दिखे।
हंसी-हंसी में चप्पल चोरी
पशुपतिनाथ मंदिर के लिए ख्यात निमाड़ क्षेत्र के एक जिले के कलेक्टर साहब उस दिन हैरान-परेशान रह गए, जब हंसी-हंसी में उनकी चप्पल चोरी हो गई। दरअसल, 2011 बैच के प्रमोटी आईएएस अधिकारी जबसे जिले के कलेक्टर बने, वे यहां नवाचार करते रहते हैं। इसी कड़ी में गत दिनों जिला मुख्यालय के एक उद्यान में हास्य योग शिविर लगाया गया। इसमें कलेक्टर और स्थानीय विधायक समेत कई लोग सम्मिलित हुए। सभी ने जमकर ठहाके लगाए और हास्य से होने वाले फायदों के बारे में बात की। लेकिन इस बीच कलेक्टर साहब की चप्पल चोरी हो गई, जो काफी चर्चा का विषय बनी रही। चप्पल ही चोरी होने की वजह से कलेक्टर को बिना चप्पल नंगे पैर ही मैदान में घूमना पड़ा। लेकिन हास्य शिविर में सम्मिलित होने आए कलेक्टर इस पर भी नाराज नहीं हुए। वो आयोजकों से हास्य विनोद करते हुए दिखाई दिए। जब कलेक्टर नंगे पैर अपनी गाड़ी की तरफ जा रहे थे, उसी समय एक जोड़ी चप्पल लेकर आयोजक समिति के सदस्य मौके पर पहुंच गए। बताया जा रहा है कि कलेक्टर साहब की चप्पल कोई गलती से पहन गया था, जो बाद में उन्हें लौटाई गई।