सूर्यदेव का यह व्रत शत्रुओं को बना देता है मित्र

सूर्यदेव

बिच्छू डॉट कॉम। मार्गशीर्ष माह में शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को भगवान सूर्यदेव को समर्पित मित्र सप्तमी का त्योहार मनाया जाता है। प्रत्यक्ष देवता भगवान सूर्यदेव को मित्र नाम से भी संबोधित किया जाता है। इसलिए इस त्योहार को मित्र सप्तमी नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि मित्र सप्तमी का व्रत रखने से चर्म तथा नेत्र रोगों से मुक्ति मिलती है। इस व्रत के प्रभाव से आरोग्य व दीर्घ आयु का वरदान प्राप्त होता है। इस दिन सूर्य की किरणें अवश्य ग्रहण करनी चाहिए। मित्र सप्तमी को लेकर कहा जाता है कि सूर्यदेव मित्रों के समान अपने भक्तों को सकारात्मक प्रेरणा देते हैं।

मित्र सप्तमी का व्रत कठिन कार्यों को भी संभव बना देता है और शत्रु को भी मित्र बना देता है। मित्र सप्तमी के दिन भगवान सूर्यदेव की उपासना करते हुए पवित्र नदी के किनारे सूर्यदेव को जल अर्पित करें। इस दिन तेल और नमक का त्याग करना चाहिए। इस दिन सूर्यदेव की किरणें अवश्य ग्रहण करनी चाहिए। इस दिन सूर्यदेव की पूजा अर्चना करने और भोर में अर्घ्य देने पर विशेष फल की प्राप्ति होती है। लाल रंग के चंदन, लाल फूल, चावल को तांबे के बर्तन में रखकर सूर्यदेव को अंजलि से तीन बार अर्घ्य दें। मित्र सप्तमी पर श्रद्धा के साथ व्रत रखने से घर में धन धान्य की वृद्धि होती है और परिवार में सुख-समृद्धि आती है। इस दिन सफेद वस्तु का दान करें। इस दिन सूर्यदेव का स्मरण कर मंदिर में घी का दीपक जलाने से नेत्र रोग दूर हो जाते हैं। महुआ के तेल का दीपक जलाने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है। तिल के तेल का दीपक जलाने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। सप्तमी को नीले रंग के वस्त्र धारण नहीं करना चाहिए। इस दिन आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ एवं दान करने से अक्षय पुण्य फल की प्राप्ति होती है। इस दिन व्रत रखकर सिर्फ मीठे फलों का सेवन करें। 

Related Articles