बिच्छू डॉट कॉम। मार्गशीर्ष मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी का पावन व्रत रखा जाता है। इस दिन ही गीता जयंती का त्योहार भी मनाया जाता है। मोक्षदा एकादशी को लेकर कहा जाता है कि इस व्रत से बढ़कर मोक्ष प्रदान करने वाला कोई दूसरा व्रत नहीं है। मोक्षदा एकादशी का व्रत करने से समस्त पाप दूर हो जाते हैं और पूर्वजों को भी मोक्ष की प्राप्ति होती है। भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित इस एकादशी व्रत का लाभ व्रती के साथ पितरों को भी प्राप्त होता है और समस्त पाप दूर हो जाते हैं। इस व्रत में भगवान श्रीकृष्ण का स्मरण करें एवं गीता पाठ करें। इस एकादशी को ही भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था, इसलिए मोक्षदा एकादशी का महत्व और बढ़ जाता है। इस दिन तुलसी की मंजरी, धूप-दीप आदि से भगवान श्री हरि का पूजन करें।
एकादशी के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण कर भगवान श्री हरि की पूजा करें। एकादशी व्रत से एक दिन पूर्व दशमी तिथि को दोपहर में एक बार ही भोजन करें। मान्यता है कि इस दिन किसी योग्य व्यक्ति को भागवत गीता उपहार स्वरूप देने से भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त होता है। मोक्षदा एकादशी पर श्रीहरि नाम का संकीर्तन करते हुए रात्रि जागरण करें। मोक्षदा एकादशी की कथा का पाठ करने से वाजपेय यज्ञ के समान पुण्य फल की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि इस दिन से गीता पाठ का अनुष्ठान प्रारंभ करना चाहिए और प्रतिदिन गीता का पाठ करना चाहिए।