मप्र के इन 11 जिलों में मिलता है खरा सोना

 खरा सोना

भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। सोने की शुद्धता और इसके कारोबार की विश्वसनीयता मजबूत करने की व्यवस्था करीब सात माह बाद भी प्रदेश में साकार नहीं हो सकी है। इसके पीछे हॉलमार्किंग सेंटरों का अभाव कारण है। केंद्र ने एक जुलाई 2021 से पूरे देश में स्वर्ण आभूषणों के लिए हॉलमार्क अनिवार्य किया था। प्रदेश के सिर्फ 11 जिलों में हॉलमार्क के स्वर्ण आभूषण मिल रहे हैं, बाकी 44 जिलों में हॉलमार्किंग सेंटर ही नहीं हैं। हालांकि ऐसा नहीं है कि इन 44 जिलों में बिक रहे सोने के आभूषण शुद्ध सोने के नहीं हैं, बस उन पर सरकार की विश्वसनीयता की सील नहीं है। कारोबारियों को उम्मीद है कि 6 महीने में अधिकांश जिलों में हॉलमार्किंग सेंटर शुरू हो जाएंगे। प्रदेश में 23 हॉलमार्किंग सेंटर हैं, जहां सोने की शुद्धता परखकर उसके खरा होने की सील लगाई जा रही है। प्रदेश में लाइसेंस लेने वालों की संख्या 3085 है।
इन जिलों में हैं
हॉलमार्किंग सेंटर
ज्वेलर्स डेवलपमेंट वेलफेयर एसोसिएशन मप्र के सचिव संतोष सराफ ने बताया, मप्र में इंदौर, भोपाल, रतलाम, जबलपुर, ग्वालियर, सतना, देवास, रीवा, मुरैना, उज्जैन आदि जगह 23 हॉलमार्किंग सेंटर हैं। इनके आसपास के जिले भी लाइसेंस लेकर आभूषणों पर हॉलमार्क लगवा सकते हैं। बालाघाट सहित कुछ जिलों में सेंटर खोलने की तैयारी है। जहां हॉलमार्किंग सेंटर हैं, वहां किसी को भी बिना हॉलमार्क के आभूषण बेचने की अनुमति नहीं है। ऐसा करने वालों पर सख्त कार्रवाई के नियम हैं।
एक आभूषण पर 41.30 रुपए का खर्च
 हॉलमार्किंग सेंटर शुरू करने में करीब एक करोड़ रुपए का खर्च आता है। एक आभूषण हॉलमार्क लगवाने पर ज्वेलर्स को जीएसटी सहित 41 रुपए 30 पैसे का खर्च आता है। आभूषण एक ग्राम का हो या एक किलो का, हॉलमार्क शुल्क इतना ही लगता है। सराफा व्यवसायी पुरुषोत्तम शर्मा ने बताया, देश में 726 में से 256 जिलों में ही हॉलमार्क की व्यवस्था अनिवार्य हो सकी है।

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