- प्रणव बजाज
भतीजों की भाईगिरी
कांग्रेस भले ही सत्ता से दूर हो गई है, लेकिन कई कांग्रेसियों पर अभी भी सत्ता का नशा चढ़ा हुआ है। इसी नशे में भिंड जिले के एक विधायक और उनके भतीजे इस कदर डूबे हुए हैं कि वे शासन-प्रशासन का भी लिहाज नहीं कर रहे हैं। ये हैं गोहद विधायक मेवाराम जाटव और उनके भतीजे। माननीय के भतीजे अक्सर पुलिस से भीड़ जाते हैं। एक बार फिर से उनकी पुलिस से झड़प हो गई। इस बार पुलिस ने उन्हें 151 की कार्रवाई कर छोड़ दिया। वहीं विधायक नाराजगी जताते हुए कहते हंै कि पुलिस हमारे परिवार पर रौब दिखाकर लोकप्रियता हासिल करना चाहती है। इससे पहले भी विधायक के भतीजे का गोहद पुलिस से रात के समय विवाद हो चुका है। पुलिस अधिकारियों के अनुसार गोहद अनुभाग के एक अधिकारी गश्त के लिए रात के समय भिंड आ रहे थे। बंधा रोड पर एक कार में सवार चार लोगों ने पुलिस की गाड़ी को देखकर कुछ अपशब्द बोल दिए। अधिकारी ने थाने को सूचना दे दी। पुलिस पहुंची तो विधायक के कार्यालय प्रभारी बबलू बरैया और उनके छोटे भाई रामरतन जाटव के दो लड़के आकाश और विकास गोयल के अलावा एक अन्य कार में सवार थे। बबलू और आकाश भाग गए। जबकि पुलिस ने विकास को पकड़ लिया गया। इसके बाद पुलिस ने विकास का मेडिकल कराया। पुलिस सूत्रों की मानें तो सभी कार में शराब पी रहे थे। उनकी पुलिस से झूमाझटकी भी हुई। लेकिन बाद में विकास को धारा 151 की कार्रवाई कर छोड़ दिया गया।
गृहमंत्री का कारगर कदम
प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा इनदिनों संवेदनशील मुद्दों को लेकर काफी सजग नजर आ रहे हैं। उन्होंने पिछले कुछ दिनों में कई ऐसे निर्णय लिए हैं, जिसे जनता ने खूब सराहा है। हालही में उन्होंने फ्री-फायर गेम पर प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया है जिसे प्रदेश की जनता ने कारगर कदम बताया है। यही नहीं उनके ऐलान के ठीक एक दिन बाद गृह विभाग ने इस पर कार्रवाई शुरू कर दी है। गृह विभाग ने एक्ट का मसौदा तैयार कर लिया है। अब इसमें कानूनविदों से राय-मशवरा किया जाएगा। उसके बाद सरकार इस पर अंतिम फैसला करेगी। मध्यप्रदेश में फ्री- फायर गेम खेलने के कारण कई बच्चे सुसाइड कर चुके हैं। भोपाल के शंकराचार्य नगर में हाल ही कक्षा पांचवी के छात्र सूर्यांश ओझा ने सुसाइड कर लिया था। इसे नरोत्तम मिश्रा ने गंभीरता से लिया और इस पर नियंत्रण के लिए ऑनलाइन गेमिंग एक्ट लागू करने की घोषणा की। इसको लेकर गृह विभाग ने काम शुरू कर दिया है। जिम्मेदारी खुद गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा उठा रहे हैं। इसे रोकने के लिए बनाए जाने वाले अधिनियम का मसौदा तैयार कर लिया गया है। इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट और अलग-अलग राज्यों के हाईकोर्ट से अलग- अलग फैसले भी हुए हैं। उसका गृह विभाग के अधिकारी अध्ययन कर रहे हैं।
दिग्गी राजा को भी याद आए किसान
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का एक पत्र चर्चा में है। अक्सर हिंदू, हिंदुत्व, संघ, भाजपा, मुसलमान की बात करने वाले दिग्गी राजा ने इस पत्र में किसानों की चिंता की है। दरअसल, उन्होंने रबी और खरीफ की फसलों की समर्थन मूल्य पर खरीदी की नीति बदलने से पहले देश के किसानों के साथ चर्चा किए जाने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। उन्होंने कहा कि खरीदी के मापदंड बदले गए, तो किसानों को निराशा होगी और उनमें रोष व्याप्त होगा। पूर्व सीएम ने कहा कि केंद्र सरकार के तुगलकी फरमान से एक बार फिर पूरे देश में करोड़ों किसान की बर्बादी होने जा रही है। किसानों के महीनों चले आंदोलन के बाद आपने तीन काले कृषि कानून वापस लेकर जो राहत दी थी, उस पर अफसरशाही पानी फेर रही है। भारत सरकार के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग की सहमति के बाद भारतीय खाद्य निगम न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेंहूं, चावल और धान की खरीदी के नियम बदलने जा रही है। इन नियमों के इस वित्तीय वर्ष 2022-23 से लागू किए जाने की कार्यवाही अंतिम चरण में है। उन्होंने पीएम से पूछा कि मैं जानना चाहता हूं कि देश के 15 करोड़ किसानों से समर्थन मूल्य पर धान-गेंहं खरीदने की नीति चंद नौकरशाह कैसे बदल सकते हैं? इस कमेटी में न केंद्रीय कृषि मंत्री थे, न ही राज्यों के कृषि मंत्री। कृषि मामलों के विशेषज्ञ भी नहीं रखे गए और कमेटी की किसान विरोधी सिफारिशें लागू करने का फैसला हो गया है।