भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। नया साल प्रदेश के महाविद्यालयीन कर्मचारियों के लिए बड़ी खुशखबरी लेकर आया है। इसकी वजह है सरकार का वह आदेश जिसमें उनका सालों से बकाया चल रहा उनका 50 प्रतिशत एरियर्स देने का उल्लेख किया गया है। इसकी वजह से अब उन्हें एक साथ तीन से लेकर चार लाख रुपए का भुगतान मिलने का रास्ता न केवल खुल गया है बल्कि उसका भुगतान भी शुरू हो गया है। इसके लिए प्रदेश सरकार द्वारा 350 करोड़ की राशि जारी की जा रही है। इसकी वजह से नए साल के पहले महिने में ही उच्च शिक्षा संस्थानों और विश्वविद्यालयों में पदस्थ प्राध्यापकों, ग्रंथपालों और खेल अधिकारियों सहित सात हजार कर्मचारियों को यह बड़ी सौगात मिलने लगी है।
यह वे कर्मचारी हैं जिन्हें यूजीसी वेतनमान की पात्रता है। दरअसल सरकार द्वारा बीते रोज जारी किए गए आदेश में इनके बकाया 50 प्रतिशत एरियर्स की राशि देने के आदेश दिए हैं। दरअसल, इसकी कवायद बीते लंबे समय से की जा रही थी। उल्लेखनीय है कि प्रदेश सरकार ने वर्ष 2019 में यूजीसी वेतनमान देने का आदेश दिया था। इसमें यह कहा गया था कि वित्तीय वर्ष 2018- 2019 में एरियर्स की संपूर्ण राशि संबंधित प्राध्यापक, ग्रंथपाल और खेल अधिकारी के जीपीएफ खाते में जमा कर दी जाएगी, लेकिन आईएफएमआईएस सॉफ्टवेयर यूजीसी वेतनमान के अनुसार अपडेट नहीं किए जाने की वजह से एरियर्स की राशि का आहरण नहीं किया जा सका था। इसकी वजह से 350 करोड़ रुपए की यह राशि लैप्स हो गई थी।
इसकी वजह से बीते डेढ़ साल तक एरियर्स की राशि का भुगतान ही नहीं हो पा रहा था। इसकी वजह से मप्र प्रांतीय शासकीय महाविद्यालयीन प्राध्यापक संघ को हाईकोर्ट में एरियर्स के शीघ्र भुगतान और विलंबित ब्याज राशि के भुगतान के लिए याचिका दायर करनी पड़ी। इसके बाद शासन ने मार्च 2020 में भारत सरकार के हिस्से की 50 प्राप्त कर उसका भुगतान यूजीसी वेतनमान वाले स्टाफ को कर दिया गया। इस संबंध में कोर्ट में जवाब प्रस्तुत कर दिया गया है।
05/01/2022
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