भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। एक दो माह बाद उत्तरप्रदेश में होने वाले आम विधानसभा चुनाव के ठीक पहले जिस तरह से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन राव भागवत ने हिन्दू एकता लिए समाज के ताकतवर लोगों से भय और अहंकार पर आधारित प्रवृत्ति को छोड़ने की नसीहत दी है , उसके भाजपा के मठाधीशों को लेकर अलग-अलग राजनैतिक मायने निकाले जा रहे हैं। भागवत ने यह नसीहत चित्रकूट में अभी हाल ही में आयोजित तीन दिवसीय हिन्दू एकता महाकुम्भ के दूसरे दिन देशभर के प्रमुख संत, महात्मा और मठाधीशों के सामने दी। उनकी इस नसीहत के मायने और तलाशे जाने की वजह आयोजन स्थल है। दरअसल चित्रकूट ही वह जगह है जिसका अपना पौराणिक और हिन्दुओं के लिए बेहद अधिक धार्मिक महत्व भी है। यही वो जगह है जहां से राम-भरतके मिलन से भ्रातृ स्नेह, शील एवं सदाचार का अद्भुत संदेश दिया गया। भातृ प्रेम से भरे हुए भरत राम को मनाने नंगे पैर जाते हैं। वे रथ पर बैठना स्वीकार नहीं करते, उनके पैरों में छाले पड़ गए है। सुख सुविधा के साधन उपलब्ध होने पर भी वे उन्हें स्वीकार नहीं करते। यही नहीं इसी जगह से सत्ता पाने के लिए लोगों के संघर्ष की जगह त्याग का अनुपम उदाहरण भी प्रस्तुत किया गया था। यहां पर जब राम व भरत की मुलाकात हुई तो राम और भरत दोनों ही राज्य को स्वीकार नहीं करते हैं। दरअसल यहां पर तुलसी पीठ के प्रमुख दिव्यांग विश्वविद्यालय के कुलाधिपति पदम विभूषण जगद्गुरु रामभद्राचार्य महाराज के संयोजकत्व में आयोजित इस आयोजन में भाग लेने के लिए देश भर के साधु-संत आए थे। संघ प्रमुख ने अपने सम्बोधन में रामचरित मानस की चौपाई निसिचर हीन करउँ महि भुज उठाइ पन कीन्ह, सकल मुनिन्ह के आश्रमन्हि जाइ जाइ सुख दीन्ह को दोहराते हुए उपस्थित लोगों को संकल्प भी दिलाया। जिसमें मयार्दा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की संकल्प भूमि से सर्वशक्तिमान परमेश्वर को साक्षी मानकर पवित्र हिन्दू संस्कृति और संस्कार की परम्परा को आजीवन कायम रखने की प्रतिज्ञा सामूहिक रूप से ली गई। भागवत ने कहा अपने सम्बोधन में यह स्पीकारा की कलयुग में एकता ही सबसे बड़ी ताकत होती है, लेकिन स्थाई एकता के लिए स्वार्थ को छोड़ना होगा। श्री भागवत ने भारतरत्न नानाजी देशमुख का जिक्र करते हुए कहा कि अपने लिए नही अपनों के लिए काम करने की भावना इसमें सहयोगी होगी। भय से एकता का भाव स्थाई नही होता। इसमें लोग स्वार्थ की वजह से जुड़ते हैं और अवसर पूरा होते ही अलग हो जाते हैं। कई बार अहंकार भी एक-दूसरे को जुड़ने नही देता। एकता के लिए इस भाव को भी छोड़ना पड़ेगा।
उनके इन शब्दों को भाजपा की राजनीति से जोड़कर देखा जा रहा है। इसकी वजह है मप्र के अलावा उप्र में भी भाजपा सरकार में इन दिनों महत्वाकांक्षी मंत्रियों की भरमार बनी हुई है। इसी तरह से सत्ता के अहम पदों पर बैठे कुछ नेताओं का आचार विचार व उनकी कार्यशैली ऐसी है जिससे की आमजन तो ठीक कार्यकर्ता तक आने आपको अलग-थलग महसूस करता है। इसी तरह से उनके द्वारा सत्ता के केन्द्र में बैठे लोगों को भी साफ संदेश दे दिया कि वे उन लोगों से दूर रहें जो अवसरवादी होते हैं। संघ प्रमुख की कही गई बातों को लेकर जानकारों का कहना है कि सामाजिक समरसता को लेकर संघ लम्बे समय से काम कर रहा है लेकिन जिस प्रकार के परिणामों की उसे उम्मीद थी वह नहीं मिल पा रहे हैं। यही वजह है कि संकल्प के वचन के दौरान उन्होंने इस प्रतिज्ञा को भी दोहराया कि जाति,वर्ग,सम्प्रदाय और पंथ के भेदभाव से ऊपर उठकर हिन्दू समरसता के लिए पूरी शक्ति से प्रयास करने होंगे। हिन्दू समाज को संगठित करने के प्रयासों के तहत चित्रकूट के इस आयोजन को महत्वपूर्ण कड़ी माना जा रहा है। संघ से जुड़े लोगों कहना है कि उत्तरप्रदेश जहां आसन्न चुनाव है, अभी भारतीय जनता पार्टी की सरकार है। कई बार सरकार की ओर से किए जाने वाले प्रयासों में यदि कोई कमी महसूस होती है तो संघ उस ओर इशारा भी करता है, ताकि समय रहते इस कमी को भी दूर किया जा सके हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि संघ प्रमुख के विचार हिन्दू समाज को एक जुट करने में आ रही अड़चनों के मद्देनजर भी हो सकते हैं।
24/12/2021
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