भोपाल/प्रणव बजाज /बिच्छू डॉट कॉम। विधानसभा चुनाव के मिशन 2023 में भले ही अभी 20 माह का समय है , लेकिन प्रदेश में भाजपा अभी से 11 के फेर को दूर करने में जुट गई है। इसके लिए प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा द्वारा लगातार जनाधार और वोट शेयर बढ़ाने की कवायद की जाने लगी है। इसके लिए पार्टी द्वारा उन क्षेत्रों पर खासतौर पर पूरा ध्यान दिया जा रहा है, जिनमें बीते विधानसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ा था। यही वजह है कि अब पार्टी चाहती है कि प्रदेश में 11 फीसदी मतों में वृद्वि कर ली जाए तो उसे प्रदेश में तो सरकार बनाने से कोई रोक नहीं सकेगा और लोकसभा चुनाव में भी पार्टी को सभी सीटों पर जीत से नहीं रोका जा सकेगा। पार्टी हाईकमान ने हर बूथ स्तर पर 11 फीसदी वोट शेयर बढ़ाने के लिए विस्तारक और पूर्णकालिकों को घर-घर दस्तक देने की योजना बनाकर उस पर अमल करने की पूरी तैयारी कर ली है।
भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष और मध्यप्रदेश प्रभारी पी मुरलीधर राव के साथ पिछले दिनों हुई संगठन की बैठक में इस मुद्दे पर विचार मंथन भी किया जा चुका है। पार्टी हाईकमान ने प्रदेश के हर बूथ पर जनाधार बढ़ाने का लक्ष्य तय कर दिया है। इसके लिए अब सभी जिलों में हर वार्ड से 4 कार्यकर्ताओं के नाम मांगे गए हैं। इन सभी कार्यकर्तार्ओं को अपने जिले और मंडलों में घर-घर दस्तक देने और संपर्क अभियान के लिए भेजा जाएगा। इनमें से विस्तारकों का चयन कर उन्हें प्रशिक्षण दिया जाएगा। पूर्णकालिक कार्यकर्ता एक महीने का समय पार्टी को देंगे। इस दौरान इनका एक सूत्री कार्यक्रम केवल नए लोगों को पार्टी से जोड़ने का रहेगा। इसके साथ ही संगठन को मैदान स्तर पर और अधिक सक्रिय करने के लिए पार्टी के प्रदेश पदाधिकारियों को लगातार मैदानी स्तर पर दौरे करने को कहा गया है तो स्वयं प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा भी मैदानी दौरों पर रहते हैं।
विधायकों को भी मोर्चा पर उतारने की तैयारी
भाजपा का विशेष रूप से आदिवासी इलाकों में वोट शेयर बढ़ाने का लक्ष्य है। इसके लिए स्व. कुशाभाऊ ठाकरे जन्म शताब्दी समारोह के कार्यक्रम भी तय किए गए हैं। संगठन पर्व के कार्यक्रमों में विधायकों को हर माह में 10 दिन क्षेत्र में जाकर कमजोर बूथों पर फोकस करने को कहा जा चुका है। बूथ को मतदान के हिसाब से मजबूत करने और संगठन विस्तार के लिए कार्यकर्तार्ओं को भी गुर बताए गए हैं। इसके साथ ही स्थानीय संगठन को क्षेत्र में लगातार संपर्क और संवाद पर ध्यान देने को निर्देश दिए गए हैं। इसके साथ ही कहा गया है कि वे यह खासतौर पर ध्यान रखें की संगठन को सत्ता आधारित न बनने दें।
यह भी एक वजह
मध्यप्रदेश में भाजपा को आम विधानसभा चुनाव में बेहद करीबी अंतर से हार मिली थी। चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के वोट शेयर में सिर्फ 0.1 फीसदी का अंतर था, जिसमें भाजपा को 0.1 फीसदी मत ज्यादा मिले, लेकिन नोटा को 1.4 फीसदी मत मिले जोकि 5.4 लाख वोट थे। भाजपा की इस हार की सबसे बड़ी वजह नोटा भी रही थी। इसके अलावा कांग्रेस के मतों में वृद्वि और भाजपा के पक्ष में कीम की बड़ी वजह तब एससी-एसटी एक्ट को लेकर सवर्णों का गुस्सा भी रहा था। इसकी वजह से उस समय भाजपा के खिलाफ नोटा अभियान भी चलाया गया था , जिसका असर नतीजों में भी दिख गया था। नोटा को 22 विधानसभा सीटों पर जीत के अंतर से ज्यादा वोट मिले। जिसकी वजह से भाजपा के चार कद्दावर मंत्री चुनाव हार गए। उस समय प्रदेश में 11 ऐसी सीटें रहीं जहां भाजपा उम्मीदवार की हार का अंतर से ज्यादा वोट नोटा को पड़े। यानि भाजपा को जितने मतों से हार मिली उससे ज्यादा मत नोटा के खाते में गए। इस तरह भाजपा का खेल बिगड़ गया। इसकी वजह से ही भाजपा बहुमत से 7 सीटें दूर रह गई थी। अगर नोटा की हार वाली 11 सीटें भी उसके हाथ आ जाती तो तभी प्रदेश में भाजपा की सरकार बन जाती।
योजनाओं की ब्रांडिंग पर भी जोर
बरते साल मार्च में हुई प्रदेश में बड़ी सियासी उठा-पटक और उपचुनावों में मिली जीत के बाद भाजपा के 109 विधायकों की संख्या अब बढ़कर प्रदेश में 127 हो चुकी हैं। भाजपा खासतौर पर उन सीटों पर फोकस कर रही है , जिन पर बीते चुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज की है। इन इलाकों में विस्तारक और पूर्णकालिकों को केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं की ब्रांडिंग करने पर भी जोर देने को कहा गया है। दरअसल प्रदेश में बीते आम विधानसभा चुनाव में आदिवासी मतदाता भाजपा की जगह कांग्रेस के पक्ष में खड़े हो गए थे , जिसकी वजह से ही भाजपा को सरकार की जगह विपक्ष में बैठने को मजबूर होना पड़ा था। भाजपा अब इन आदिवासी इलाकों में अपने कम हुए जनाधार में हर हाल में वृद्वि करने का लक्ष्य लेकर चल रही है। यही वजह है कि इसकी भरपाई के लिए संगठन स्तर पर कई कार्यक्रम शुरू किए जा रहे हैं। इसी योजना के तहत ही भाजपा द्वारा जबलपुर और भोपाल में आदिवासियों के सम्मेलन किए गए हैं। इन कार्यक्रमों में इसी वजह से ट्राइबल थीम पर पार्टी कार्यसमिति की बैठक का भी आयोजन किया गया था।
यह रहा चार मंत्रियों की हार का आंकड़ा
ग्वालियर दक्षिण से गृह राज्यमंत्री नारायण सिंह कुशवाहा को सबसे कम सिर्फ 121 वोटों के अंतर से हार का मुंह देखना पड़ा, जबकि नोटा पर 1,550 वोट पड़े। इसी तरह से दमोह में वित्त मंत्री जयंत मलैया सिर्फ 799 वोटों से हार गए जबिक नोटा को 1,299 वोट मिले। इधर , जबलपुर (उत्तर) से स्वास्थ्य राज्यमंत्री शरद जैन महज 578 वोटों से हारे जबकि नोटा पर 1209 वोट पड़े और बुरहानपुर विधानसभा सीट से महिला और बाल विकास मंत्री अर्चना चिटनिस 5,120 वोटों से चुनाव हारीं, जबकि नोटा पर करीब 5,700 वोट पड़े।
24/12/2021
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