![बुंदेलखंड](https://www.bichhu.com/wp-content/uploads/2021/12/wild_hustle-1024x768.jpg)
भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी /बिच्छू डॉट कॉम। मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र को सिंचाई और पीने का पानी देने के लिए प्रस्तावित केन-बेतवा लिंक परियोजना के दूसरे चरण की तैयारी शुरू हो गई है। नेशनल वाटर डवलपमेंट अथारिटी (एनडब्ल्यूडीए), वन, जल संसाधन विभाग के अधिकारियों की वर्चुअल बैठक में प्रदेश को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है। परियोजना में 6017 हेक्टेयर वनभूमि आ रही है। इस में से 5500 हेक्टेयर भूमि पन्ना टाइगर रिजर्व की है। इसमें पार्क के कोर एरिया की 4208, बफर एरिया की 1292 और सामान्य वन मंडल की 517 हेक्टेयर भूमि शामिल है।
गौरतलब है कि परियोजना में जो 6017 हेक्टेयर वनभूमि आ रही है इसके बदले इतनी ही राजस्व भूमि वन विभाग को दी जाना है। इसमें से 4208 हेक्टेयर भूमि चयनित की जा चुकी है। शेष 1809 हेक्टेयर भूमि का इंतजाम नहीं हो रहा था। जल संसाधन विभाग ने इतनी भूमि के बदले दोगुना पौधारोपण (प्लांटेशन) करने का विकल्प दिया था, पर वन विभाग इसके लिए तैयार नहीं है। ऐसे में परियोजना क्षेत्र से सटी 1809 हेक्टेयर भूमि चयनित की गई है।
14 गांवों का विस्थापन चुनौती
परियोजना के दूसरे चरण में वनीकरण (पौधारोपण) के लिए वन विभाग को 1809 हेक्टयर भूमि दी जाना है। इसके लिए परियोजना क्षेत्र से सटी राजस्व भूमि को चुना गया है। जिसमें 14 गांव हैं। इन गांवों को शिफ्ट करना होगा। जिसकी कार्ययोजना मध्य प्रदेश जल संसाधन विभाग तैयार करेगा। प्रमुख अभियंता जल संसाधन एमएस डाबर का कहना है कि परियोजना की डीपीआर एनडब्ल्यूडीए ने तैयार की है। हमें दूसरे चरण की तैयारी के निर्देश मिले हैं। उस पर जल्द काम शुरू करेंगे।
पानी के बंटवारे का विवाद खत्म
परियोजना से पानी के बंटवारे को लेकर दोनों राज्यों के बीच अनुबंध के साथ ही विवाद खत्म हो चुका है। अब उत्तर प्रदेश को 750 एमसीएम (मिलियन क्यूबिक मीटर यानी 750 अरब लीटर) पानी दिया जाएगा, लेकिन परियोजना को अब तक पर्यावरणीय अनुमति नहीं मिली है। इसलिए गैर वनभूमि में निर्माण कार्य शुरू करने पर सहमति बनी है। इसकी डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) एनडब्ल्यूडीए ने तैयार कर ली है। संस्था निविदा जारी करने की तैयारी में है। निविदा जारी करने का प्रस्ताव जल्द ही केंद्रीय कैबिनेट में प्रस्तुत किया जा सकता है।