![मार्गदर्शक](https://www.bichhu.com/wp-content/uploads/2021/12/1-25-1024x867.jpg)
- संगठन एक्टिव मोड पर, कौन क्या कर रहा है सब पर नजर…
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश में इन दिनों सत्ता में होने के बाद भी भाजपा का संगठन पूरी तरह से एक्टिव मोड में बना हुआ है। इसकी वजह है अपने जन प्रतिनिधियों की कार्यशैली से लेकर उनकी इलाके में पकड़ तक का गोपनीय तौर पर पता लगाना। दरअसल यह पूरी कवायद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर की जा रही है। इसके दायरे में सांसदों को जहां केन्द्रीय संगठन ने रखा है तो वहीं प्रदेश ने भी अपने स्तर पर सांसदों व विधायकों की जानकारी एकत्रित करने की तैयारी शुरू कर दी है। अब प्रदेश में हालात यह हैं कि कौन जनप्रतिनिधि कब क्या कर रहा है इसकी पूरी जानकारी प्रदेश संगठन को मिल रही है। इस पूरी कवायद को चुनाव के समय टिकट के लिए किया जा रहा है। हालांकि यह तय है कि अब भाजपा में युवा पीढ़ी यानि की 30 से लेकर 60 तक की आयु के कार्यकर्ता को ही टिकट दिया जाएगा और संगठन की जिम्मेदारी मिलेगी। इससे अधिक उम्र के कार्यकर्ताओं को मार्गदर्शक की भूमिका में भेज दिया जाएगा। प्रदेश में संगठन स्तर पर इस पर अमल पहले ही किया जा चुका है। इधर केन्द्रीय संगठन के निर्देश पर प्रदेश के विधायकों के लिए दो दिवसीय एक प्रशिक्षण शिविर का भी आयोजन किए जाने की तैयारी है। यह प्रशिक्षण ऐसे समय किया जाना प्रस्तावित है, जब संगठन द्वारा प्रदेश के मंत्रियों की क्लास लगाई जा चुकी है। माना जा रहा है कि यह प्रशिक्षिण शिविर फरवरी में लगाया जा सकता है, जिसमें राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष खुद मौजूद रहेंगे। इस दौरान विधायकों को प्रशिक्षण देने के साथ ही उनसे उनके क्षेत्र में अब तक किए गए कामों के बारे में भी जानकारी ली जाएगी। इसमें विधायकों से यह भी पूछा जाएगा कि केंद्र और राज्य की योजनाएं आमजन तक पहुंचे इसके लिए उन्होंने अब तक क्या किया। बताया जाता है कि संगठन विधायकों से कहेगा कि वे अपना सेल्फ असिसमेंट रिपोर्ट कार्ड तैयार करें। इसके बाद संगठन उसका परीक्षण करेगा। दो दिनी प्रशिक्षण शिविर में विधायकों को चाल, चरित्र, चेहरे और व्यक्तित्व विकास, राजनीतिक कौशल समेत अन्य विषयों पर प्रशिक्षण दिया जाना है। दरअसल यह पूरी कवायद मिशन 2023 के विधानसभा और 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर की जा रही है।
निष्क्रिय सांसदों का कटेगा टिकट
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सांसदों को दी गई नसीहत के बाद संगठन द्वारा अपने सांसदों के ढाई साल के कामों का ऑडिट कराने की तैयारी शुरू कर दी है। यह काम एक निजी एजेंसी से कराया जा रहा है। इसमें सांसदों के काम-व्यवहार, क्षेत्र में सक्रियता के साथ अन्य मुद्दों की पूरी जानकारी जुटाई जाएगी। इसके आधार पर ही उनका अगले चुनाव में टिकट तय होगा। यह ऑडिट अगले माह से शुरू होने जा रहा है। दरअसल प्रधानमंत्री ने नई दिल्ली में हाल ही में भाजपा सांसदों की बैठक में सांसदों द्वारा अनुशासन का पालन नहीं करने पर नाराजगी जाहिर की थी। उनकी नाराजगी के बाद ही संगठन ने अब सांसदों का आडिट कराने का फैसला किया है। प्रधानमंत्री के बाद अब राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी जल्द ही राज्यवार सांसदों की बैठक लेने जा रहे हैं। सांसदों के काम का संगठन एजेंसी से पूरा लेखा-जोखा तैयार करवाने जा रहा है। जिसमें उनके संसद सत्रों के कुल दिनों और घंटों समेत उपस्थिति, क्षेत्र से संबंधित क्या सवाल लगाए और संसद की बहस में हिस्सा लेने को शामिल किया जाएगा। इसके बाद उनके क्षेत्र में जाकर टीम यह सर्वे करेगी की सांसद दिल्ली व प्रदेश की राजधानी में कितने और अपने क्षेत्र में कितने दिन रहते हैं। इस दौरान उनकी क्षेत्र में हर दिन रहने वाली दिनचर्या की भी पूरी जानकारी जुटाई जाएगी। इसके अलावा सांसद ने पिछले ढाई सालों में क्षेत्र में कहां कहां और कितने दौरे किए और पार्टी संगठन की बैठकों में उनकी मंडल, जिला और प्रदेशस्तर पर कितनी सक्रियता रही इसका भी पता लगाया जाएगा। इसके अलावा अन्य दो दर्जन बिंदुओं पर भी जानकारी ली जाएगी।
यह भी किया जाएगा पता
सर्वे टीम द्वारा सासंदों के इलाकों में जाकर कई तरह की जानकारियां जुटाई जाएंगी, जिसमें उज्जवला योजना, स्वच्छ भारत अभियान, किसानों से जुड़ी योजनाएं समेत अन्य योजनाओं का क्षेत्र में किस तरह और कितना क्रियान्वयन हुआ। इनके क्रियान्वयन और प्रचार प्रसार के लिए किस तरह की रणनीति पर अमल किया गया और किन क्षेत्रों में कितने कैंप लगाए गए और इसमें से कितनों में सांसद मौजूद रहे। जिले के संगठन नेताओं से सांसद का तालमेल कैसा है। पार्टी के संगठनात्मक अभियानों में कितनी भागीदारी रहती है। संसद में क्षेत्र की समस्याओं को लेकर कितने प्रश्न लगाए और अन्य किन तरीकों से उठाया। क्षेत्र की पांच मुख्य समस्याओं में किन को कितना सुलझा पाए और क्षेत्र में प्रवास के दौरान कार्यकर्ताओं को कितना वक्त देते हैं। पार्टी के जिला और मंडल कार्यालय कितनी बार जाते हैं और क्षेत्र में मौजूद होने पर संगठन की बैठकों में कितनी रूचि लेते हैं।