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- अपनों को उपकृत करने योग्यता दरकिनार ….
भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। हाल ही में घोषित किए गए संस्कृति के क्षेत्र में प्रतिष्ठित शिखर सम्मानों को लेकर संस्कृति विभाग पर गंभीर आरोप लगना शुरू हो गए हैं। इसकी वजह है इस विभाग द्वारा अपने चहेतों को उपकृत करने के लिए योग्यता को दरकिनार कर चयन किया जाना। हालांकि कोई खुलकर इस मामले में सामने नहीं आ रहा है, लेकिन अंदर ही अंदर इसका विरोध होना शुरू हो गया है। विरोध करने वालों का कहना है कि प्रदेश के अधिकांश साहित्यिक प्रतिभाओं को दरकिनार कर भोपाल पर मेहरबानी दिखाई गई है। कुल 18 शिखर सम्मानों में से 12 भोपाल के लोगों को दिए गए।
संस्कृति विभाग ने 2019 और 2020 के लिए राष्ट्रीय कबीर सम्मान, कालिदास सम्मान, किशोर कुमार सम्मान, लता मंगेशकर सम्मान, मैथिलीशरण गुप्त सम्मान, इकबाल सम्मान, शरद जोशी सम्मान, नानाजी देशमुख सम्मान, कुमार गंधर्व सम्मान और शिखर सम्मानों की घोषणा की है। आरोप है कि जिनके नाम इसमें शामिल किए गए हैं, प्रदेश में उनसे भी योग्य लोग निवास करते हैं। ऐसे में चयन समिति के निर्णय पर भी सवाल उठ रहे हैं। वरिष्ठ रंगकर्मी अशोक बुलानी कहते हैं कि संस्कृति विभाग ने पहल की और सम्मानों की प्रक्रिया को पूरा किया, जबकि कुछ समय पूर्व सम्मानों में विवाद खड़े हो गए थे। उन्हें सुलझाते हुए पुरस्कार घोषित किए। सूची में जिनके नाम शामिल हैं, वे सही हो सकते हैं, लेकिन जो सक्रिय हैं, वरिष्ठ हैं, बड़े नामों को अनदेखा किया जाना अजीब लगा। चयन समिति की दृष्टि विशाल होना चाहिए थी।
इस तरह हुआ चयन में घालमेल
सूत्रों के मुताबिक शिखर सम्मान के लिए दिनेश चंद्र दुबे, प्रदीप दीक्षित, प्रेम गुप्ता, कन्हैयालाल कैथवार की समिति ने रंगकर्मी संजय मेहता और सतीश दवे के नाम की अनुशंसा की थी। कालिदास सम्मान के लिए गठित चयन समिति ने दीप्ति सिन्हा, प्रेम गुप्ता के नाम की अनुशंसा की थी। समिति में जयंत देशमुख, सतीश दवे और संजय मेहता शामिल रहे, लेकिन यह अनुशंसाएं लीक हो गईं। सूत्रों का कहना है कि विभाग ने दूसरी समिति गठित की। उसी ने नामों पर विचार किया और नाम घोषित किए गए। यही नहीं कालिदास सम्मान (शास्त्रीय संगीत), कालिदास सम्मान (शास्त्रीय नृत्य), कालिदास सम्मान (रूपांकर कलाएं), कालिदास सम्मान (रंगकर्म), किशोर कुमार सम्मान, लता मंगेश्कर सम्मान, इकबाल सम्मान, कुमार गंधर्व सम्मान में नोएडा, दिल्ली, मुम्बई, चेन्नई, बड़ौदा, लखनऊ, पटना, इलाहाबाद के निवासी शामिल हैं। यानी प्रदेश में इन पुरस्कारों के लिए किसी को योग्य नहीं माना गया। संचालक संस्कृति विभाग अदिति कुमार त्रिपाठी का कहना है कि सम्मानों का निर्णय चयन समिति करती है। समिति का निर्णय अंतिम होता है। इस मामले में विभाग का कोई दखल नहीं होता। समिति ने जिन नामों की अनुशंसा की उसे घोषित कर दिया गया।