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बिच्छू डॉट कॉम। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि संविधान ने देश को आगे ले जाने में मदद की, लेकिन अभी बहुत कुछ करने की जरूरत है। संविधान दिवस के अवसर पर विज्ञान भवन में बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा कि सैकड़ों वर्षों की निर्भरता ने भारत को कई समस्याओं में धकेल दिया है। 26 नवंबर को संविधान दिवस के मौके पर दिल्ली के विज्ञान भवन में कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “भारत जिसे कभी सोने की चिड़िया कहा जाता था, गरीबी, भुखमरी और बीमारियों से पीड़ित हुआ। उस वक्त संविधान ने राष्ट्र को आगे बढ़ाने में हमारी मदद की। उन्होंने कहा, “हमारे संविधान निर्माताओं ने हमें आजादी के लिए जीने और मरने वाले लोगों द्वारा देखे गए सपनों को साकार किया और भारत की हजारों साल पुरानी महान परंपराओं को संजोते हुए संविधान दिया।”
पीएम मोदी ने कहा कि अन्य राष्ट्रों के साथ स्वतंत्र होने के बाद भी भारत उन देशों की तुलना में बहुत पीछे है। इसका मतलब साफ है कि बहुत सी चीजें अभी भी हैं जिन्हें आगे ले जाने की जरुरत है। पीएम ने आगे कहा कि हकीकत यह है कि आजादी के दशकों बाद भी देश में लोगों के एक बड़े वर्ग को बहिष्कार का शिकार होना पड़ा। उन्होंने कहा, “ऐसे करोड़ों लोगों के घर में शौचालय तक नहीं था। वे पानी और बिजली जैसी बुनियादी जरुरतों के अभाव में जी रहे थे।” पीएम मोदी ने कहा, “उनकी समस्याओं को समझने में, उनके जीवन को आसान बनाने के लिए उनके दर्द को समझने में निवेश करना- मैं इसे संविधान का वास्तविक सम्मान मानता हूं। मैं संतुष्ट हूं कि संविधान की इस भावना के अनुरूप, बहिष्कार को समावेश में बदलने के लिए एक जोरदार अभियान चल रहा है।” उन्होंने कहा कि जबकि कोई भी राष्ट्र सीधे तौर पर दूसरे देश के उपनिवेश के रूप में मौजूद नहीं है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि औपनिवेशिक मानसिकता का अंत हो गया है। यह मानसिकता कई विकृतियों को जन्म दे रही है। हम विकासशील देशों की यात्रा में आने वाली बाधाओं में इसका स्पष्ट उदाहरण देख सकते हैं।