- प्रणव बजाज
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…और बदलने लगी विधायक जी की आस्था
ग्वालियर दक्षिण क्रमांक एक सीट से कांग्रेस विधायक प्रवीण पाठक की अब आस्था बदलने लगी है। इसकी उनकी अपनी मजबूरी भी है। अंचल में कांग्रेस की राजनीति में उन्हें पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुरेश पचौरी का बेहद नजदीक माना जाता है। उनकी वजह से ही पाठक विधायक का टिकट पाने में सफल रहे थे। वे अंचल में पचौरी खेमे का झंडा ही बुलंद किए रहते थे, लेकिन पचौरी खेमा अब बेहद कमजोर स्थिति में आ चुका है, लिहाजा भविष्य के हिसाब से अब उनकी आस्था बदलना शुरू हो गई है। इसकी बानगी बना है दिग्विजय सिंह का हाल ही में हुआ ग्वालियर दौरा। इस दौरे के समय वे हवाई अड्डा पर न केवल स्वागत के लिए पहुंचे, बल्कि उनके साथ पूरे समय मौजूद भी रहे। यहां तक कि पाठक पार्टी में अपने विरोधी माने जाने वाले पूर्व मंत्री भगवान सिंह के घर भी पहुंच गए। दरअसल पाठक यह अच्छी तरह जानते हैं कि इस बार टिकट सिर्फ पचौरी-नाथ के यहां से पक्का नहीं होगा।
बिरला की सदस्यता समाप्ति का तीसरा पत्र पहुंचा सचिवालय
बड़वाह विधानसभा क्षेत्र से विधायक सचिन बिरला द्वारा दलबदल कर भाजपा की सदस्यता लेने के मामले में अब कांग्रेस की ओर से तीसरी बार पत्र लिखा गया है। यह पत्र विस सचिवालय पहुंच चुका है। पत्र कांग्रेस की ओर से विधायक दल के मुख्य सचेतक डा. गोविन्द सिंह ने लिखा है। इसके पहले भी वे दो बार विस सचिवालय को पत्र लिख चुके हैं। यह बात अलग है कि पहले लिखे गए दो में से एक पत्र में उनके द्वारा सदस्यता समाप्ति के मामले में कार्यवाही लंबित रखने का अनुरोध किया गया था। इसकी वजह थी उसमें कुछ दस्तावेजों की कमी रह जाना। अब लिखे गए पत्र में उनके द्वारा शपथ पत्र देकर निरर्हता नियम 1986 के नियम आठ के तहत विधि संगत कार्रवाई जल्द से जल्द करने का अनुरोध किया है। अब विधानसभा अध्यक्ष कांग्रेस के नोटिस का परीक्षण कराने के बाद कार्यवाही के लिए निर्देशित करेंगे। इसमें कांग्रेस विधायक दल से उनके द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज पर साक्ष्य और सचिन बिरला से भी उनका पक्ष लिया जाएगा।
भूरिया या मरकाम हो सकते हैं नेता प्रतिपक्ष
मध्यप्रदेश कांग्रेस में एक व्यक्ति एक पद पर फार्मूला लागू होने की चर्चाएं तेज हैं । अगर ऐसा होता है तो प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ को एक पद छोड़ना होगा। माना जा रहा है कि वे नेता प्रतिपक्ष का पद छोड़ेगें। इसके साथ ही यह भी लगभग तय माना जा रहा है कि यह पद किसी आदिवासी नेता को दिया जाएगा। इसकी वजह है भाजपा द्वारा आदिवासी वर्ग को साधने के लिए लगातार बड़े पैमाने पर प्रयास किए जाना। भाजपा की इस मेहनत पर पानी फेरने के लिए कांग्रेस यह दांव चल सकती है। इसके तहत किसी बरिष्ठ आदिवासी विधायक को ही यह जिम्मेदारी दी जा सकती है। माना जा रहा है कि अगर ऐसा होता है तो पार्टी अपने वरिष्ठ नेता कांतिलाल भूरिया या ओमकार सिंह मरकाम को नेता प्रतिपक्ष बना सकती है। यह बात अलग है कि इस पद के लिए पांच बार के विधायक बाला बच्चन भी मजबूत दावेदारी कर रहे हैं।
चुनावी कमान के झंडाबरदार रहेंगे शिवराज
भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय को वैसे तो प्रदेश में भाजपा की राजनीति में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का विरोधी माना जाता है, लेकिन जिस तरह से एक के बाद एक उनके बयान आ रहे हैं उसके अपने मायने निकाले जा रहे हैं। अब विजयवर्गीय का दावा है कि प्रदेश में अगला विधानसभा चुनाव पार्टी शिवराज के ही नेतृत्व में लड़ेगी। उनका कहना है कि हाल ही में हुए प्रदेश के चार उप चुनाव में से तीन पर भाजपा विजयी रही, जनता भाजपा के साथ है और अगला विधानसभा चुनाव शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में लड़कर भाजपा फिर से सरकार बनाएगी। उनका कमलनाथ के रैगांव में मिली जीत को चुनाव जीतने और 2023 के द्वार खुलने के बयान पर कहना है कि कमलनाथ ने ये गलतफहमी पाल कर रखी है। हालांकि अच्छा है इस बात से उन्हें उत्साह रहेगा। एक सीट जीत कर कमलनाथ खुश हो रहे हैं, तो कोई बात नहीं है।