राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक से सामने आई शिवराज सरकार के दावों की हकीकत
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश के चहुंमुखी विकास को लेकर प्रदेश सरकार व सत्तारुढ़ दल कितने ही दावे करें, लेकिन पूरी तरह से हकीकत इसके इतर है। यह हम नहीं कह रहे हैं बल्कि मोदी सरकार द्वारा गठित नीति आयोग द्वारा हाल ही में जारी किए गए मल्टीडायमेंशनल पॉवर्टी इंडेक्स की रिपोर्ट में इस हकीकत को बताया गया है। मप्र में यह हाल तब हैं जब प्रदेश में बीते करीब 17 साल से शिवराज सिंह चौहान के हाथों में सरकार की कमान है। आयोग द्वारा जारी किए गए पहले राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक में मध्य प्रदेश का नाम देश में चौथे सबसे गरीब राज्य के रूप में बताया गया है। यही नहीं कुपोषण, शिक्षा, शिशु-किशोर मृत्युदर, प्रसव पूर्व स्वास्थ्य सुविधा की उपलब्धता, सफाई, पेयजल, बिजली, घर, संपत्ति जैसे मामलों में भी मप्र की हालात बेहद दयनीय बताई गई है। इसके बाद से ही सूबे में सियासी पारा चढ़ गया है। अपने अब तक के करीब 17 साल के कार्यकाल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हजारों बार सार्वजनिक मंचों से स्वयं स्वर्णिम मध्यप्रदेश की घोषणा करते रहे हैं, लेकिन मोदी सरकार के नीति आयोग ने देश का पहला मल्टीडायमेंशनल पॉवर्टी इंडेक्स जारी कर मध्यप्रदेश की हकीकत बंया कर दी है। नेशनल इंडेक्स में बिहार देश का सबसे गरीब राज्य बताया गया है इसके बाद जिन प्रदेशों को बताया गया है उसमें झारखंड (42.16 प्रतिशत) और उत्तर प्रदेश (37.79 प्रतिशत) के बाद मप्र को बेहद गरीब बताया गया है। इसमें मप्र में गरीबी का प्रतिशत 36.65 प्रतिशत बताया गया है। इस सूचकांक में 700 से अधिक जिलों के जिलास्तरीय गरीबी का तीन क्षेत्रों स्वास्थ्य, शिक्षा व जीनवस्तर से जुड़े 12 सूचकांकों के आधार पर आंकलन किया गया है। प्रदेश में बढ़ती गरीबी को लेकर कमलनाथ ने बीजेपी सरकार पर निशाना साधा है। कमलनाथ ने ट्वीट कर कहा है कि मैंने हमेशा से कहा है कि मुंह चलाने और सरकार चलाने में अंतर होता है। क्या कहता है राज्य का सर्वेक्षण एक साल पहले जब राज्य सरकार द्वारा 19-20 में आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया गया था, तब भी स्वयं सरकार ने स्वीकार किया था कि राज्य की सामाजिक आर्थिक विकास की समीक्षा करने पर स्थिति स्पष्ट है कि प्रदेश मानव विकास के मानकों पर देश एवं समान परिस्थितियों वाले राज्यों की तुलना में पिछड़ रहा है। गरीबी उन्मूलन आंकड़े और स्वास्थ्य सूचकांकों को राष्ट्रीय स्तर के समकक्ष लाना एक प्रमुख चुनौती है। सर्वेक्षण के अनुसार शिक्षा और पोषण के क्षेत्र मे भी राज्य की स्थिति बेहतर नहीं है। इसमें कहा गया था कि मध्यप्रदेश में प्रति व्यक्ति आय देश एवं समान परिस्थिति वाले राज्यों की तुलना में कम है। मध्यप्रदेश को कम प्रति व्यक्ति आय वाले राज्यों की श्रेणी में रखा जाता है। इसी तरह से वित्त वर्ष 2018 -19 के प्रचलित मूल्य पर प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय 90 हजार नौसौ 98 रूपए थी, जो देश की प्रति व्यक्ति आय एक लाख 26 हजार छह सौ 99 रूपयों का मात्र 71.8 प्रतिशत है। इसमें बताया गया था कि देश के प्रमुख राज्यों में बिहार, झारखंड, ओड़िसा और उत्तरप्रदेश को छोड़कर शेष राज्यों की प्रति व्यक्ति आय मध्यप्रदेश से अधिक है। तमाम झूठे दावों और घोषणाओं की खुली पोल: कमलनाथ मध्य प्रदेश सरकार और विपक्ष के बीच लगातार किसी ना किसी मुद्दे को लेकर विवाद होता रहता है। अब हाल ही में एक बार फिर से मध्य प्रदेश पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का बयान सामने आया है। जी दरअसल हाल ही में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शिवराज सरकार पर तंज कसा है और बड़ा बयान दिया है। दरअसल मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने तंज कसते हुए कहा- मैंने तो हमेशा से ही कहा है कि मुंह चलाने और सरकार चलाने में अंतर होता है। नीति आयोग द्वारा जारी किये गए पहले राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक-एमपीआई में मध्यप्रदेश का नाम देश में चौथे सबसे गरीब राज्य के रूप में सामने आया है। मध्यप्रदेश में 36.65 फीसदी आबादी आज भी गरीब है। इसी के साथ उन्होंने यह भी कहा- नीति आयोग के इस सूचकांक ने भाजपा सरकार के 17 वर्ष के स्वर्णिम मध्यप्रदेश सहित तमाम झूठे दावों और घोषणाओं की पोल खोल कर रख दी है। प्रदेश का नाम कई सूचकों में देश के शीर्ष 5 गरीब राज्यों में शामिल है। वैसे भी मध्यप्रदेश का नाम शिवराज सरकार में कई वर्षों से कुपोषण, महिलाओं पर अत्याचार, अपराध, किसानों की आत्महत्या, बेरोजगारी, आत्महत्याओं, भ्रष्टाचार, अवैध उत्खनन में देश के शीर्ष राज्यों में शामिल है और अब गरीबी में भी हम देश के शीर्ष राज्यों में। यहां भी पिछड़े केवल 30 प्रतिशत लोग खाना बनाने के लिए स्वच्छ ईंधन का इस्तेमाल करते हैं। – राज्य में सिर्फ 23 प्रतिशत घरों में नल द्वारा पानी आता है। – कृषि मजदूरी की दर 210 रुपए देश के अन्य राज्यों की तुलना में न्यूनतम है। – मनरेगा में 68. 25 लाख परिवार दर्ज हैं, जो व्यापक गरीबी का सूचक है। शिशु मृत्यु दर – राज्य में प्रति हजार जीवित जन्म पर शिशु मृत्यु दर 47 है, जो देश के अन्य राज्यों की तुलना में सर्वाधिक है। राष्ट्रीय स्तर पर शिशु मृत्यु दर 33 प्रति हजार है। – राज्य में मातृत्व मृत्यु दर प्रति एक लाख प्रसव पर 173 है, जो राष्ट्रीय दर 130 और अधिकतर राज्यों की तुलना में बहुत अधिक है। – राज्य में पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में मृत्यु दर 77 (वर्ष 2011) है, जो कि देश के अन्य राज्यों की तुलना में असम को छोड़कर सर्वाधिक है। – प्रदेश में 52.4 प्रतिशत महिलाएं खून की कमी से पीड़ित हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सकों, नर्सों और अन्य स्वास्थ्य कर्मचारियों के पद बड़ी संख्या में रिक्त हैं। 12 मानकों पर परखने के बाद तैयार किया गया है सूचकांक बीजेपी ने किया पलटवार वहीं कमलनाथ के गरीबी को लेकर सरकार पर निशाना साधने पर प्रदेश के नगरी मंत्री भूपेंद्र सिंह ने जवाब दिया है। मंत्री भूपेंद्र सिंह ने सवाल पूछा है कि कांग्रेस ने प्रदेश की सत्ता में 15 महीने रहते हुए गरीबों के लिए क्या कदम उठाए, यह बताना चाहिए.। मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि सरकार लगातार गरीबों के विकास के लिए काम कर रही है. स्ट्रीट वेंडर योजना के जरिए लोगों को स्वरोजगार से जोड़ा जा रहा है। सरकार प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से गरीबों के लिए रोजगार की योजनाएं चलाकर उनके विकास के लिए काम कर रही है।