सहकारी समितियों की माली हालत सुधारने जमीनों का होगा व्यवसायिक उपयोग

व्यवसायिक उपयोग

भोपाल/हरीश फतेह चंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश की सहकारी समितियों की माली हालत सुधारने के लिए अब सहकारिता विभाग नए कदम उठाने जा रहा है। इसके तहत समितियों की बेकार पड़ी खाली जमीन का व्यवसायिक उपयोग करने की योजना तैयार की जा रही है। यह काम निजी सहभागिता से किया जाएगा। इसके तहत विपणन सहकारी समितियों की अनुपयोगी भूमि पर मांग के अनुसार व्यावसायिक सह आवासीय भवनों को बनाया जाएगा। भवन निर्माण के काम के लिए पहली प्राथमिकता राज्य सहकारी आवास संघ को दी जाएगी। इसके बाद निजी सहभागिता के तहत एजेंसी का चयन कर उसे काम सौंपा जाएगा। इसके लिए विभाग द्वारा प्रस्ताव प्रस्ताव तैयार किया जा चुका है, जिस पर निर्णय होना शेष है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में 282 विपणन सहकारी समितियां हैं। इनमें से 210 के पास दो से तीन एकड़ भूमि है , जिसमें से अधिकांश बेकार पड़ी हुई हैं। उधर समितियों की आर्थिक स्थिति भी अच्छी नही है, जिसकी वजह से वे बैंकों की डिफाल्टर सूची तक में शामिल हो चुकी हैं। माली हालात बेहद खराब होने की वजह से उनमें गतिविधियां भी बंद जैसी हालात में पहुंच चुकी हैं। विभागीय सूत्रों के मुताबिक सरकार ने निजी सहभागिता से विकास की गतिविधियों को बढ़ावा देने की कार्ययोजना बनाई है। सभी विभागों से कहा गया है कि वे विभागीय बजट से इतर भी वित्तीय संसाधन की व्यवस्था करके अनुपयोगी भूमि का उपयोग सुनिश्चित करें। इसे ध्यान में रखते हुए विपणन सहकारी समितियों के पास उपलब्ध भूमि का उपयोग करने की योजना बनाई गई है। 210 सहकारी समितियों के पास जो दो से तीन एकड़ भूमि है, उसमें से अधिकांश समितियों की भूमि ऐसी जगह पर है, जहां इनका व्यावसायिक उपयोग किया जा सकता है। तय किया गया है कि पहले चरण में व्यावसायिक उपयोग के लिए भवन बनाए जाएंगे। आवास संघ अपने संसाधनों से जहां भवन बना सकेगा, वहां काम करेगा। अन्य स्थानों पर निजी सहभागिता से निर्माण कार्य कराए जाएंगे। इसके लिए एजेंसी का चयन निविदा के माध्यम से किया जाएगा। इससे जो राशि प्राप्त होगी, उससे उपयोग समितियों की गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए किया जाएगा।
सहकारी समितियों में बनाए जा रहे हैं गोदाम
उधर, सहकारिता विभाग प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के पास उपलब्ध भूमि पर गोदाम बनाने का काम भी कर रहा है। इसके लिए कृषि अधोसंरचना निधि के माध्यम से समितियों को राशि भी उपलब्ध कराई गई है। गोदाम में किसान एक निश्चित शुल्क देकर अपनी उपज रख सकेंगे।

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