सदस्यता सूची में गड़बड़िया करने वालों पर होगी सख्ती, पीड़ितों को दिया जाएगा भूखंड

सदस्यता सूची

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मध्य प्रदेश की अधिकांश गृह निर्माण सहकारी समितियां (हाउसिंग सोसायटी) धोखाधड़ी की पर्याय बन चुकी हैं। राजनैतिक और प्रशासनिक रसूख के चलते इन समितियों पर सहकारिता विभाग भी कभी कोई कार्रवाई नहीं करता है, जिसकी वजह से इनके कर्ताधर्ता कई -कई लोगों को ठगने के बाद भी कानून को ठेंगा दिखाते रहते हैं। कांग्रेस सरकार में हुई सख्ती के बाद सरकार बदली तो एक बार फिर प्रशासन उनके खिलाफ कार्रवाई करना भूल गया। यही वजह है कि फिर से सूबे के मुखिया बने शिवराज सिंह चौहान को इस मामले में सार्वजनिक घोषणा कर कार्रवाई के निर्देश देने पड़े। इसके बाद से एक बार फिर हाउसिंग सोसायटी के शिकार बने लगों को राहत की उम्मीद बंध गई है। सीएम कह चुके हैं कि सदस्यों को पात्रतानुसार भूखंड दिलाए जाएंगे। अवैधानिक रूप से समितियों द्वारा बेची गई भूमि वापस लेकर उनकी रजिस्ट्री निरस्त करने के लिए न्यायालय की शरण ली जाएगी और धोखाधड़ी करने वाले समिति पदाधिकारियों पर एफआइआर दर्ज कराई जाएगी। सीएम की घोषणा के बाद कई माह बाद अब जाकर सहकारिता विभाग सक्रिय हुआ है और उसने सभी जिला उप पंजीयकों से गड़बड़ी वाली समितियों की जानकारी मांगी है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में 2,147 गृह निर्माण सहकारी समितियां हैं। इनमें से सर्वाधिक गड़बड़ी की शिकायतें भोपाल, इंदौर, जबलपुर और उज्जैन की समितियों को लेकर है। इन शहरों की समितियों की ही पांच हजार से अधिक शिकायतें हैं। सहकारिता विभाग धोखाधड़ी करने वाली समितियों की जानकारी जिला उपपंजीयकों से मिलने के बाद उसे विधिक प्रकोष्ठ को परीक्षण के लिए भेजेगा। इसके बाद यदि सहकारी अधिनियम की धारा 72 का उल्लंघन पाया जाता है तो ऐसे मामलों में भूमि वापस लेने की कार्रवाई के साथ समिति के पदाधिकारियों के खिलाफ एफआइआर कराई जाएगी। इसी तरह की कार्रवाई सदस्यता सूची में हेरफेर करने वाली समितियों के खिलाफ भी की जाएगी। खास बात यह है कि ऐसे मामलों की जानकारी देने में उपपंजीयकों द्वारा रिपोर्ट देने में रुचि नहीं ली जा रही है , जिसकी वजह से अब एक बार फिर विभाग को स्मरण पत्र तक भेजने पड़े हैं। इसमें उनसे गड़बड़ी करने वाली समितियों की जानकारी जल्द भेजने को कहा गया है।
यह हैं भोपाल में हाल  
राजधानी की रोहित गृह निर्माण सहकारी समिति ने 126 भूखंड अवैधानिक तरीके से बेच दिए गए। समिति के कर्ताधर्ताओं ने पात्र सदस्यों की जगह अपात्रों को भूखंड का आवंटन करते हुए उनकी रजिस्ट्री भी करा डाली। इसी तरह से पंचसेवा समिति ने 74 एकड़ भूमि में से अधिकांश हिस्सा बेच डाला। हद तो यह हो गई कि  स्वजन सहकारी समिति ने जिस भूमि पर राज्य सहकारी आवास संघ से कए करोड़ से अधिक  का कर्ज लिया उसे विकसित किए बगैर ही बेंच डाला।
अब ऐसे मामलों में रजिस्ट्री निरस्तीकरण के लिए सहकारिता विभाग को अलग-अलग प्रकरण न्यायालय में पेश करने होंगे। इसके लिए संपत्ति के मूल्य का 13 फीसदी स्टाम्प ड्यूटी जमा करानी होगी। हालत यह है कि रोहित गृह निर्माण समिति के 126 भूखंड की रजिस्ट्री निरस्त कराने के लिए समिति के पास स्टाम्प ड्यूटी चुकाने लायक राशि ही नहीं है। इसकी वजह से अब इसमें छूट के लिए विभाग द्वारा प्रस्ताव वधि विभाग को भेजना पड़ा है।
यह है धारा 72(बी) के प्रावधान  
पंजीयक की अनुमति के बिना भूमिका विक्रय नहीं कर सकती है। धारा 72 डी(9) में इसे अपराध कहा गया है। धारा 72 ई (डी) में कहा गया है कि इस अपराध पर तीन साल की सजा और पांच लाख रुपये का जुमार्ना किया जा सकता है।

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