बिहाइंड द कर्टन/काम हो या न हो सक्रियता दिखनी चाहिए

  • प्रणव बजाज
सरकार

काम हो या न हो सक्रियता दिखनी चाहिए
अच्छी सरकार वही मानी जाती है, जिसमें आम आदमी के काम हों या न हों , लेकिन उसे पूरी तरह से सक्रिय दिखनी चाहिए। इस मामले में राज्य की शिव सरकार को अव्वल कहा जा सकता है। अब पदोन्नति में आरक्षण का मामला ही ले लें। सरकार की मंशा भी इस मामले में अब तक साफ नही है, लेकिन इस बीच वह समय-समय पर ऐसे कदम उठाती रहती है जिसकी वजह से लोगों को लगता है कि वह उनके पक्ष में पूरी तरह से सक्रिय रह कर प्रयास कर रही है। ठीक पांच साल बाद प्रदेश सरकार द्वारा कर्मचारियों को पदोन्नति देने के लिए अब जाकर पांच मंत्रियों का समूह का गठन किया गया है। यह मंत्री समूह कर्मचारियों को पात्रतानुसार पदोन्नति की रणनीति बनाने का काम करेगा। इससे कर्मचारियों का कितना भला होगा यह तो भविष्य में ही पता चल सकेगा। इसके पहले भी उच्च पदों का प्रभार देकर पदनाम देने की भी एक रिपोर्ट उच्चस्तरीय कमेटी द्वारा दी जा चुकी है, लेकिन उस पर अब तक कोई फैसला ही नहीं किया गया है।

दिव्यांगों को बस किराए में बड़ी राहत
दिव्यांगों के लिए अच्छी खबर यह है कि उन्हें अब मप्र में संचालित सभी बसों में किराए में आधी यानी कि पचास फीसदी की छूट दी जाएगी। इसके लिए परिवहन आयुक्त द्वारा प्रदेश के जिले के सभी क्षेत्रीय अतिरिक्त एवं जिला परिवहन अधिकारियों को आदेश भी दे दिए गए हैं। उन्हें इस राहत को पाने के लिए अपना यूनिक आईडी दिखाना होगा। इस आदेश में परिवहन आयुक्त द्वारा निर्देशित किया गया है कि मध्यप्रदेश के राजपत्र में 24 नवंबर 2016 को किये गये प्रावधान के तहत समस्त प्रकार की बस सेवाओं में विभिन्न प्रकार के दिव्यांग व्यक्तियों को प्रभारित किराए में 50 प्रतिशत की छूट दी जायेगी, यदि वे सक्षम प्राधिकारी का प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करते हैं। इसके तहत उन्हें केन्द्रीय  सामाजिक न्याय मंत्रालय या राज्य सरकार द्वारा यूनिक आईडी (युडीआईडी) के तहत जारी किये गये परिचय-पत्र को दिखाना होगा।

जैकलीन को लेकर नाथ फिर निशाने पर
मुख्यमंत्री के जनदर्शन कार्यक्रम को लेकर निशाना साधने से पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ एक बार फिर भाजपा के निशाने पर आ गए हैं। इस बार उन्हें निशाने पर लिया है गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने। पलटवार करते हुए मिश्रा का जो बयान आया है उसके बाद से पूरी कांग्रेस ही फ्रंटफुट की जगह बैकफुट पर आ गई है। दरअसल मिश्रा ने साफतौर कहा है कि हमारे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तो जनता के ही दर्शन करते हैं , लेकिन जब कमलनाथ जी मुख्यमंत्री हुआ करते थे , तो वह जनता की जगह जैकलीन फनार्डीज के दर्शन करते थे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस-भाजपा में यही अंतर है। उनका कहना है कि कमलनाथ बड़वानी गए और वहां 10 मिनट मंच पर रुके, दर्शन दिए और चले गए। जबकि मुख्यमंत्री जहां जाते हैं तो वहां रुक कर तसल्ली से लोगों से मिलते हैं और वहां की समस्याओं का पता भी करते हैं।

मंडलम् सेक्टर के गठन के लिए एक माह का समय तय
मप्र कांग्रेस संगठन को अपनी निचली इकाई मंडलम् सेक्टर के गठन के लिए एक माह का समय दिया गया है। यह समय दिया है अखिल भारतीय कांग्रेस के सचिव प्रदेश सह प्रभारी सुधांशु त्रिपाठी ने। उन्होंने यह काम समय सीमा में पूरा कराने के लिए यह भी कह दिया है कि उनके द्वारा अगले माह विधानसभा-वार मंडलम-सेक्टर के कामकाज की समीक्षा की जाएगी। उन्होंने बताया है कि अब एक मंडलम् में 35 से 40 बूथ के स्थान पर 12 से 15 बूथ होंगे। ऐसे ही एक सेक्टर में 15 बूथ के स्थान पर 3 से 5 बूथ होंगे। इस तरह जिले में मंडलम् और सेक्टर की संख्या बढ़ जाएगी। इस नई व्यवस्था से ही अब भोपाल में मंडलम की संख्या करीब 200 और सेक्टर की संख्या बढ़कर 600 से ज्यादा हो जाएगी। लगभग यही हाल हर जिले में भी होने वाला है। अच्छी बात यह है कि इससे अधिक से अधिक कार्यकर्ताओं को पदाधिकारी बनने का मौका मिल सकेगा।

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