- सेव द मच्छर’ (प्रोजेक्ट मच्छर टायगर)जहां गंदगी, वहां बंदगी !
– पंकज क्षीरसागर
मच्छर हमारी विरासत हैं। हमारे आसपास के पर्यावरण के परिचायक। लेकिन पट-पट की आवाज के साथ मच्छरों को मारने वाले चीनी रैकेटों और गैरकानूनी शिकार के चलते शहरी मच्छरों की संख्या बहुत कम हो चुकी है। अगर इस पर जल्द काम नहीं किया गया तो यह आखिरी मौका भी हाथ से चला जाएगा। सरकार ने जनता से अपील की है कि मच्छरों की विलुप्त प्रजातियों को बचाने के लिए खास सहयोग करें। हम साथ आकर यह प्रण लेंगे कि आने वाले समय में मच्छर सिर्फ गलियों, नालियों या कान्ह (दिल्ली वाले केजरीवाल इसे यमुना पढ़ें) में ही न दिखें। घर घर में होना चाहिये।
इंदौर के ‘वर्ल्ड रिकॉर्ड धारी’ मच्छर संरक्षण को सराहना, मन की बात में भी उल्लेख होगा
शहर में घटती मच्छरों की संख्या के बाद स्थानीय प्रशासन, निगम और मलेरिया विभाग के सहयोग से ‘मच्छर टास्क फोर्स’ का गठन किया गया। सरकारी वेटरनरी डॉक्टर्स को मच्छरों की देखभाल में लगाया गया है। प्रोजेक्ट ‘सेव द मच्छर’ के तहत मच्छर संरक्षित क्षेत्र घोषित गए हैं। मच्छरों को बचाने के लिए उन क्षेत्रों में (जहां स्वच्छता सर्वेक्षण वालों को नहीं घुमाते) गंदगी सजाने संवारने में बड़ी सफलता मिलेगी। सरकार ने जन-सहयोग से कान्ह नदी को नाले में बदला है। नाला टैपिंग में करोड़ों खर्च करने बाद मच्छरों की ब्रीडिंग के लिए अरबों रुपयों का नया प्लान आवश्यक हो गया है। योजनामद से ड्रेनेज जल को अधिकतम स्तर पर पेयजल में मिलाना, नदी किनारों पर कब्जा करने वालों प्रोत्साहित करना, मच्छर मारने पर प्रतिबन्ध लगाना, ब्रीडिंग के लिए विशेष ‘गंदगी क्षेत्र’ निर्धारण करना आदि कार्य होंगे। इस ‘सेव द मच्छर’ से जगह जगह मच्छर भिनभिनाने लगेंगे। प्रोजेक्ट के कोर एरिया के साथ शहर में टारगेट बस्तियों को चिन्हित और रेखांकित किया गया है। यहाँ नालियों को रोककर, सड़कों पर ड्रेनेज के पानी को बहाकर मच्छर संरक्षण का काम किया जा रहा है। लक्ष्य है कि पॉश इलाकों में (प्रोजेक्ट मच्छर टायगर के बफर एरिया) दिन में भी मच्छर तिरिभिन्नाट उड़ान भरेंगे। शीघ्र ही मच्छर टूरिज्म को बढ़ावा दिया जाएगा। इंस्टाग्राम फेसबुक के लिए फोटो खींचने वालों को ‘सेल्फी विथ मच्छर’ अपलोड करने को कहा है। डिस्कवरी, नैट जिओ की टीम भी मच्छरों को शूट करने आ रही है। अधिकतर शूटिंग ‘प्रोजेक्ट मच्छर टाइगर’ के बीआरटीएस डेल्टा पर होगी। आपको सपरिवार नहा-धोकर पहुंचना है।
– लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।
14/09/2021
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