तालिबान सरकार को मान्यता देने में कोई जल्दबाजी न करे भारत: पूर्व रॉ प्रमुख विक्रम सूद

 विक्रम सूद

बिच्छू डॉट कॉम। भारतीय खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग के प्रमुख रहे विक्रम सूद ने तालिबान, अफगानिस्तान और इसके भारत पर होने वाले असर को लेकर अपनी बात रखी है।  उन्होंने कहा है कि भारत को तालिबान से तभी बात करनी चाहिए जब तालिबान जिहादियों के भारत पर हमले न करने की बात माने। तालिबान को भारत से मान्यता की जरूरत है। ऐसे में भारत को तालिबान सरकार को मान्यता देने में कोई जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। सूद ने कहा है कि आपको पहले यह तय करना होगा कि तालिबान वैध सरकार है या नहीं? या आतंक के बल पर वैध सरकार हो सकती है? क्या हम आतंकवाद को वैधता देने जा रहे हैं? अफगानिस्तान हमें ऐसा क्या देने जा रहा है जिसके कारण हम तालिबान से बात करनी चाहिए। उन्होंने कहा है कि वह कश्मीर सहित दुनिया के मुसलमानों की रक्षा करेंगे। तो ऐसे में उनसे क्यों बात की जाए।

भारत को पाकिस्तान के बारे में अधिक सोचने की जरूरत नहीं है। उरी और पुलवामा हमलों के बाद भारत द्वारा की गई कारवाई पाकिस्तान को पता है। तालिबान सरकार को मान्यता देने की जल्दबाजी करने से बेहतर है कि इस बात का इंतजार किया जाए कि तालिबान कब तक काबुल में कब्जा जमाए रख सकते हैं। जल्द ही अफगानिस्तान में खनिज संपदा का खेल शुरू होने जा रहा है। जल्द ही तुर्कमेनिस्तान-अफगानिस्तान पाइपलाइन के बारे में बातचीत शुरू होगी। यह संभव है कि चीन अब अफगानिस्तान में अमेरिका को कोई जगह न दे। तो ऐसे में खेल में चीन, रूस, अमेरिका, ईरान और पाकिस्तान शामिल हो रहे हैं और इन सभी के अलग-अलग लक्ष्य हैं।

तो क्या भारत, अफगानिस्तान से बाहर हो गया सवाल का उत्तर देते हुए सूद बताते हैं कि हमें तालिबान को मान्यता देने की जल्दी क्यों है। वो आतंकी हैं। उन्हें भारत जैसे देश की जरूरत है। उन्होंने दोस्ती का हाथ बढ़ाया है। हमारे पास दुनिया की टॉप की सेना है। हमारी इकॉनमी दुनिया के टॉप के देशों में से है। ऐसे में हमें दहशत की स्थिति में नहीं होना चाहिए। अफगानिस्तान में पाकिस्तान के रोल को लेकर उन्होंने कहा है कि अमेरिका ने अफगानिस्तान में पाकिस्तान को फ्री पास दे दिया है। ऐसे में पाकिस्तान अपने पत्ते सही से खेल सकता है। सूद ने अफगानिस्तान में जिहादी ग्रुप्स और लड़ाकों को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने कहा है कि ये जिहादी अब कहां लड़ाई करेंगे? क्या वह पाकिस्तान जाएंगे या पाकिस्तान के सपोर्ट से अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल और देशों के खिलाफ करेंगे। 

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