![प्रकाश सखलेचा](https://www.bichhu.com/wp-content/uploads/2021/09/6-5.jpg)
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश की राजनीति में रविवार को भाजपा के दिग्गज नेताओं के मन की बात उनकी जुबां पर आ ही गई। इनमें एक नाम शिव के गण ओम प्रकाश सखलेचा का भी है। वे वर्तमान में राज्य सरकार के सूक्ष्म, लघु और मध्यम के अलावा विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के मंत्री हैं। जिस तरह से उनके द्वारा ब्यूरोक्रेसी को लेकर सार्वजनिक कार्यक्रम में बयान दिया गया है उससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि वे अब अपने पिता और पूर्व मुख्यमंत्री बीरेन्द्र कुमार सखलेचा के नक्शेकदम पर चलना चाहते हैं। दरअसल उनके पिता जब प्रदेश के मुखिया रहे हैं तब उनका ब्यूरोक्रेसी पर ऐसा दबदबा था कि वह उनकी वजह से कांपा करती थी।
यही वजह थी कि उस समय की अफसरशाही उन्हें हिटलर तक कहने से पीछे नहीं रहती थी। वे इतने अधिक अनुशासन प्रिय थे की उनके इशारे पर ब्यूरोक्रेसी चलना शुरू कर देती थी। माना जा रहा है कि अब उनके पुत्र और वर्तमान मंत्री ओम प्रकाश भी उसी तरह की चाहत रखते हैं। यही वजह है कि उनका बीते रोज दर्द छलक ही गया कि ब्यूरोक्रेसी सरकार पर अब भी हावी है। अब यह उनका व्यक्तिगत अनुभव है या फिर सरकार के सभी मंत्री इस पीड़ा का दंश बराबरी से झेल रहे हैं, यह अलग बात है। आरएसएस के लघु उद्योग भारती के वार्षिक प्रादेशिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि प्रदेश में हावी ब्यूरोक्रेसी से सरकार ही नहीं मंत्री भी परेशान हैं। उन्होंने कहा कि सरकार अभी 80 प्रतिशत ब्यूरोक्रेसी से ही चलती है। आप डिनाय करें, शिकायत करें, जो मर्जी है वो करें..पर कुछ हासिल नहीं होगा।
ब्यूरोक्रेसी के बीच से ही रास्ता निकलाना होगा। उनके इस बयान के अब अलग-अलग मायने निकाले जा रहे हैं। हालांकि आम आदमी से लेकर सरकार में बैठे लोग व सत्तारुढ़ दल के नेता भी जानते हैं कि वर्तमान में सरकार पर पूरी तरह से ब्यूरोक्रेसी हावी है। गौरतलब है कि लघु उद्योग भारती का वार्षिक प्रादेशिक सम्मेलन भोपाल के शारदा विहार में आयोजित किया गया था। इस दो दिवसीय आयोजन के दूसरे दिन मंत्री सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह दर्द छलका है। सखलेचा दूसरे मंत्रियों से अलग हैं और अपना मंच मिला सो मन की बात सामने रख दी। इसके पहले लघु उद्योग भारती के प्रतिनिधियों ने सखलेचा से समय पर काम नहीं होने और अधिकारियों द्वारा प्रोजेक्ट में लेटलतीफी करने की शिकायत की थी।
इस मामले में बाद में उनके द्वारा दिए गए बयान पर जब मीडिया ने प्रतिक्रिया चाही तो सखलेचा का कहना था कि मैंने ब्यूरोक्रेसी को लेकर किसी और विषय की चर्चा में कहा था।
ब्यूरोक्रेसी के कामकाज की गति आप भी जानते हैं। जनरल ग्रोथ (सामान्य विकास) की बातों के दौरान कहा था कि कामकाज की गति धीमी होने के कारण इंडस्ट्री को दिक्कत होती है। उनका काम प्रभावित होता है। हम कोई रास्ता निकालेंगे। सखलेचा ने यह भी कहा कि ब्यूरोक्रेसी के पास अकेले जाते हो तो सुनवाई नहीं होती है। आप एसोसिएशन बनाकर जाओ तो काम जल्दी होंगे। दरअसल सखलेचा बेहद पढ़े लिखे हैं और वे चाहते हैं कि सरकार के कामकाज बहुत तेजी से हों, जिससे की लोगों को समय पर लाभ मिल सके। दरअसल प्रदेश में नौकरशाही का आलम यह है कि कोई भी हो उसका काम आसनी से तो करते ही नहीं है। फाईलों में ऐसी टीप लगाई जाती है कि लोग अपने काम के लिए घनचक्कर बन जाते हैं।
उधर, भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी तो इन दिनों अपने बयानों व कामों की वजह से सरकार व पार्टी दोनों के लिए ही मुसीबत बने हुए हैं। वे फिलहाल लंबे समय से विंध्य प्रदेश की मांग को लेकर बेहद सक्रिय बने हुए हैं। उन्होंने इस मामले में एक बार फिर से पार्टी को आईना दिखाया है कि समय रहते नहीं संभली तो हाल वैसा ही हो सकता है, जैसा कांग्रेस का 2003 में हुआ था। इंदौर में बीजेपी विधायक नारायण त्रिपाठी ने विंध्य प्रदेश पुर्ननिर्माण मंच से यहां तक कह दिया कि भय बिन होय न प्रीति। उनका साफतौर पर कहना है कि विंध्य प्रदेश की मांग को लेकर भय पैदा करना होगा..अगर हमारी मांग पूरी नहीं हुई तो,इसके जवाबदारों को 2023 में सबक सिखाने की जरूरत है।
2023 के चुनाव में विंध्य के लोगों का सिर्फ एक ही मुद्दा रहेगा। मेरा काम आईना दिखाना,ताकि 2003 में जो हालात कांग्रेस की हुई,वो न हो। सीएम को सवर्ण आयोग के गठन की घोषणा की याद दिलाते हुए नारायण त्रिपाठी बोले कि उनको सभी घोषणाओं की याद दिलाता रहूंगा। उल्लेखनीय है कि अपनी ही सरकार में उपेक्षा से नाराज चल रहे विधायक नारायण त्रिपाठी ने तो अपनी पार्टी के खिलाफ पृथ्क विंध्य प्रदेश की मांग के बहाने बिगुल फूंक रखा है। अब यह भाजपा को ही तय करना है कि 2023 चुनाव से पहले पार्टी को सबक सीखना है या त्रिपाठी को सबक सिखाना है। त्रिपाठी के बयानों से तो यही लग रहा है कि वे पार्टी के प्रति पूरी तरह से बेदर्द हो चुके हैं।
कई तरह के नावाचार किए थे सखलेचा जी ने
पूर्व मुख्यमंत्री बीरेन्द्र सखलेचा बेहद सख्त प्रशासक थे। इस वजह से सरकार की मशीनरी उनकी सदारत में चुस्त रहती थी। उस समय सखलेचा ने प्रदेश की 15000 पंचायतों में एक साथ पंचायत चुनाव करवाए थे। इसके बाद आमजन की सुविधा के लिए उनके द्वारा पूरे सूबे में ग्रामीण सचिवालय खुलवाए गए थे, जिनमें एक ही छत के नीचे पटवारी, ग्राम सेवक, सहकारी संस्था का समिति सेवक और पंचायत सचिव बैठते थे – यही वो लोग हैं, जिनसे एक किसान को काम पड़ता है। इस वजह से किसानों को अपने कामों के लिए भटकना कम हुआ था।