![शिक्षक दिवस](https://www.bichhu.com/wp-content/uploads/2021/09/2-3.jpg)
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। पूर्व राष्ट्रपति व भारत रत्न डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णनन के सम्मान में पांच सितंबर को शिक्षक दिवस तो दशकों से मनाया जा रहा है, लेकिन उनके सामने मौजूद चुनौतियों को समाप्त करने में कोई भी सरकार रुचि नहीं लेती है, जिसकी वजह से शिक्षकों का अधिकांश समय इन चुनौतियों से जूझने में ही निकल जाता है। ऐसे में वे शिक्षा का स्तर कैसे सुधारें समझा जा सकता है। हालात यह है कि स्कूल व उच्च शिक्षा में शिक्षकों की समस्याओं का पहाड़ खड़ा हुआ है। इसके लिए शिक्षकों ने कई बार आंदोलन किए, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला है। हालत यह है कि हाईकोर्ट से लड़ाई जीतने के बाद भी प्रोफेसर न्याय के लिए भटक रहे हैं। इसी तरह से स्कूल शिक्षा विभाग में सात हजार व्याख्याताओं को हाल ही में तीसरा क्रमोन्नत वेतनमान तो दिया गया, लेकिन इसे यूडीटी के बराबर कर दिया गया है। जबकि यूडीटी गैर राजपत्रित व व्याख्याता राजपत्रित अधिकारी होते हैं।
अब इस विसंगति को दूर करने के लिए व्याख्याता विभाग के आला अफसरों से गुहार लगा रहे हैं, लेकिन कोई भी उनकी बात सुनने को तैयार नहीं है। विभाग में यूटीडी को डिप्टी डायरेक्टर का वेतनमान दिया जा रहा है, लेकिन पदोन्नति व पदनाम के लिए अभी भी वे तरस रहे हैं। विभाग में करीब दस सालों से भर्ती नहीं हुई है। भर्ती के लिए पात्रता परीक्षा आयोजित की गई, लेकिन नियुक्ति प्रक्रिया अटका दी गई। कुछ दिनों पहले पात्र शिक्षक नियुक्ति मांगने गए, तो उनका स्वागत पुलिस ने डंडे से किया।
हाईकोर्ट पर भी भारी पड़ रहा है विभाग
उच्च शिक्षा विभाग में प्रोफेसर ग्रेड-पे की लड़ाई हाईकोर्ट से जीत चुके हैं। लेकिन इसके बाद भी उन्हें ग्रेड पे आज तक न हीं मिल सका है। हद तो यह है कि उनकी दो साल की परीविक्षा अवधि डेढ़ दशक बाद भी समाप्त नहीं हो रही है। 2016 में मिले वेतनमान के एरियर की 357 करोड़ राशि केंद्र से राज्य सरकार के पास आ गई है। लेकिन प्रोफेसरों को यह राशि अब तक नहीं दी गई। विभाग में वर्ष 1990 के भर्ती नियम चल रहे हैं, लेकिन देशभर में यह नियम पहले ही बदल चुके हैं। इसी तरह से अतिथि विद्वान कई सालों से नियमितिकरण की मांग कर रहे है। वे करीब डेढ़ दशक से अपनी सेवाए दे रहे हैं इसके बाद भी उनकी समस्या हल करने के लिए अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया है। विधानसभा में पिछले दस साल से लगभग हर जिले के विधायक अपने क्षेत्र के कॉलेजों में शिक्षकों की कमी को लेकर सवाल लगाते है। वे सरकार से यह भी जानना चाहते हैं कि शिक्षकों की कमी कब तक दूर कर दी जाएगी पर सरकार का इस मामले पर एक ही जवाब होता है कि शिक्षकों की भर्ती की कार्यवाही की प्रक्रिया चल रही है। समय सीमा बताना संभव नहीं है।
दिखावे के लिए बना पोर्टल, पर समाधान नहीं
स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री इंदर सिंह परमार की पहल पर विभाग ने शिक्षकों की समस्याओं के निराकरण के लिए पोर्टल बनाया है। इसके माध्यम से शिक्षकों की समस्याओं का निराकरण करने के लिए समय सीमा तय की गई है, लेकिन यह भी महज दिखावे वाले साबित हो रहे हैं। इसका उदाहरण है नरसिंहपुर जिले की शिक्षिका विभा शर्मा। उनकी सेवा पुस्तिका में जन्मतिथि 1969 की जगह गलती से 1959 कर दी गई है। जबकि अंकसूची से लेकर नियुक्ति पत्र में जन्मतिथि 1969 है। इस गलती को सुधारने के लिए विभाग के अधिकारी शिक्षिका को लगातार परेशान कर रहे हैं। नतीजतन शिक्षिका सितंबर महीने में दस साल पहले ही विभाग से सेवानिवृत्त कर दी जाएगी।
शिक्षकों की कमी से जूझ रहे स्कूल
स्कूल शिक्षा विभाग में करीब एक लाख पद शिक्षकों के खाली हैं। इसके उलट महज 37 हजार अतिथि शिक्षकों की मौका दिया गया है। खास बात यह है कि इन्हें श्रमिकों से भी कम वेतन दिया जाता है। प्रदेश में अप्रैल 2021 में जारी गाइडलाइन के अनुसार अकुशल को 8700, अर्धकुशल को 9557, कुशल को 10935 व उच्च कुशल को 12235 रुपए दिए जाने चाहिए, जबकि अतिथि शिक्षकों को वर्ग एक में 9000, वर्ग दो में 7000 व वर्ग तीन में 4500 रुपए ही बतौर मानदेय मिलता है। ऐसे में विभाग प्रदेश में विश्वस्तरीय सीएम राईज स्कूलों को खोलने का दावा कर रहा है।
साढ़े तीन हजार स्कूलों में नहीं हैं शिक्षक
प्रदेश में करीब साढ़े तीन हजार से अधिक स्कूल शिक्षकों के बगैर ही चल रहे हैं। यह बात खुद विधानसभा में सरकार स्वीकार कर चुकी है। सरकार ने माना है कि अलीराजपुर, झाबुआ, बड़वानी, सिंगरौली, सीधी, मंडला एवं धार जिलों के 1587 स्कूलों समेत कई अन्य जिलों में बड़ी संख्या में स्कूलों में शिक्षक नहीं हैं। प्रदेश में शिक्षकों की आखिरी भर्ती वर्ष 2013 में की गई थी। पांच वर्ष बाद वर्ष 2018 में करीब 30 हजार पदों के लिए शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया शुरू की गई थी। फरवरी-मार्च 2019 में प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड (पीईबी) द्वारा शिक्षक पात्रता परीक्षा का आयोजन किया गया। वर्ग-1 और वर्ग- 2 में करीब पांच लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किया। इसमें करीब ढाई लाख अभ्यर्थी पास भी हुए, लेकिन स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा सिर्फ 20,672 पद ही स्वीकृत किए गए। इन पदों पर भी भर्ती प्रक्रिया अटकी हुई है। कुछ दिनों पहले भाजपा मुख्यालय पर नियुक्ति मांगने की गुहार लेकर पहुंचे अभ्यर्थियों पर जमकर डंडे भी बरसाए थे।