बिहाइंड द कर्टन/सरकार को फिर कटघरे में खड़ा कर रहे गोविंद सिंह

  • प्रणव बजाज
 गोविंद सिंह


सरकार को फिर कटघरे में खड़ा कर रहे गोविंद सिंह
प्रदेश के वरिष्ठ विधायकों में शामिल और कांग्रेस विधायक दल के मुख्य सचेतक गोविंद सिंह के निशाने पर एक बार फिर शिव सरकार है। उनके द्वारा राज्यपाल मंगू भाई पटेल और विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने को लेकर पत्र लिखा गया है। यह पत्र ऐसे समय लिखा गया है जब प्रदेश में एक लोकसभा व तीन विधानसभा के उपचुनाव को लेकर गर्माहट बनी हुई है। इस बहाने सिंह द्वारा जिस तरह से पत्र लिखा गया है, वह भाजपा सरकार के  लिए बैकफुट वाला पत्र माना जा रहा है। दरअसल इस पत्र में उनके द्वारा मंहगाई, बाढ़, बेरोजगारी और बिजली संकट से लेकर अन्य जनहित के मुद्दों का जिक्र किया गया है। यह वे मुद्दे हैं जो आम आदमी को पूरी तरह से प्रभावित करते हैं। इस पत्र में साफ तौर पर कहा गया है कि भाजपा की प्रदेश में सरकार बनने के बाद से या तो विधानसभा के सत्र बुलाए नहीं जा रहे हैं और बुलाए जा भी रहे हैं तो वे अत्यंत कम दिनों के लिए। उनका आरोप है कि इस वजह से जनहित के मुद्दों पर सदन में चर्चा तक नहीं हो पा रही है। उन्होंने इन सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए एक सप्ताह का विशेष सत्र बुलाने का आग्रह किया है। उनके इस पत्र को भविष्य में नेता प्रतिपक्ष की दावेदारी से भी जोड़कर देखा जा रहा है।

दिग्विजय पर कायम है हाईकमान का विश्वास
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह को कांग्रेस हाईकमान द्वारा बेहद अहम जिम्मेदारी दी गई है। उन्हें राष्ट्रीय मुद्दों पर आंदोलनों की योजना बनाने के लिए गठित पार्टी की समिति का अध्यक्ष बनाया गया। समिति में सिंह के अलावा आठ सदस्य भी बनाए गए हैं। इससे एक बार फिर साबित हो गया है कि उन पर अब भी पार्टी हाईकमान का पूरी तरह से भरोसा कायम है। मप्र में पार्टी की सरकार गिरने के बाद से उनके विरोधी उन्हें लगातार कमजोर करने और पार्टी हाईकमान की नाराजगी बताकर उनके खिलाफ साजिश कर रहे थे। अब नए दायित्व के बाद यह तो तय हो गया है कि दस जनपथ में अब भी उनकी अहमियत बनी हुई है। वैसे दिग्विजय सिंह की छवि एक जुझारू नेता के रूप में है। वे उम्र के जिस पड़ाव में हैं उसमें भी सक्रियता के मामलों में युवा नेताओं पर भारी पड़ते हैं। वे मध्यप्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले नर्मदा परिक्रमा भी कर चुके हैं। उनकी इस परिक्रमा का कांग्रेस को ऐसा फायदा मिला की वह न केवल मप्र की सत्ता में डेढ़ दशक बाद वापसी करने में सफल रही, बल्कि भाजपा के रणनीतिकारों को भी चिंतन मनन करने पर मजबूर होना पड़ा। वे ऐसे नेता है जिनके द्वारा संगत में पंगत कार्यक्रम के बहाने पार्टी से नाराज कार्यकर्ताओं तक को भी वे सक्रिय करने में कामयाब रहे। इस समिति की खास बात यह है कि इसमें प्रियंका गांधी, उत्तम कुमार रेड्डी, मनीष चतरथ, बीके हरिप्रसाद, रिपुन बोरा, उदित राज, डॉ.रागिनी नायक व जुबेर खान को रखा गया है।

करना पड़ा गृहमंत्री की नाराजगी का सामना
सरकारी अफसर अगर पूरी तरह से चौकन्ने और काम के प्रति गंभीर रहें तो 90 फीसदी मामलों में न तो समीक्षा करने की जरुरत रह जाएगी और न ही आम आदमी को हैरान परेशान होना पड़ेगा। उनकी लापरवाही ही तमाम तरह की परेशानियों की वजह बनती है। बीते रोज लोक निर्माण विभाग परिसंपत्तियों के सदुपयोग के लिए गठित मंत्री समूह की बैठक थी। इसमें लोक निर्माण विभाग के सचिव पीसी बारस्कर अपने अधीनस्थ आला अफसरों के साथ शामिल तो हुए, लेकिन वह भी बगैर जानकारी के। जब बैठक हुई तो उनसे झांसी स्थित विश्राम गृह और नर्मदा खैरी फार्म की परिसंपत्ति को लेकर जानकारी पूरे तथ्यों के साथ पूछी गई, लेकिन बारस्कर और उनका अमला यह जानकारी लाया ही नहीं था फिर क्या था उन्हें सभी के सामने गृह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा की नाजरागी का सामना करना पड़ा। दरअसल इस बैठक में झांसी स्थित विश्राम ग्रह की भूमि के मामलें में फैसला किया जाना था जो नहीं किया जा सका। यह एक बानगी है कि प्रदेश में आला अफसरान तक कितने लापरवाह को चुके हैं कि वे मंत्री समूह की बैठक तक को गंभीरता से नही लेते हैं। इसके बाद गृहमंत्री ने उन्हें नसीहत दी कि वे अगली बैठक में संबंधित पूरी जानकारी लेकर ही आएं , जिससे कि उस पर फैसला किया जा सके।

डीएसपी के बाद सागर को क्रिस्प ने बनाया खेल एम्बेसडर
कहते हैं कि कब आपकी किस्मत चमके और आपको वह पर्श से अर्स तक पहुंचा दे, ऐसा ही कुछ हुआ है हाकी खिलाड़ी विवेक सागर के साथ। वे ओलंपिक टीम के सदस्य बने और खेले भी। उनकी मेहनत काम आयी और टीम ने चार दशक बाद ओलंपिक में कोई पदक जीता। पदक जीतने वाली टीम के सदस्य होने की वजह से उन्हें जहां अब मप्र सरकार ने डीएसपी बनाने का निर्णय कर लिया है तो वहीं अब मध्य प्रदेश के सेंटर फॉर रिसर्च एंड इंडस्ट्रियल स्टाफ परफॉर्मेंस (क्रिस्प) ने उन्हें अपना खेल प्रमोटिंग के लिए ब्रांड एम्बेसडर बनाने की घोषणा की है। यह घोषणा भी उनकी ही मौजूदगी में तब की गई जब सागर द्वारा क्रिस्प के एक सॉफ्टवेयर का शुभारंभ किया जा रहा था। दरअसल यह ऐसा  साफ्टवेयर है जिसकी मदद से फिंगर प्रिंट के द्वारा व्यक्तिव विश्लेषण किया जा सकेगा। इस दौरान विवेक सागर के सम्मान में एक कार्यक्रम भी आयोजित किया गया। दरअसल सागर एक बहुत ही पिछड़े ग्रामीण इलाके  से आते हैं और वे एक मध्यमवर्गीय परिवार का प्रतिनिधित्व करते हैं , लेकिन उनके द्वारा की गई मेहनत ने उन्हें देश की टीम का सदस्य बनने का गौरव दिलाया है।

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