भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। अचानक शुरू हुई प्रदेश में कई-कई घंटो की बिजली कटौती से प्रदेश की जनता हलकान बनी हुई है। यही वजह है कि बीते रोज हुई शिव कैबिनेट की बैठक में यह मामला पूरी तरह से छाया रहा। इस स्थिति की वजह से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान न केवल नाराज हुए बल्कि उनके द्वारा दो दिन के अंदर बिजली कटौती, उत्पादन और सप्लाई को लेकर पूरी रिपोर्ट तक तलब कर ली गई है।
बैठक शुरू होते ही मंत्रियों ने प्रदेश में अघोषित बिजली कटौती का मुद्दा उठाया। ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने बैठक में जानकारी देते हुए कहा कि प्रदेश में पहले की अपेक्षा 39 फीसदी अधिक बिजली दी जा रही है। सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री ने बैठक शुरू होने से पहले ऊर्जा विभाग के अफसरों से बिजली के मामले में पूरी जानकारी ली। अफसरों ने बांधों में पानी की कमी को बिजली कटौती की मुख्य वजह बताई। इस दौरान बिजली की समस्या का हल कैसे निकले, इस पर बात की गई। अफसरों ने बताया कि मंडला से बरमान तक बारिश नहीं होने से नर्मदा नदी पर बने इंदिरा सागर और ओंकारेश्वर डैम का जलस्तर कम हो गया है। उनका कहना है कि अचानक डिमांड बढ़ने की वजह से कटौती करनी पड़ी। बिजली कटौती से नाराज मुख्यमंत्री ने कहा कि अफसर अपनी कार्य क्षमता सुधारें और बिजली संकट की इस तरह की स्थिति किसी भी कीमत पर नहीं आनी चाहिए।
सरकार ने दिया पांच दिन में हालात सुधरने का दावा
फिलहाल सरकार ने स्वीकार कर लिया है कि मध्यप्रदेश में बिजली का संकट है। सरकार के प्रवक्ता एवं प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का कहना है कि प्रदेश में बिजली संकट की वजह बारिश कम होने से बांधों का पूरी क्षमता से न भर पाने के अलावा कोयले की कमी और प्लांट में तकनीकी दिक्कत है। इसकी वजह से बिजली का उत्पादन बेहद प्रभावित हुआ है। इसे 5 दिन में ठीक कर लिया जाएगा।
किस मंत्री ने क्या कहा
– लोक निर्माण मंत्री गोपाल भार्गव ने कहा कि लोगों को अब 24 घंटे बिजली की आदत हो गई है। वे अब कटौती को बर्दाश्त नहीं करते हैं। उन्हें भले ही ज्यादा दाम पर बिजली क्यों न मिले।
– स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार इंदर सिंह परमार ने कहा कि जिन प्रदेशों में बिजली आपूर्ति को लेकर अच्छा काम हुआ है उनका अध्ययन कराया जाना चाहिए।
– लघु सूक्ष्म एवं मध्यम उद्यम मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा ने कहा कि किसान 2 से 3 फसलें एक वर्ष में लेते हैं तो उसी हिसाब से दरें रखी जाएं, सब्सिडी कम रखें एक किसान को केवल एक पंप पर सब्सिडी दी जाए।
– ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर का कहना है कि स्टाफ की कमी है लेकिन हम योजनाएं बना रहे हैं आगे दिक्कत नहीं होगी। उन्होंने यह भी कहा कि पहले की तुलना में 39 प्रतिशत अधिक बिजली दी जा रही है।
यह हैं बिजली कटौती के हाल
एमपी पावर ट्रांसमिशन कंपनी के स्टेट लोड डिस्पेच सेंटर के सूत्रों की माने तो 27 से 29 अगस्त तक शाम सात बजे से ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली कटौती की गई थी, लेकिन अब भोपाल, बड़वानी और खंडवा में कटौती बंद है, जबकि जबलपुर, नरसिंहपुर, दमोह, डिंडौरी सहित अन्य क्षेत्रों में 2 घंटे कटौती हो रही है। इसी तरह से होशंगाबाद, भोपाल, उज्जैन के ग्रामीण क्षेत्रों में दो घंटे कटौती की गई। इंदौर की पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने इंदौर-उज्जैन संभाग के 15 जिलों में 27 अगस्त से बिजली कटौती शुरू की गई है। इसके लिए मप्र पावर ट्रांसमिशन कंपनी द्वारा सीधे फीडर बंद कर आपूर्ति रोकी जा रही है।
अनुबंध के अतिरिक्त खरीदी 1163 मेगावाट बिजली
बिजली में आत्मनिर्भर होने का दावा करने वाले मध्य प्रदेश के 21 हजार मेगावाट से ज्यादा बिजली के करार की असलियत अब सामने आई है। हर साल बिना बिजली खरीदे हजारों करोड़ रुपये का फिक्स चार्ज निजी कंपनियों को देने के बावजूद अनुबंध वाली कंपनियों ने जरूरत पड़ने पर हाथ खड़े कर लिए। ऐसे हालात में कटौती झेल रहे प्रदेश को राहत देने के लिए सरकार ने पिछले 24 घंटों में महंगी दर पर 1163 मेगावाट यानी एक करोड़ पांच लाख यूनिट अतिरिक्त बिजली खरीदी। जिन कंपनियों से सरकार ने बिजली खरीदी के पावर परचेस एग्रीमेंट (पीपीए) कर रखे हैं। उनसे बिजली नहीं खरीदने पर भी हर साल 4200 करोड रुपये फिक्स चार्ज के रूप में देने पड़ते हैं। करार के मुताबिक, यदि सरकार ने पीपीए वाली निजी कंपनियों से बिजली नहीं खरीदी तो उन्हें डेढ़ रुपये प्रति यूनिट की दर से फिक्स चार्ज का भुगतान करना पड़ता है। 2019-20 में नियामक आयोग में दाखिल की गई टैरिफ पिटीशन में निजी कंपनियों को 14 हजार करोड़ रुपये का भुगतान करने का जिक्र था। बिजली कंपनियों के रिकार्ड के मुताबिक 30 अगस्त को भी बिजली कटौती की गई। इसके अनुसार 1084 मेगावाट बिजली की अघोषित कटौती की गई।
यह हैं बिजली के हाल
प्रदेश के बिजली संयंत्रों में उत्पादन नहीं बढ़ पाया। प्रदेश के ताप विद्युत संयंत्रों में मंगलवार को 5400 मेगावाट क्षमता के विरुद्ध 1822 मेगावाट और हाइडल से 892 बिजली उत्पादित हो रही है। बीते रोज सेंट्रल और निजी क्षेत्र से कुल 5801 का शेड्यूल निर्धारित थी , जिसके बाद भी 501 मेगावाट बिजली ओवर ड्रा (निर्धारित सीमा से अधिक) कर रहे हैं। 9563 मेगावाट बिजली की कुल आपूर्ति की जा रही है। वहीं मांग लगभग 11 हजार मेगावाट बनी हुई है।
01/09/2021
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