बिजली कंपनियों के अफसरों की सांठगांठ, नहीं की करोड़ों की वसूली

बिजली कंपनियों

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में विद्युत वितरण कंपनियों के अफसर आउटसोर्स कंपनियों पर इतने मेहरबान है कि करोड़ों रुपए की वसूली निकलने के बाद भी उनसे वसूली नहीं की गई। जबकि आम उपभोक्ताओं से वसूली करने में ताबड़तोड़ कार्रवाई की जाती है। दरअसल आउटसोर्स कंपनियों से पिछले चार साल में लगभग नौ करोड़ से अधिक की वसूली बिजली कंपनियों को करनी थी लेकिन अफसरों ने वसूली के लिए सिर्फ पत्र जारी करके खानापूर्ति कर ली है। हालांकि कुछ कंपनियों ने ना के बराबर वसूली की है। ऐसे में अब आउटसोर्स कर्मचारी संगठनों ने भी मोर्चा खोल दिया है।
इन संगठनों का कहना है कि आउटसोर्स बिजली कर्मियों जो जुलाई महीने का वेतन 12 अगस्त को मिला है। राजधानी भोपाल सहित कुल छह जिलों के तीन हजार 972 कर्मचारियों को देरी से वेतन दिया गया है। इस हिसाब से अगस्त महीने में ही कर्मचारियों को देरी से वेतन देने पर करीब बीस लाख जुर्माना वसूला जाना था जिसकी वसूली ही नहीं की गई। इसमें विभाग के अफसरों की मेहरबानी आउटसोर्स कंपनियों पर साफ दिखाई देती है। यही नहीं इसी तरह पिछले चार साल में औसतन नौ करोड़ से भी अधिक का जुर्माना वसूला जाना था जो अब तक नहीं वसूला गया है। आउटसोर्स बिजली कर्मचारी महासंघ के एक पदाधिकारी के मुताबिक आउटसोर्स कंपनियों ने देरी से वेतन दिया। बोनस भी नहीं दे रही है कंपनी, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी जुर्माना नहीं वसूल रहे हैं। यही नहीं पिछले कई सालों से सांठगांठ कर नौ करोड़ रुपए जुर्माने की छूट आउटसोर्स कंपनियों को दी गई है।
तीन कंपनियों में सत्तर हजार कर्मचारी हैं कार्यरत
उल्लेखनीय है कि प्रदेश में कुल तीन बिजली वितरण कंपनियां है। इन कंपनियों के पास सत्तर हजार आउटसोर्स कर्मचारी काम करते हैं। अकेले मप्र मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के पास ही दस हजार दो सौ आउटसोर्स कर्मचारी काम करते हैं।
टेंडर में शर्तों के मुताबिक प्रतिदिन के हिसाब से देना है जुर्माना
ज्ञात हो कि मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी में चार साल से आउटसोर्स व्यवस्था लागू है। वहीं आउटसोर्स कंपनी कर्मचारियों को हर माह देरी से वेतन दे रही है। यही नहीं बोनस भी समय पर नहीं दिया जा रहा है। बीते चार महीने से एक दो कंपनियों को छोड़ दिया जाए तो किसी भी कंपनी ने बोनस का भुगतान कर्मचारियों को नहीं किया है। उल्लेखनीय है कि देरी से वेतन भुगतान पर प्रतिदिन प्रति कर्मचारी के हिसाब से सौ रुपए और इसी तरह बोनस देरी से देने पर प्रतिदिन प्रति कर्मचारी के हिसाब से पच्चीस रुपए जुमार्ना वसूलने की शर्त टेंडर में शामिल है। टेंडर की कंडिका क्रमांक छह के सेक्शन एसएससी 4.3 में प्रविधान है कि माह की सात तारीख को कर्मचारियों को वेतन दिया जाए। ऐसा न होने पर जुमार्ना वसूली की कार्यवाही की जाए लेकिन अधिकारी इन आउटसोर्स कंपनियों पर इस तरह मेहरबान हैं कि सिर्फ लेटर जारी कर और सांठगांठ कर खानापूर्ति कर रहे हैं। यही वजह है कि इसका नुकसान आउटसोर्स कर्मचारियों को उठाना पड़ रहा है।

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